स्वास्थ्य सेवा या जिंदगी से खिलवाड़ ? सतना में बिना लाइसेंस चल रहा अस्पताल सीज

Illegal Hospital : मध्य प्रदेश के सतना में अवैध रूप से चल रहे एक फर्जी अस्पताल का खुलासा हुआ है. खुलासे के बाद स्वास्थ्य विभाग ने एक्शन लेते हुए जांच की तो पता चला कि न तो इस अपस्ताल का रजिस्ट्रेशन है और न ही लाइसेंस जारी हुआ है.

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सतना में मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ ! बिना लाइसेंस के कैसे खुल गया अस्पताल ?

Madhya Pradesh News in Hindi : मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सतना (Satna) में बिना लायसेंस के चल रहे एक प्राइवेट अस्पताल पर शिकंजा कसा गया है. मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी की टीम ने सोमवार को ताला जड़ दिया. दरअसल, शहर की त्रिमूर्ति नर्सिंग होम के पास गैलेक्सी हॉस्पिटल नाम का अस्पताल फर्जी तरीके से चल रहा था. बीते कई समय से ये अस्पताल चल तो रहा था लेकिन लायसेंस अब तक नहीं लिया गया था. सरकारी व्यवस्था को खुली चुनौती देने वाले इस अस्पताल की खबर जैसे ही स्वास्थ्य विभाग को हुई तो मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी की टीम मौके पर पहुंचीं. छानबीन में खुलासा हुआ कि न तो इस अपस्ताल का रजिस्ट्रेशन है और न ही लाइसेंस जारी हुआ है.

अवैध अस्पताल के खुलासे पर हुआ एक्शन 

इसी कड़ी में मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी की टीम ने यहां भर्ती किए गए सभी मरीजों को जिला अस्पताल सतना शिफ्ट करवाया और अवैध तरीके से चल रहे अस्पताल में ताला जड़ दिया गया. गैलेक्सी हॉस्पिटल को स्वास्थ्य विभाग से लाइसेंस नहीं मिला. इसके बाद भी हॉस्पिटल ने आयुष्मान कार्डधारकों को आयुष्मान का लाभ दिए जाने का दावा किया है. बिल्डिंग के बाहर गैलेक्सी हॉस्पिटल का बोर्ड भी लगाया गया है. जिसमें नोट के तौर पर लिखा गया कि कार्डधारकों के लिए आयुष्मान कार्ड एवं कैशलेस की सुविधा है. इससे एक बात तो साफ है कि हॉस्पिटल का स्टाफ सीधे-सीधे मरीजों के गुमराह कर रहा है.

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अस्पताल के ICU में चल रहा मरीजों का इलाज

इस अस्पताल में तीसरे और चौथे फ्लोर में बेड लगाकर मरीजों का इलाज किया जा रहा है. अभी भी डॉ. टी सिंह, डॉ. डी डी मिश्रा मरीजों का इलाज करने के लिए अस्पताल में पहुंच रहे है. गैलेक्सी हॉस्पिटल के नाम पर चल रहे अस्पताल में एक-एक कमरे के ICU वार्ड भी बनाए गए है, जिसमें सिर्फ एक जंबो ऑक्सीजन सिलेंडर और 1 मरीज और 1 परिजन के लिए बेड लगे हुए पाए गए. गैलेक्सी हॉस्पिटल के संचालक ने इसे ICU वार्ड का नाम दे दिया. बकायदा इन कमरों में मरीजों को भर्ती कर इलाज भी किया गया. अस्पताल बिल्डिंग की तीसरी और चौथी मंजिल में चलाया जा रहा था. इस मामले में जब फोन पर CMHO डॉ. एलके तिवारी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अस्पताल का लायसेंस नहीं था. जांच के बाद अस्पताल को बंद करने का नोटिस जारी किया गया है.

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