Gwalior High Court : भिंड कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव अपनी कार्यशैली के चलते सुर्खियों में हैं. ऐसी ही कार्यशैली के चलते कोर्ट ने उनको फटकार भी लगाई है. ग्वालियर हाई कोर्ट ने कलेक्टर के ऊपर गंभीर टिप्पड़ी करते हुए कहा है कि कलेक्टर को आदेश का पालन कराने के लिए हाई कोर्ट का नाम लिखने की क्या जरुरत थी. क्या भिंड कलेक्टर अक्षम हैं ?दरअसल, भिंड के लोक निर्माण विभाग में पदस्थ कर्मचारी शिव पार्वती श्रीवास्तव एक वेतन भोगी कर्मचारी था. उनका नियमितीकरण किया गया. श्रम कोर्ट ने उन्हें 12.10 लाख रुपये एरियर देने का आदेश दिए. भुगतान न होने पर वे ग्वालियर हाईकोर्ट गए. हाईकोर्ट के आदेश पर भी भुगतान नहीं हुआ. तब अवमानना का केस दायर किया गया. कोर्ट ने भिंड कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव को तलब किया गया.
कलेक्टर ऑफिस पर भी मप्र शासन लिखा जाता है. संपत्ति का मालिक कलेक्टर नहीं होता. कोर्ट के सवाल सुन कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव फंस गए. वे बोले-दो दिन में संपत्ति कुर्क कर रिपोर्ट पेश करेंगे. कोर्ट ने कर्मचारी को पूरा भुगतान करने का आदेश दिया. कलेक्टर ने भी कोर्ट से पूरा भुगतान करने का वादा किया लेकिन उसके बावजूद कर्मचारी को भुगतान नहीं मिला।.
इस बात को लेकर लगी कोर्ट से फटकार
भिंड कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने बड़ी ही चालाकी से मामले को उल्टा कोर्ट पर ही डाल दिया. कलेक्टर ने अपने आदेश में लिखा था कि “हाईकोर्ट के आदेश से मालनपुर स्थित लोक निर्माण विभाग का गेस्ट हाउस की नीलामी, विभाग का कार्यालय सील करने, दफ्तर में लगे प्राइवेट वाहनों का भुगतान रोककर कर्मचारी को दिया जाएगा” हाई कोर्ट ने जब आदेश देखा तो पाया कि हाई कोर्ट के आदेश का उल्लेख कर कलेक्टर ने ये सारी कार्रवाई की है, जिसको लेकर कोर्ट ने कलेक्टर को फटकार लगाई है. इस मनमानी पर जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने कहा- कलेक्टर को आदेश का पालन कराने के लिए हाई कोर्ट का नाम लिखने की क्या जरुरत थी. क्या भिंड कलेक्टर अक्षम हैं ?
पूर्व सैनिकों ने लगाया था अभद्रता करने का आरोप
कुछ माह पहले पूर्व सैनिक संघ ने कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव के खिलाफ कलेक्टेड के बाहर धरना-प्रदर्शन किया था. कलेक्टर पर पूर्व सैनिकों ने आरोप लगाया था कि जो सैनिक सीमाओं पर रहकर देश की सेवा कर रहे हैं, उन्ही सैनिकों को अपमान झेलना पड़ रहा है, जिसको लेकर पूर्व सैनिक जिला कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव के तानाशाही रवैया के चलते सड़क पर धरने पर बैठ गए थे. पूर्व सैनिक का आरोप है कि कलेक्टर ने उनकी बात सुनने की वजह पुलिस बालो से धक्का देकर चैंबर से बाहर निकाल दिया. उनको अपमानित करने का काम किया.
मीडिया कर्मियों को भी धमका चुके हैं, ऐसे बनाते हैं डर
कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव पूर्व सैनिकों को अपमानित भी करवा चुके हैं, साथ ही पत्रकारों पर भी दबाव बनाने का काम कर रहे हैं. कोई पत्रकार कलेक्टर के खिलाफ खबर छापता है, या फिर टीवी चैनलों पर चलाता है, उनके खिलाफ षड्यंत्र रचने लगते हैं. उनको कानूनी प्रक्रिया में उलझा लेते हैं. या यूं कहें की कानूनी प्रक्रिया से पत्रकार पर दवाब बनाते हैं, जिसको लेकर पत्रकारों में भी भय पैदा कर दिया जाता है, जिससे वह उनके खिलाफ कोई खबर नहीं छाप सकें.
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