Impact : बेतवा नदी की सूखी धारा में लौटी जिंदगी, NDTV की खबर का असर, सीएम ने मामले पर लिया था संज्ञान

Impact Of NDTV : बेतवा नदी की सूखी धारा और उस पर छाए संकट को लेकर NDTV ने खबर की थी. इसके बाद समाज, सरकार और पर्यावरण प्रेमी सब खुलकर सामने आए. सीएम डॉ. मोहन यादव ने खुद इस मुद्दे पर संज्ञान लिया. टीम गठित की. अब नदी में फिर नई जल धारा आ गई है. उम्मीदों की किरण दिखी है.

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Water Stream Returned to Betwa River : मध्य प्रदेश की जीवन रेखा कही जाने वाली बेतवा नदी आखिरकार फिर से बहने लगी है. रायसेन जिले के झिरी गांव स्थित इसके उद्गम स्थल पर पिछले 18 महीनों से जलधारा पूरी तरह सूख चुकी थी, लेकिन NDTV की खबर के बाद इस विषय पर सरकार का ध्यान गया. अब असर दिखाई दे रहा है. मुख्यमंत्री मोहन यादव ने स्वयं इस मुद्दे पर संज्ञान लेते हुए उच्च स्तरीय बैठक बुलाई, जिसमें अधिकारियों को फौरन कार्रवाई के निर्देश दिए गए. इसके परिणामस्वरूप, झिरी ग्राम में जलधारा फिर से शुरू हो गई है, जिससे इलाके में खुशी की लहर है.

क्यों सूख गई थी बेतवा?

NDTV की ग्राउंड रिपोर्ट में सामने आया कि खेती के लिए अत्यधिक बोरिंग, अवैध अतिक्रमण का बड़ा कारण है. 
जलधारा के रास्ते में स्टॉप डेम का निर्माण किया जाना भी एक बड़ा कारण है. जिसकी वजह से बेतवा की मूल धारा को बंद कर दिया था. इस मामले पर जिम्मेदारों ने अपनी लापरवाही मानी है. 

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सीईओ अंजू भदौरिया बोलीं...

रायसेन जिला पंचायत की सीईओ अंजू भदौरिया ने NDTV से बातचीत में माना कि झिरी ग्राम में जरूरत से ज़्यादा बोरिंग के कारण जलस्तर काफी गिर गया, जिससे जलधारा पूरी तरह सूख गई थी. सीईओ अंजू भदौरिया कहती हैं, झिरी ग्राम में प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया गया. झिरी ग्राम में पर्यावरण के लिए पौधे लगाए जा रहे हैं. साथ ही छोटे-छोटे तालाबों का निर्माण भी कराया जाएगा, जिससे वहां जलस्तर बना रहे. लोगों को आशा और आस्था से जोड़ने का काम भी प्रशासन कर रहा है.

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समाज का भी दायित्व

बेतवा बचाओ समिति के बद्री साहू का कहना है- "अगर अभी हम नहीं जागे, तो अगले 10 सालों में बेतवा पूरी तरह विलुप्त हो सकती है." वहीं, वर्षों से सेवा में लगे जगन्नाथ गोइया कहते हैं , "बेतवा को बचाना सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि समाज, संतों और आम लोगों को भी आगे आना होगा."

राकेश मीणा, जो लगातार इस मुद्दे पर कार्य कर रहे हैं, कहते हैं-“जलधारा का शुरू होना राहत की बात है, लेकिन अब इससे जुड़ी हर गतिविधि पर निगरानी और संरक्षण जरूरी है.” बेतवा नदी की जलधारा का फिर से बहना उम्मीद की किरण है, लेकिन इसका भविष्य तभी सुरक्षित रहेगा, जब सरकार और समाज मिलकर इसके संरक्षण के लिए लगातार प्रयास करें.

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