MP : 'गरबा पंडाल में गोमूत्र को प्रसादी रूप में पिलाएं' विवादों मे घिरे तो BJP नेता ने दी ये सफाई

MP News: इंदौर भाजपा के जिलाध्यक्ष ने गरबा पंडाल में गोमूत्र को प्रसादी स्वरूप पिलाने के मामले में सफाई दी है. आइए जानते हैं बीजेपी के इस नेता ने क्या कहा ? 

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Madhya Pradesh News: नवरात्रि के पावन 9 दिन अब कल से शुरू होने जा रहे हैं. इसी बीच इंदौर भाजपा जिलाध्यक्ष चिंटू वर्मा ने गरबा पंडाल में प्रवेश लेने वाले सभी भक्तों को अनिवार्य रूप से गोमूत्र पिलाने का आह्वान किया. उन्होंने इसे प्रसादी रूप में वितरित करने की बात कही. इस बयान के बाद कांग्रेस ने उन्हें घेरना शुरू किया तो अब उन्होंने इसकी सफाई दी है. 

क्या था इंदौर भाजपा जिलाध्यक्ष का शुरुआती बयान?

इंदौर भाजपा जिलाध्यक्ष चिंटू वर्मा ने कहा था कि गरबा करना माता की आराधना का एक तरीका है. ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसमें सम्मिलित होना चाहिए. माता की आराधना हमारी बहन-बेटियां करती हैं और इसमें कई बार कुछ लोगों के सम्मलित होने से चर्चा शुरू होती है. मेरा ऐसा मानना है और मैं सबसे आह्वान भी करना चाहूंगा कि हम पंडाल में प्रसाद वितरण करते ही हैं तो प्रसाद स्वरुप गोमूत्र सभी को देना ही चाहिए. 

जो भी आए प्रवेश के पूर्व गो माता का गोमूत्र पिएं. नवरात्र हमारी माता की शक्ति का पर्व है तो सभी चंदन का तिलक लगाए. आधार कार्ड में एडिटिंग हो जाती है, लेकिन मेरा मानना है कि गो माता के मूत्र से हमें शक्ति मिलती है और पवित्रता आती है.

अब दी ये सफाई 

भाजपा का जिलाध्यक्ष ने कहा कि एक पवित्र भाव के साथ और बहुत पवित्र मन के साथ मैंने अपनी बहुत पवित्र बात को व्यक्त किया था. लेकिन उसको बहुत से लोगों ने, कांग्रेस ने एक विवाद का रूप दे दिया. मेरा ऐसा मानना है कि सभी की एक धार्मिक मान्यता रहती है. हमारा भारत सर्वधर्म समभाव वाला देश है. मेरे व्यक्तिगत विचार किसी प्रकार से कोई अनिवार्यता को चिन्हित नहीं कर रहे थे.

बहुत पवित्र भाव था. हम सनातन संस्कृति के हैं और ऋषि मुनियों के समय से जो हमारी अनादि काल से परंपरा चली आ रही आज भी हम उन चीजों का पालन करते हैं.

बीजेपी के जिलाध्यक्ष ने कहा कि मैं समझता हूं कि जो मेरा व्यक्तिगत विचार था उसको किसी प्रकार के विवाद का रूप नहीं देना चाहिए. समय-समय पर जो भी त्यौहार आते हैं उन त्योहारों को मनाने की अपनी एक परिपाटी है. भारत में सभी को सभी प्रकार के स्वतंत्रता है लेकिन धार्मिकता के साथ, पवित्रता के साथ जो हमारी परंपरा है, हमारी आस्था को मैंने व्यक्त किया उसको मैं समझता हूं कि वह वाद विवाद का विषय नहीं है बल्कि आस्था का विषय है. 

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