Jagannath Swami Temple: कढ़ी-चावल के प्रसाद के लिए आते हैं लाखों भक्त, विंध्य के भगवान जगन्नाथ की होली में है खास मान्यता

Holi Special 2025: श्री जगन्नाथ स्वामी मंदिर, मुकुन्दपुर में होली के शुभ अवसर पर खास मेले का आयोजन किया जाता है. यहां भगवान जगन्नाथ को चढ़ने वाले कढ़ी-चावल प्रसाद को ग्रहण करने के लिए दूर-दूर से लाखों की संख्या में भक्त आते हैं. आइए आपको इस धाम की खास मान्यता के बारे में विस्तार से बताते हैं.

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Holi Special Mahaprasad: एमपी के श्री जगन्नाथ स्वामी मंदिर में महाप्रसाद के लिए लाखों में आते हैं भक्त

Maihar News in Hindi: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के विंध्य क्षेत्र में श्री जगन्नाथ स्वामी मंदिर, मुकुन्दपुर (Jagannath Swami Temple) में हर वर्ष की तरह इस साल भी होली के अवसर पर अटका महापर्व (Atka Mahaparv) आयोजित किया जाएगा. श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति ने आयोजन की तैयारी पूरी कर ली है. महाप्रसाद चढ़ाने के लिए अलग-अलग भक्त को अवसर दिया गया है. बताया जाता है कि श्री जगन्नाथ मंदिर में अटका पर्व के दौरान अटका प्रसाद चढ़ाने और कढ़ी-भात का प्रसाद ग्रहण करने के लिए रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली और पन्ना के अलावा देश के कोने-कोने से लाखों की संख्या में श्रृद्धालु यहां उमड़ते हैं. यहां कहावत है, 'जगन्नाथ के भात को जगत पसारे हाथ' होली के दिन विंध्य धरा मुकुंदपुर में चरितार्थ होती है.

महाप्रसाद के लिए लाखों की संख्या में आते हैं लोग

अटका प्रसाद का है खास महत्व

श्री जगन्नाथ स्वामी मंदिर में चढ़ने वाले अटका प्रसाद का अत्यंत महत्व है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसी मान्यता है कि जगन्नाथ स्वामी के दर्शन और उनके महाप्रसाद के सेवन से मनुष्य पाप मुक्त हो जाता है. उनके भात को लेकर सदियों से जाति पंथ का भेदभाव समाप्त हुआ. उनके प्रसाद के रूप में मानव में एकांकी भाव का प्रकटीकरण होता है और सामाजिक समरसता और भाई चारा को बढ़ावा मिलता है.

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फगुआ के दिन कढ़ी-भात

बताया जाता है कि अटका महाप्रसाद चढ़ाने वाले भक्त को मंदिर की साज सज्जा, मरम्मतीकरण और फगुआ के दिन जुटने वाली लाखों की भीड़ को कढ़ी-भात का भंडारा कराना होता है. हर वर्ष अलग-अलग भक्त को महाप्रसाद चढ़ाने का मौका मिलता है.

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महाप्रसाद चढ़ाने के लिए हर साल नए भक्त को दिया जाता है मौका

महाराजा ने कराया था निर्माण

मुकुंदपुर जगन्नाथ मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन है. स्थानीय जानकारों की मानें, तो रीवा राज्य के महाराजा भाव सिंह जू देव ने सन् 1680-81 के मध्य इस मंदिर का निर्माण करवाया था और जगन्नाथपुरी जाकर वहां से भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा माता एवं बलभद्र की विशाल प्रतिमाएं लाकर स्थापित कराई थी. ऐसी भव्य और दिव्य प्रतिमाएं कहीं भी देखने को नहीं मिलती हैं. बता दें कि महाराजा भाव सिंह जू देव का विवाह पुरी में हुआ था. रानी ने भगवान जगन्नाथ मंदिर की इच्छा जताई थी. महाराजा पुरी गए थे और वहां से तीन मूर्तियां साथ लाए थे. एक मूर्ति मुकुंदपुर में, दूसरी रीवा के बिछिया और तीसरी किला में प्राण प्रतिष्ठा की थी. महाराजा भाव सिंह जू देव ने पहली अटका मुकुंदपुर में चढ़ाई थी.

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भगवान विष्णु की कल्चुरी कालीन मूर्ति

इन प्रतिमाओं के बीच में भगवान विष्णु की कल्चुरी कालीन भारतीय कला दर्शन की एक उत्कृष्ट मूर्ति भी स्थापित है. कहते है कि कल्चुरी काल में यहां भगवान विष्णु का मंदिर था कालांतर में मंदिर के गिर जाने पर महाराजा भाव सिंह ने ईरानी गुम्बद शैली का मंदिर निर्माण कराया और उसी में इन मूर्तियों की स्थापना कराई.

2035 तक अटका की बुकिंग पैक

श्री जगन्नाथ मंदिर मुकुंदपुर की आस्था का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2035 तक अटका प्रसाद की बुकिंग हो चुकी है. अगर कोई चाहे इससे पहले अटका प्रसाद चढ़ाना तो होली के फगुआ के दिन तो संभव नहीं है. इसके लिए पूर्णिमा का विकल्प रखा गया है.

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भगवान को महाभोग के लिए एक साल करना पड़ता है इंतजार

श्री जगन्नाथ मंदिर मुकुंदपुर में भगवान जगन्नाथ को भी अपने महा भोग के लिए एक साल इंतजार करना पड़ता है. क्योंकि यह महाप्रसाद साल में एक बार ही होली के दूसरे दिन भगवान को चढ़ाया जाता है, जिसके चलते ही खुद भगवान को भी इस महा प्रसाद के भोग के लिए एक साल इंतजार करना पड़ता है.

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