Tasleem Chudiwala Case: इंदौर के बहुचर्चित तस्लीम चूड़ीवाला मामले में सोमवार को सेशन कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए तस्लीम को सभी आरोपों से बरी कर दिया. तीन साल पहले बाणगंगा इलाके में तस्लीम को उसकी धार्मिक पहचान के आधार पर निशाना बनाकर मारपीट की गई थी. अब अदालत के इस फैसले ने न केवल तस्लीम को न्याय दिलाया, बल्कि समाज में समानता और सद्भाव का संदेश भी दिया.
सुनवाई के दौरान तस्लीम के वकील ने अदालत को यह बताया कि यह मामला क्रॉस रिपोर्टिंग का है. तस्लीम ने अपने साथ मारपीट करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसके जवाब में कुछ संगठनों ने पुलिस पर दबाव डालकर तस्लीम पर गंभीर धाराओं में केस दर्ज करवाया. उन्होंने बताया कि जांच के दौरान तस्लीम के पास से दो आधार कार्ड मिले थे, लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि दूसरा आधार कार्ड केवल करेक्शन के कारण बनाया गया था. पुलिस अदालत में यह साबित नहीं कर पाई कि तस्लीम ने किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी की है. जिसके आधार पर अदालत ने पाया कि पुलिस अपने आरोपों को उचित तरीके से प्रमाणित करने में असफल रही. इसके चलते नाबालिग से छेड़छाड़ और साजिश के आरोप पूरी तरह से निराधार साबित हुए और तस्लीम को सभी आरोपों से बाइज्जत बरी कर दिया गया.
यह है तस्लीम चूड़ीवाला मामला
तस्लीम, जो फेरी लगाकर चूड़ी और कंगन बेचने का काम करता है, 2021 में इंदौर के बाणगंगा इलाके में अपने काम के दौरान कुछ लोगों की हिंसा का शिकार हुआ था. भीड़ ने तस्लीम का नाम पूछकर उसके धर्म को लेकर सवाल उठाए.उसे इस इलाके में काम करने के लिए कहा गया. साथ ही उसकी पिटाई भी की गई और कथित दो आधार कार्ड रखने का आरोप लगाकर वीडियो बनाकर नफरत फैलाई गई. घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया, जिससे समाज में कटुता का माहौल पैदा हुआ. इसके साथ ही उसे मारपीट और भेदभाव का सामना भी करना पड़ा. उसे इलाके में व्यापार करने से रोकने की कोशिश की गई.इसके बाद पुलिस ने कुछ संगठनों के दबाव में आकर उल्टे उसके खिलाफ ही पॉक्सो जैसे गंभीर अपराध में मामला दर्ज कर जेल भेज दिया.
कांग्रेस ने दी कानूनी मदद
घटना के बाद तस्लीम को न्याय दिलाने में कांग्रेस का अल्पसंख्यक विभाग और अन्य नेताओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष इमरान प्रतापगढ़ी के निर्देश पर प्रदेश अध्यक्ष शेख अलीम ने तस्लीम को न्यायिक मदद देने का फैसला किया था. इसके बाद शेख अलीम ने लीगल ऐड संस्था के वकीलों की टीम के साथ मिलकर तस्लीम की जमानत करवाई.इस दौरान तीन साल तक अदालत में मुकदमे की सशक्त पैरवी की गई, जिसके परिणामस्वरूप कोर्ट ने तस्लीम को दोषमुक्त करार दिया.
तस्लीम ने जनता और न्यायालय का जताया आभार
तस्लीम ने फैसले के बाद शहर की न्यायप्रिय जनता और माननीय न्यायालय का आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि मेरी अपील है कि गरीब फेरीवालों और व्यापारियों के साथ धर्म या मजहब के आधार पर कोई भेदभाव न किया जाए. यह हमारे समाज के लिए जरूरी है कि सभी को समान अधिकार मिले. उन्होंने पूरी प्रक्रिया में सहयोग के लिए शेख अलीम, कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग और इंदौर के अमनपसंद नागरिकों का आभार जताया.
भाईचारे और समानता की जीत
तस्लीम की बाइज्जत रिहाई ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि कानून के समक्ष सब समान है. यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति को न्याय दिलाने का नहीं था, बल्कि पूरे समाज को यह संदेश देने का था कि धार्मिक भेदभाव और नफरत की राजनीति को हराया जा सकता है.
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
कांग्रेस ने तस्लीम के बरी होने पर खुशी जताई है. प्रदेश अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष शेख अलीम ने कहा कि यह फैसला एक मिसाल है कि न्यायालय में सच्चाई की जीत होती है. कांग्रेस हमेशा मज़लूमों के साथ खड़ी है और रहेगी.
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तस्लीम चूड़ी वाला मामला हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि समाज में धार्मिक भेदभाव कितनी गहरी समस्या बन चुका है. इस फैसले ने न केवल तस्लीम को न्याय दिलाया, बल्कि समाज को समानता और न्याय का महत्व भी सिखाया.
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