वैष्णोदेवी जा रहे बच्चों की ओवरलोडेड बस पकड़कर भूल गए अफसर, देर रात तक भूख और ठंड से तड़पते रहे मासूम

गुना जिले से वैष्णो देवी जा रही स्लीपर बस को बीती देर शाम मुरैना रोड पर लोगों की जानकारी के बाद पुरानी छावनी पुलिस की ओर से रोका गया था. इस बस में 57 यात्री सवार थे, जिनमें 40 छात्र थे. खास बात ये कि पकड़ने के बाद प्रशासन ने इन बच्चों की कोई सुध नही ली और वे देर रात तक भूखे - प्यासे सिकुड़ते रहे.

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Gwalior Latest News: मध्य प्रदेश के गुना जिले ( Guna District) के आरोन (Arone) में हुई बस दुर्घटना में तेरह जाने गई और इससे ज्यादा यात्री अस्पताल में भर्ती है, जहां वे जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे है. इसके बाद दावा किया जा रहा है कि पूरे प्रदेश में बसों के खिलाफ अभियान चल रहा है, लेकिन इसकी हकीकत शनिवार को अचानक सामने आ गई, जब ग्वालियर में बच्चों से ठसाठस भरी एक ओवरलोड बस को लोगों की शिकायत पर ग्वालियर पुलिस (Gwalior) ने रोका. इस बस में 57 यात्री सवार थे, जिनमें 40 छात्र थे. खास बात ये कि पकड़ने के बाद प्रशासन ने इन बच्चों की कोई सुध नही ली और वे देर रात तक भूखे - प्यासे सिकुड़ते रहे. मीडिया ने जब इस मामले को अफसरों के सामने रखा तो जाकर देर रात उन्हें हॉस्टल भेजा गया.

गुना से वैष्णो देवी जा रही थी बस

गुना जिले से वैष्णो देवी जा रही स्लीपर बस को बीती देर शाम मुरैना रोड पर लोगों की जानकारी के बाद पुरानी छावनी पुलिस की ओर से रोका गया था. इसे वहां चैकिंग कर रहे ट्रेफिक के सब इंस्पेक्टर राधावल्लभ गुर्जर ने रोका, तो बस ओवरलोड मिली. उसने इसको रोक लिया और सूचना अफसरों को दे दी. कलेक्टर और एसपी उस समय एक मीटिंग में थे. एसपी ने तत्काल एडिशनल एसपी ऋषिकेश मीणा को मौके पर भेजा.

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बस में 40 छात्रों सहित 57 यात्री सवार थे . यानी बस में भीड़ इतनी ज्यादा थी कि सिंगल स्लीपर पर तीन तीन छात्रों को बिठाया गया था, जबकि डबल स्लीपर पर चार-चार छात्र सवार थे.

स्कूल संचालक का कहना था कि उसने स्लीपर बस इसलिए की थी कि बच्चे लेट कर जा सके. उसका ज्यादा संख्या को लेकर कहना था कि सारे बच्चे एक साथ रह सकें. इसलिए एक ही बस में लेकर जा रहे हैं. बस का टूर एक सप्ताह का था. स्कूल संचालक का कहना था उसने राइन ट्रेवल्स से यह बस 1 लाख 80 हजार रुपये में बुक की है.

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पकड़कर भूल गया प्रशासन

बस पकड़ने से इसमें सवार बच्चों की मुसीबतें कम होने की जगह और बढ़ गईं. पुलिस इसे पकड़कर मेला मैदान में खड़ा करवा कर चली गई. पुलिस बस को वापिस ले जाने पर अड़ी थी, जबकि स्कूल संचालक उसे वैष्णोदेवी ले जाने की जिद कर रहा था. इस बीच अफसर और संचालक में फोन पर बातचीत चलती रही और रात के 11 बज गए. इस बीच बच्चे भूख और ठंड से बिलखते रहे. आसपास कोई दुकान, होटल या ढाबा भी नहीं था. कुछ बच्चे खाने की तलाश में मेला भी गए, लेकिन तब तक मेला भी बंद हो चुका था.

मीडिया से पता चलते ही पहुंचे कलेक्टर

इस बीच जब मीडिया से जुड़े कुछ लोग कवरेज करने पहुंचे तो भूखे बच्चे उनसे ही खाना मांगने लगे. दो बच्चे राशु दुबे और अरबाज खान ने मीडिया कर्मियों से अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि वे शाम से बैठें हैं, लेकिन अब तक खाना नहीं मिला है. भूख से हम सबका बुरा हाल है. मीडिया वालों ने इसकी सूचना कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह को दी. इसके बाद सूचना मिलते ही रात सवा ग्यारह बजे कलेक्टर सीधे बस पर पहुंचे.

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कलेक्टर के सामने रो पड़े कई बच्चे

सूत्रों की मानें, तो जब कलेक्टर मेला मैदान में कड़कड़ाती ठंड में खड़ी बस पर पहुंच, तो बच्चे सिकुड़े हुए बैठे थे. कई बच्चों ने तो ठंड और भूख के कारण रो पड़े. कलेक्टर ने फटाफट बातचीत करके बस को हुरावली पर बने आदिम जाति कल्याण विभाग के हॉस्टल भेजकर वहां बच्चों के ठहरने और खाने की व्यवस्था कराई. उसके बाद वह अपने बंगले पर लौटे.

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लापरवाही की होगी जांच

कलेक्टर ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है. इस मामले में किसकी गलती से छात्रों को परेशान होना पड़ा. इसकी जांच करवाकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

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