Madhya Pradesh News in Hindi : मध्य प्रदेश के मैहर जिले में रहने वाले लोग करीब एक दशक से प्रशासनिक उदासीनता का दंश झेल रहे है. इसी कड़ी में ग्रामीणों ने एकजुटता की मिसाल पेश करते हुए नदी पर जुगाड़ का पुल तैयार कर अपने लिए रास्ता निकाल लिया. पिछले 11 दिनों से घरों में कैद ग्रामीणों की फरियाद जब जिला प्रशासन ने नहीं सुनी तो सभी ने मिलकर लकड़ी का पुल बनाया और तट पार करना शुरू कर दिया. यह मामला मैहर जिला मुख्यालय से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर बने करौंदिया गांव का है. कहने के लिए यह गांव नगर परिषद न्यू रामनगर का हिस्सा है लेकिन एक दशक से नगर परिषद यहां रहने वाले लोगों के लिए पुल मंजूर नहीं कर सका.
बरसात में सड़क का बुरा हाल
करौंदिया गांव में लगभग दो सैकड़ा परिवार रहते हैं, जिनकी स्कूल, कॉलेज, खेती और रोजगार की सभी सुविधाएं पूरी बाहरी क्षेत्र में निर्भर हैं. लेकिन बरसात के दिनों में सभी का रास्ता यहां से गुजरने वाली नदी रोक देती है. बच्चे स्कूल नहीं पहुंच पाते, किसान खेतों तक नहीं जा पाते, और मरीज रास्ते के अभाव में घरों में कैद रहते हैं. कुल मिलाकर पुल नहीं होने से सभी का जीवन बेहद कष्टमय हो गया है.
लोगों ने कई बार उठाया मुद्दा
कई बार ग्रामीणों ने जिला प्रशासन को इस बारे में उचित कदम उठाने का आग्रह किया, लेकिन उन्हें हर बार केवल आश्वासन मिले. पिछले दिनों जिला कलेक्टर ने भी सात दिन के अंदर रास्ता और पुल की व्यवस्था करने का आश्वासन दिया था, लेकिन हकीकत में कुछ नहीं हुआ.
लोगों ने 11 दिनों बाद बाँधा पुल
करौंदिया गांव के लोगों ने बताया कि गांव के सभी लोगों ने मिलकर पहले से बांस की लकड़ियां जुटाईं. इसके बाद उसे खड़ा करने में लगभग 11 दिन लग गए. यह पुल वैकल्पिक रूप से बना है. चूंकि नीचे से पानी बह नहीं रहा है, ऐसे में बेस सही तरीके से नहीं बना. एक बार में दो से तीन लोगों के गुजरने पर टूटने का खतरा है. ऐसे में बारी-बारी से लोग पुल पार कर रहे हैं. बच्चों को भी क्रमवार पुल पार कराया जाता है.
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स्कूल पहुंचने से बच्चे खुश
पिछले कई दिनों से यहां बरसात हो रही है, जिससे नदी उफान पर थी. नदी के बहाव के कारण कोई भी उसे पार करने का साहस नहीं दिखा रहा था. फिलहाल पुल से निकलकर बच्चे स्कूल पहुंचे और जन्माष्टमी मनाई. अब वे बेहद खुश हैं. गौरतलब है कि पूर्व में करौंदिया में एक ईजीएस शाला थी, जिसमें बच्चे पढ़ते थे, लेकिन बरसात के दिनों में शिक्षक नहीं पहुंच पाते थे, लिहाजा स्कूल ही बंद हो चुका है.
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