MP News: सरकारी सिस्टम हुआ लाचार, 9 साल की मासूम इस हाल में 4 दिन तक पिता के पोस्टमार्टम का करती रही इंतजार

Madhya Pradesh News: पिता का शव पाने के लिए मृतक की 9 साल की मासूम बेटी और 12 साल का बेटा 42 डिग्री तापमान में मेडिकल अस्पताल प्रबंधन और पुलिस के चक्कर काटने को मजबूर हुए.  यानी चार दिन बाद मृतक का अंतिम संस्कार सिवनी में किया गया.

Advertisement
Read Time: 4 mins

Jabalpur News: मध्य प्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) खुद को जनता की हितैषी बताते नहीं थकती है. सरकार ने अपने प्रशासन को चुस्त दुरुस्त बताने के लिए न जाने कौन-कौन से स्लोगन गढ़ती रहती है. लेकिन हकीकत ये है कि यहां एक शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए एक परिवार को 4-4 दिनों तक अस्पताल के बाहर पूरे परिवार के साथ डेरा जमा कर रुकना पड़ता है. 

ऐसा ही एक मामला जबलपुर से सामने आया है. दरअसल, यहां सरकारी सिस्टम की लाचारी के चलते एक 9 साल की मासूम बच्ची को अपने परिजनों के साथ बीते चार दिनों से मेडिकल केंपस के बाहर अपने पिता के पोस्टमार्टम होने का इंतजार करना पड़ रहा है. ये बच्ची अपने पूरे परिवार के साथ इस बात का इंतजार कर रही है कि कब उसके पिता का पोस्टमार्टम हो और वह उन्हें लेकर अपने घर के लिए रवाना हो, लेकिन सरकारी सिस्टम इतना लचर है कि एक नाम सुधरवाने के लिए मेडिकल प्रबंधन को चार दिन लग गए. तब जा कर नाम सुधार और फिर पोस्टमार्टम हुआ. इस बीच पिता का शव पाने के लिए मृतक की 9 साल की मासूम बेटी और 12 साल का बेटा 42 डिग्री तापमान में मेडिकल अस्पताल प्रबंधन और पुलिस के चक्कर काटने को मजबूर हुए.  यानी चार दिन बाद मृतक का अंतिम संस्कार सिवनी में किया गया.

बदमाशों के हमले में घायल हुए थे मृतक

दरअसल, बीते 23 मई को सिवनी जिले के कोतवाली थाना क्षेत्र अंतर्गत बस स्टैंड निवासी अंकित मिश्रा मेले में दुकान लगाया हुआ था. उसी दौरान अज्ञात बदमाशों ने चाकू से हमला कर उन्हें लहूलुहान कर दिया. अंकित की पत्नी अंजना मिश्रा अपने पति को बचाने के लिए दौड़ी तो हमलावरों ने पत्नी को भी चाकुओं से हमला कर घायल कर दिया. इसके बाद घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने आनन फानन में दोनों पति-पत्नी को एम्बुलेंस की मदद से सिवनी के सरकारी अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने अंकित और उसकी पत्नी अंजना को इलाज के लिए जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल अस्पताल रेफर कर दिया. करीब 12 घंटे तक इलाज के बाद 24 मई को अंकित ने दम तोड़ दिया. वहीं, पत्नी अंजना का अब भी इलाज चल रहा है.

Advertisement

ऐसे भटकते रहे परिजन

मृतक अंकित मिश्र की बहन गीता ने बताया कि 23 मई को एम्बुलेंस चालक भाई और भाभी को इलाज के लिए मेडिकल अस्पताल लेकर आया था. मेडिकल अस्पताल में दाखिला कराने के दौरान चालक ने भाई का नाम अंकित मिश्रा की जगह मनीष मिश्रा लिखा दिया. जहां 24 मई को इलाज के दौरान अंकित की मौत हो गई. अंकित की मौत के बाद परिजन शव लेने पहुंचे तो डॉक्टर और पुलिस ने मनीष मिश्रा नाम न होकर दस्तावेज में अंकित होने की वजह से पोस्टमार्टम करने से साफ इंकार कर दिया. परिजनों के द्वारा मृतक का वोटर आईडी एवं 50 रुपये के स्टाम्प ड्यूटी एफिडेविट दिया. इसके बाद भी अधिकारी पिछले चार दिनों से भटका रहे थे. मृतक की बहन माया ने बताया कि पुलिस ने पूछने पर बताया है कि 26 मई को रविवार होने की वजह से छुट्टी का दिन है. इसलिए पोस्टमार्टम नहीं हो सका, कल सुबह मेडिकल ओपीडी से लेकर वार्ड तक में नाम सुधरवाया जाएगा. इसके बाद पीएम होगा फिर शव सुपुर्द किया जाएगा.

Advertisement

पुलिस ने देरी की ये बताई वजह

 इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर चार दिन बीत जाने के बाद भी पोस्टमार्टम क्यों नहीं हुआ. आखिर इस देरी से मृतक के अपने को होने वाली परेशानी की जवाबदेही किस की बनती है, यह बड़ा सवाल है. वहीं, पूरे मामले में गढ़ा थाना में पदस्थ सब इंस्पेक्टर अनिल कुमार का कहना है कि मेडिकल से एक रिपोर्ट पुलिस चौकी पहुचीं थी, जिसमें नाम में गड़वड़ी होने के चलते पोस्टमार्टम नहीं हो सका. मृतक के मूल दस्तावेज और नोटरी के कागज ले लिए गए हैं. मेडिकल से नाम सुधरने के बाद पोस्टमार्टम कराया जाएगा. इसके बाद शव परिजनों के सुपुर्द कर दिया जाएगा.