वाह रे सिस्टम ! नहीं सुनी फरियाद तो खुद का सहारा बने लोग, ऐसे पेश की मिसाल

Maihar News in Hindi : यह मामला मैहर जिला मुख्यालय से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर बने करौंदिया गांव का है. कहने के लिए यह गांव नगर परिषद न्यू रामनगर का हिस्सा है लेकिन एक दशक से नगर परिषद यहां रहने वाले लोगों के लिए छोटी-सी मांग पूरी नहीं कर सका.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
वाह रे सिस्टम ! नहीं सुनी फरियाद तो खुद का सहारा बने लोग, ऐसे पेश की मिसाल

Madhya Pradesh News in Hindi : मध्य प्रदेश के मैहर जिले में रहने वाले लोग करीब एक दशक से प्रशासनिक उदासीनता का दंश झेल रहे है. इसी कड़ी में ग्रामीणों ने एकजुटता की मिसाल पेश करते हुए नदी पर जुगाड़ का पुल तैयार कर अपने लिए रास्ता निकाल लिया. पिछले 11 दिनों से घरों में कैद ग्रामीणों की फरियाद जब जिला प्रशासन ने नहीं सुनी तो सभी ने मिलकर लकड़ी का पुल बनाया और तट पार करना शुरू कर दिया. यह मामला मैहर जिला मुख्यालय से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर बने करौंदिया गांव का है. कहने के लिए यह गांव नगर परिषद न्यू रामनगर का हिस्सा है लेकिन एक दशक से नगर परिषद यहां रहने वाले लोगों के लिए पुल मंजूर नहीं कर सका.

बरसात में सड़क का बुरा हाल

करौंदिया गांव में लगभग दो सैकड़ा परिवार रहते हैं, जिनकी स्कूल, कॉलेज, खेती और रोजगार की सभी सुविधाएं पूरी बाहरी क्षेत्र में निर्भर हैं. लेकिन बरसात के दिनों में सभी का रास्ता यहां से गुजरने वाली नदी रोक देती है. बच्चे स्कूल नहीं पहुंच पाते, किसान खेतों तक नहीं जा पाते, और मरीज रास्ते के अभाव में घरों में कैद रहते हैं. कुल मिलाकर पुल नहीं होने से सभी का जीवन बेहद कष्टमय हो गया है.

Advertisement

लोगों ने कई बार उठाया मुद्दा

कई बार ग्रामीणों ने जिला प्रशासन को इस बारे में उचित कदम उठाने का आग्रह किया, लेकिन उन्हें हर बार केवल आश्वासन मिले. पिछले दिनों जिला कलेक्टर ने भी सात दिन के अंदर रास्ता और पुल की व्यवस्था करने का आश्वासन दिया था, लेकिन हकीकत में कुछ नहीं हुआ.

Advertisement

लोगों ने 11 दिनों बाद बाँधा पुल

करौंदिया गांव के लोगों ने बताया कि गांव के सभी लोगों ने मिलकर पहले से बांस की लकड़ियां जुटाईं. इसके बाद उसे खड़ा करने में लगभग 11 दिन लग गए. यह पुल वैकल्पिक रूप से बना है. चूंकि नीचे से पानी बह नहीं रहा है, ऐसे में बेस सही तरीके से नहीं बना. एक बार में दो से तीन लोगों के गुजरने पर टूटने का खतरा है. ऐसे में बारी-बारी से लोग पुल पार कर रहे हैं. बच्चों को भी क्रमवार पुल पार कराया जाता है.

Advertisement

ये भी पढ़ें : 

45 लाख खर्च करने के बाद भी पार्क खस्ताहाल ! कहीं झूले खराब, कहीं फव्वारे बंद 

स्कूल पहुंचने से बच्चे खुश

पिछले कई दिनों से यहां बरसात हो रही है, जिससे नदी उफान पर थी. नदी के बहाव के कारण कोई भी उसे पार करने का साहस नहीं दिखा रहा था. फिलहाल पुल से निकलकर बच्चे स्कूल पहुंचे और जन्माष्टमी मनाई. अब वे बेहद खुश हैं. गौरतलब है कि पूर्व में करौंदिया में एक ईजीएस शाला थी, जिसमें बच्चे पढ़ते थे, लेकिन बरसात के दिनों में शिक्षक नहीं पहुंच पाते थे, लिहाजा स्कूल ही बंद हो चुका है.

ये भी पढ़ें : 

वाह रे सिस्टम ! नहीं सुनी फरियाद तो.... लोगों ने खुद ही बना दी जुगाड़ की पुलिया

Topics mentioned in this article