मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में ! MP के 30 % स्टूडेंट्स ने चुना हिंदी मीडियम में MBBS का ऑप्शन, 3 राज्य कतार में

MP MBBS Students Hindi Medium:  मध्य प्रदेश के 30% छात्रों ने हिंदी मीडियम एमबीबीएस का ऑप्शन चुना है. एमपी के अलावा अन्य राज्य भी इस पैटर्न को लागू करने की तैयारी कर रहे हैं. 

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Hindi Medium MBBS Program: मध्य प्रदेश में एमबीबीएस (MBBS) की पढ़ाई हिंदी मीडियम से भी हो सकेगी. प्रदेश के 30 % स्टूडेंट्स ने हिंदी मीडियम से मेडिकल की पढ़ाई करने का विकल्प चुना है. ऐसा करने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य है. और भी राज्य इस कदम में आगे बढ़ रहे हैं. 

दो साल पहले हुई थी शुरुआत

प्रदेश में हिंदी में भी मेडिकल की पढ़ाई कराने के प्रोग्राम की शुरुआत 2022 में की गई थी. इस बार 30% स्टूडेंट्स ऐसे हैं, जिन्होंने  हिंदी मीडियम MBBS प्रोग्राम का ऑप्शन चुना है. दरअसल इस प्रोग्राम को लागू करने के लिए प्रदेश को काफी दिक्क्तों का सामना करना पड़ा था. मसलन-  कठिन मेडिकल टर्मिनोलॉजी को हिंदी में लिखना, बाई-लिंगुअल टेक्सट बुक को लाना ताकि स्टूडेंट्स विषय को अच्छे से समझ सकें. 

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मध्य प्रदेश के अलावा  राजस्थान, बिहार और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों ने इस पैटर्न में  पढ़ाई कराने के लिए दिलचस्पी दिखाई है. इसे फॉलो भी करना शुरू कर दिया है. 

मध्य प्रदेश ने अक्टूबर 2022 में फर्स्ट ईयर मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए एनाटॉमी, बायोकेमिस्ट्री और फिजियोलॉजी टेक्स्ट बुक का हिंदी में ट्रांसलेशन किया था. अटल बिहारी वाजपेई हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल को मेडिकल टेक्स्टबुक्स के ट्रांसलेशन का काम सौंपा गया है. फिलहाल केवल फर्स्ट और सेकंड ईयर के स्टूडेंट्स के पास हिंदी मेडिकल टेक्स्टबुक है. अधिकारियों को उम्मीद है कि अन्य टेक्स्ट बुक्स जल्द ही तैयार हो जाएंगी.

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इस काम के लिए देश का पहला राज्य बना MP 

मध्य प्रदेश में हिंदी में MBBS की शुरुआत एक अहम कदम है. हिंदी एमबीबीएस शुरू करने वाले ग्वालियर के गजरा राजा मेडिकल कॉलेज (GRMC) के डीन ने मीडिया को बताया कि हिंदी मीडियम के स्कूलों से आने वाले 30-40% छात्रों ने हिंदी MBBS का ऑप्शन चुना है. उधर एमपी के इस कदम ने कई एक्सपर्ट के बीच बहस छेड़ दी है और ये एक्सपर्ट हिंदी मीडियम MBBS के पक्ष और विपक्ष में बट गए हैं. मसलन-हिंदी भाषा के छात्र अक्सर पारंपरिक हिंदी शब्दों जैसे Bone के लिए ‘अस्थि' या Stomach के लिए ‘अमाशय' कहना पसंद नहीं करते. इसके बजाय वे अंग्रेजी के शब्द से अधिक परिचित लगते हैं और वे हिंदी और अंग्रेजी को मिलाकर यानी ‘हिंग्लिश' को प्राथमिकता देते हैं.  कुल मिलाकर इसके प्रभाव को देखने के लिए हमें कुछ वक्त का इंतजार करना होगा. 

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