Cough Syrup Case Chhindwara Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में खांसी की दवा पीने से 16 बच्चों की मौत के बाद जिम्मेदारों पर कार्रवाई शुरू हुई तो उनके समर्थन में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (indian medical association) उतर आया है. संगठन ने इस मामले में डॉ. प्रवीण सोनी की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए देशभर में हड़ताल (Doctors strike) की चेतावनी दी है.
बताया जा रहा है कि डॉ. प्रवीण सोनी ने वही खांसी की दवा लिखी थी, जिसे पीने के बाद बच्चों की कथित रूप से किडनी फेल होने से मौत हो गई थी. पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें 9 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.
इस पर IMA के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. अरविंद जैन ने कहा कि यदि बिना गलती के इस तरह डॉक्टर को जेल भेजा जाएगा, तो डॉक्टरों के लिए इलाज करना और दवा लिखना मुश्किल हो जाएगा. उन्होंने कहा कि डॉक्टर ने भारत सरकार द्वारा अधिकृत दवा लिखी थी. यदि बच्चों की मौत का सारा दोष डॉक्टर पर डालकर जेल भेज दिया गया, तो मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश के डॉक्टर हड़ताल पर जा सकते हैं.
IMA ने घोषणा की है कि अभी अगले एक-दो दिन छिंदवाड़ा के डॉक्टर काली पट्टी बांधकर काम करेंगे और सरकार के रुख को देखकर आगे का निर्णय लिया जाएगा.
संगठन ने मांग की है कि असली दोषियों दवा निर्माता कंपनी और नियामक अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए, साथ ही डॉक्टर और प्रभावित परिवारों को मुआवजा दिया जाए. IMA ने डॉक्टर की गिरफ्तारी को गलत बताते हुए कहा कि यह जल्दबाजी में की गई कार्रवाई है, जिससे जनता का ध्यान असली गलती (कंपनी और नियामक एजेंसियों) से भटकाने की कोशिश की जा रही है.
IMA के अनुसार, दवा में मिलावट की वजह सस्ती इंडस्ट्रियल ग्रेड DEG/EG का उपयोग है, जो जहरीले होते हैं लेकिन फार्मा ग्रेड जैसी ही दिखते हैं. संगठन ने कहा कि CDSCO और MPFDA जैसी गुणवत्ता जांच एजेंसियां दूषित दवा रोकने में असफल रही हैं. डॉक्टर केवल बाजार में उपलब्ध और स्वीकृत दवाएं लिखते हैं, उन्हें मिलावट की जानकारी नहीं हो सकती.
IMA ने यह भी कहा कि लोग अक्सर बिना डॉक्टर की सलाह के खांसी की दवा खरीद लेते हैं, जबकि सामान्य खांसी-जुकाम खुद ही ठीक हो जाता है.
भारत में कमजोर दवा नियंत्रण व्यवस्था
साल 2003 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में दवा नियामक प्रणाली कमजोर है और संसाधनों की कमी से जूझ रही है. स्वीकृत दवा की बिक्री रोकने का निर्देश देना ड्रग कंट्रोलर के अधिकार क्षेत्र से बाहर बताया गया था.
IMA ने चेतावनी दी है कि डॉक्टरों को डराने-धमकाने की कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी. संगठन का कहना है कि इस मामले में असली जिम्मेदारी दवा निर्माता कंपनियों और सरकारी अधिकारियों की है, न कि डॉक्टर की.