Heavy Rain: किसानों की हजारों एकड़ फसल जलमग्न; जबलपुर में NHAI की लापरवाही, रिंग रोड बनी आफत!

Heavy Rain: एनडीटीवी की ग्राउंड रिपोर्टिंग में सामने आया है कि ग्वारीघाट, भेड़ाघाट, मटामर, गौराखुर्द और कटंगी मार्ग के आसपास के किसान सबसे अधिक प्रभावित हैं. किसानों ने बताया कि जब भी बारिश होती है, उनकी फसलें बर्बाद हो जाती हैं.

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Heavy Rain: जबलपुर में हजारों एकड़ फसल जलमग्न

Heavy Rain and Flooding: मध्यप्रदेश के जबलपुर (Jabalpur) में भारी बारिश (Heavy Rain) के कारण शहर के आसपास के हजारों एकड़ खेत जलमग्न हो गए हैं. इसका मुख्य कारण एनएचएआई (NHAI) द्वारा बनाई जा रही रिंग रोड (Ring Road) को बताया जा रहा है, जिसकी वजह से वर्षा जल खेतों से बाहर नहीं निकल पा रहा. इस सड़क निर्माण में जल निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं की गई है, जिससे हालात हर साल और गंभीर होने की आशंका जताई जा रही है.

किसानों का क्या कहना है?

किसानों का आरोप है कि रिंग रोड का निर्माण खेतों की सतह से काफी ऊंचाई पर किया गया है, जिससे बारिश का पानी खेतों में भरकर रुक जाता है. जिन स्थानों पर पानी निकासी के लिए डक्ट बनाए गए हैं, वे या तो बहुत ऊंचाई पर हैं या फिर इतने छोटे और दूर हैं कि पानी बहकर बाहर नहीं जा सकता. नतीजतन कई इलाकों के खेतों में 2 से 3 फीट तक पानी जमा हो गया है, जिससे धान, सोयाबीन और उड़द जैसी खरीफ की फसलें नष्ट होने के कगार पर पहुंच गई हैं.

अगर यही स्थिति रही तो हर साल उन्हें भारी नुकसान झेलना पड़ेगा. कई किसानों ने कहा कि निर्माण एजेंसी ने ग्रामीणों से कोई राय या भूमि-सर्वेक्षण लिए बिना निर्माण कार्य आरंभ कर दिया, जिसका नतीजा अब सामने है.

एनडीटीवी की ग्राउंड रिपोर्टिंग में सामने आया है कि ग्वारीघाट, भेड़ाघाट, मटामर, गौराखुर्द और कटंगी मार्ग के आसपास के किसान सबसे अधिक प्रभावित हैं. किसानों ने बताया कि जब भी बारिश होती है, उनकी फसलें बर्बाद हो जाती हैं.

जबलपुर रिंग रोड परियोजना

  • लंबाई: लगभग 76 किलोमीटर
  • लागत: ₹2,100 करोड़ से अधिक
  • निर्माण एजेंसी: नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI)
  • वर्तमान स्थिति: निर्माणाधीन (2021 से)

ऐसा है जबलपुर का रिंग रोड

जबलपुर रिंग रोड परियोजना की बात करें तो इसकी कुल लंबाई करीब 76 किलोमीटर है, जिसकी लागत ₹2,100 करोड़ से अधिक है. इसका उद्देश्य शहर के यातायात दबाव को कम करना और औद्योगिक क्षेत्रों को जोड़ना था. लेकिन जिस तरह से इसका निर्माण किया गया है, वह स्थानीय किसानों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि रिंग रोड के किनारे जल निकासी की वैज्ञानिक और व्यावहारिक योजना नहीं बनाई गई, तो यह हर साल किसानों के लिए आपदा बनकर लौटेगी.

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