Tribal Uprising in Freedom Struggle: स्वतंत्रता आंदोलन में आदिवासियों की सहभागिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 1910 में हीरा सिंह देव (Heera Singh Dev) उर्फ कंगला मांझी (kangla Manjhi) ने मांझी सरकार (Manjhi Sarkar) की नींव रखी थी. बैतूल में आज भी नेताजी सुभाषचंद्र बोस (Netajee Subhash chandra Bose) की सेना है, जिन्हें माझी सैनिक (Manjhi Army) कहा जाता है. नेताजी सुभाष चन्द्र बोस से प्रेरित होकर कंगला माझी ने इस सुभाष सेना का गठन किया था.
आजादी की लड़ाई में इन माझी सैनिकों का भी योगदान रहा है. आज भी जब किसी जनहित के मुद्दे पर आवाज बुलंद करना हो, या किसी आपातकालीन स्थिति में माझी सैनिक को बुलाया जाता है, तो हजारों की तादाद में सुभाष सेना की वर्दी पहनकर ये लोग सड़कों पर रैली धरना या मदद करते हैं. अकेले बैतूल जिले में माझी सेना के 50 हज़ार महिला और पुरुष सैनिक हैं. इस सेना में चौकीदार से लेकर कर्नल तक के रैंक के होते हैं.
नई दिल्ली में है मांझी सेना का हेडक्वार्टर
1951 में विधिवत सेना का गठन कर और वर्दी पहना कर पद दिए गए थे. उसी के बाद से मांझी सेना आदिवासी हितों की रक्षा करने और प्रशासन की मददगार बन कर काम कर रही है. माझी सेना को किसी प्रकार की सरकारी से आर्थिक सहायता नहीं मिलती है. सेना को 1951 में भारत गोंडवाना के नाम से वर्दी दी गई थी. यह लोग आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए हमेशा खड़े रहते हैं. खास बात यह है कि सैनिक हथियारों से लैस नहीं होते हैं. यह निहत्थे खाली हाथ ही आदिवासियों के आपसी वाद विवाद और लड़ाई झगड़े का निपटारा करते हैं.
मांझी सेना ऐसे करती है काम
मांझी अंतर्राष्ट्रीय समाजवाद आदिवासी किसान सैनिक का कार्यालय नई दिल्ली आदिवासी कैंप में है. हर जिले में इसके प्रतिनिधि हैं. इससे जुड़े सैनिक खेती किसानी करते हैं. वहीं,कुछ मजदूरी करते हैं. यह सभी नि:स्वार्थ भावना से संस्था से जुड़े हुए हैं. इसमें प्रतिनिधि, प्रेसिडेंट, सेकेट्री और चपरासी चार पद होते हैं. चार पद महिला को भी दिया जाता है. जिसका बिल्ला बैच उन लोगों को दिया जाता है. सैनिकों का कहना है कि वह आज भी मांझी के बताए रास्ते पर चल रहे हैं.
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शिक्षा,स्वास्थ्य और आदिवासी समाज को एकजुट करना ही संगठन का उद्देश्य है. सभी वर्दीधारी आदिवासियों के हितों की रक्षा के लिए खड़े रहते हैं. यह सेना पिछड़े,आदिवासी वर्ग के लोगों को उनका अधिकार दिलाने के लिए बिना किसी हथियार के शांतिपूर्ण ढंग से काम कर रही है.
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