Jabalpur News in Hindi: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के जबलपुर के एक अस्पताल में आज लगी आग की घटना ने एक बार फिर सरकारी विभागों की कार्यप्रणाली की पोल खोल दी है. जिम्मेदार विभाग एक-दूसरे पर दोष मढ़ने में लगे हैं, जबकि जिम्मेदारी तय करने की कोई स्पष्टता नहीं दिख रही है. चिकित्सा विभाग (Health Department) का कहना है कि अब फायर एनओसी (NOC) और बिल्डिंग सर्टिफिकेट जारी करने की जिम्मेदारी नगर निगम को दे दी गई है. स्वास्थ्य विभाग तो तभी अस्पताल को लाइसेंस देता है जब नगर निगम द्वारा ये प्रमाण पत्र जारी किए जाते हैं.
फायर विभाग ने कही ये बात
नगर निगम के फायर विभाग का कहना है कि सरकार के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार जबलपुर के 153 अस्पतालों में से केवल 24 बड़े अस्पताल, जिनमें 50 या उससे अधिक बिस्तर हैं उनका फायर ऑडिट करने का अधिकार अब नगर निगम के पास है. बाकी अस्पतालों की जांच और ऑडिट निजी एजेंसियों के हवाले कर दी गई है. इस गंभीर स्थिति के बाद, कलेक्टर के आदेश पर अब छह विभागों की संयुक्त टीम शहर के 153 अस्पतालों का निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी.
ये भी पढ़ें :- NSS कैंप में नमाज पढ़ाने के मामले में बड़ी कार्रवाई, गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर दिलीप झा गिरफ्तार
जिम्मेदारों पर खड़े हुए सवाल
लोगों का कहना है कि सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि जिन अस्पतालों का लाइसेंस पहले ही निरस्त किया जा चुका था, वे फिर किसके आदेश से चल रहे थे? और अब उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कौन करेगा? यह घटना न केवल सरकारी लापरवाही की ओर इशारा करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि किस तरह आमजन की जान खतरे में डालकर अस्पतालों को बगैर मानकों के संचालन की छूट मिलती जा रही है.
ये भी पढ़ें :- Sidhi News: अचानक गिर गया जिला अस्पताल का Main Gate, बाल बाल बचे सुरक्षाकर्मी और मरीजों के परिजन