Digital Arrest: सेक्सटॉर्शन मामले में 5 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट, पुलिस ने बड़ी ठगी से युवक को ऐसे बचाया

MP Digital Arrest Case: इन दिनों डिजिटल अरेस्ट के मामले बढ़ते जा रहे हैं. मध्य प्रदेश के जबलपुर में सेक्सटॉर्शन मामले में पांच घंटे तक एक युवक डिजिटल अरेस्ट हुआ. 

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MP Cyber Crime News: मध्य प्रदेश के जबलपुर में डिजिटल अरेस्ट का एक मामला सामने आया है. यहां का एक युवक फर्जी सेक्सटॉर्शन मामले में 5 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट होता रहा. कुछ पैसे भी गंवा दिए. लेकिन बड़ी ठगी होने से पुलिस ने उसे बचा लिया. डीआईजी तुषारकांत विद्यार्थी और साइबर सेल की टीम की सूझबूझ से युवक न केवल ठगी का शिकार होने से बचा बल्कि साइबर क्रिमिनल्स के चंगुल से मुक्त हो गया. 

ये है मामला 

सिल्क एंड सॉल्ट सैलून में काम करने वाले पवन कुमार कॉपसे को एक अज्ञात नंबर से फोन आया. कॉलर ने खुद को पुलिस अधिकारी बताकर आरोप लगाया कि उनकी आईडी का उपयोग कर "एक्स-वीडियो" नामक साइट पर अश्लील वीडियो कॉल की गई है. आरोपी ने उन्हें फर्जी "सेक्सटॉर्शन" मामले में फंसाने की धमकी दी और पैसे की मांग की.

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डर के कारण पवन ने धीरे-धीरे 14,500 रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिए. इसके बाद कॉलर ने और पैसे मांगते हुए 24,000 रुपये की मांग की. इसी दौरान पवन के घबराए व्यवहार को देखकर उनके सैलून मालिक ने इस घटना को फ्रॉड समझा और डीआईजी तुषारकांत विद्यार्थी से संपर्क किया.

डीआईजी तुषारकांत विद्यार्थी ने पवन को समझाया कि यह साइबर फ्रॉड है और उन्हें डरने की जरूरत नहीं है. कॉलर से बात कर डीआईजी ने उसे चेतावनी दी कि वह पुलिस के निशाने पर है और उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.यह सुनते ही फ्रॉड कॉलर ने तुरंत फोन काट दिया.

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तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए

इसके बाद डीआईजी ने साइबर सेल प्रभारी उप निरीक्षक नीरज नेगी और उनकी टीम को तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए. साइबर सेल ने ऑनलाइन पोर्टल पर शिकायत दर्ज की और त्वरित कार्रवाई करते हुए 7,500 रुपये की रकम होल्ड करवा ली. साथ ही पवन के 24,000 रुपये ठगे जाने से भी बचा लिया गया. 

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लगभग 5 घंटे तक डिजिटल ब्लैकमेलिंग का शिकार रहे पवन को डीआईजी विद्यार्थी के मार्गदर्शन और साइबर सेल की मेहनत से राहत मिली. इस कार्य में साइबर सेल जबलपुर और भोपाल की टीम के आरक्षक धर्मेंद्र ने भी सहयोग किया.

घटना के बाद डीआईजी टी के विद्यार्थी ने साइबर फ्रॉड के विभिन्न तरीकों और उनसे बचने के उपायों पर जानकारी दी.DIG ने बताया कि -
पेंशन फ्रॉड: पेंशन विभाग कभी भी "जीवन प्रमाण पत्र" अपडेट करने के लिए कॉल नहीं करता है.
केवाईसी अपडेट फ्रॉड: बैंक अधिकारी बनकर केवाईसी अपडेट का झांसा देकर ठगी की जाती है.
रिश्तेदार के नाम पर ठगी: अस्पताल में भर्ती रिश्तेदार का हवाला देकर पैसे मांगे जाते हैं.
लालच देकर ठगी: गिफ्ट कार्ड, कैशबैक, या लिंक के जरिए रिमोट एक्सेस एप डाउनलोड कर ठगी की जाती है.
फर्जी जॉब ऑफर: ईमेल के जरिए फर्जी अपॉइंटमेंट लेटर देकर ठगी होती है.

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सतर्क रहें, सुरक्षित रहें

DIG ने कहा कि यह घटना एक बड़ा सबक है कि किसी भी अनजान कॉल या मैसेज पर विश्वास न करें. सतर्कता और समय पर सही कदम उठाने से साइबर अपराधों से बचा जा सकता है. यदि आप किसी भी प्रकार की ठगी का शिकार हों, तो तुरंत साइबर सेल या नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करें.

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