Sawan Special 2024: गुना का प्राचीन बागीश नाथ मंदिर, जहां दर्शन मात्र से पूरी होती है शिव भक्तों की मनोकामना, यहां सावन में लगता है भक्तों का रेला

Sawan Somvar vrat 2024: कहते हैं जब राजा विक्रमादित्य को शनि की साढ़ेसाती लगी तो चाचौड़ा के भगवान बागीश नाथ की शरण में आकर उन्होंने सेवा पूजा की और राजा की पुत्री से विवाह करके उज्जैन को चले गए, तभी से सावन महीने में शिव भक्त भगवान बागीश नाथ के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं.

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Sawan First Somwar 2024: आज से शुरू हुए सावन महीने के पहले सोमवार को शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लग गया है. मध्य प्रदेश ही नहीं, पूरे देश में सावन महीने के पहले दिन शिवभक्तों में क्रेज देखा जा सकता है, जहां तड़के ही भक्तों का तांता शिवालयों में लग गया है. कमोबेश ऐसा ही नजारा गुना जिले के प्रवेश द्वार और मालवा और बुंदेलखंड में देखा जाता है, जहां हर साल सावन महीने में प्राचीन बागीश नाथ मंदिर में शिवभक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

कहते हैं जब राजा विक्रमादित्य को शनि की साढ़ेसाती लगी तो चाचौड़ा के भगवान बागीश नाथ की शरण में आकर उन्होंने सेवा पूजा की और राजा की पुत्री से विवाह करके उज्जैन को चले गए, तभी से सावन महीने में शिव भक्त भगवान बागीश नाथ के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं.

हर साल सावन के महीने में मनोकामना लेकर पहुंचते हैं शिवभक्त

हरे-भरे जंगल के बीचो-बीच स्थित चमत्कारिक बागीशनाथ मंदिर में हर साल सावन के महीने में लाखों की संख्या में शिवभक्त अपनी मनोकामना लेकर दूर-दूराज से पहुंचते हैं. स्थानीय लोगों की मानें तो चाचौड़ा में स्थित भगवान शिव  मंदिर एक चमत्कारी मंदिर है, जहां शिवभक्त शांति का अनुभव करते हैं और उनकी भी मनोकामना पूरी होती है.

गुना जिले में एक प्राचीन किले में मौजूद है बाबा बागीश नाथ का मंदिर

गौरतलब है प्राचीन भगवान बागीश नाथ के मंदिर के पास मौजूद प्राचीन किला में ही राजा की पुत्री से राजा विक्रमादित्य ने विवाह किया था. बताया जाता है कि जब राजा विक्रमादित्य को शनि की साढ़े साती लगी थी तो एक साहू परिवार के घर में राजा ने तेल की कहानी सुनाई थी. इसी दौरान चाचौड़ा के राजा ने अपनी पुत्री के विवाह के लिए ऐलान करवाया था.

बागीश नाथ मंदिर में लोगों की अटूट आस्था ही कहेंगे कि हर साल मंदिर में शिवभक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं. यहां महाशिवरात्रि और श्रावण मास में भक्तों का सैलाब उमड़ता है, जहां लाखों की तादाद में शिवभक्त अपनी मनोकामना लेकर दर्शन करने पहुंचते हैं.

विक्रमादित्य ने राग मेघराज गाकर चाचौड़ा के राजा की पुत्री से किया विवाह

चाचौड़ा राजा ने ऐलान करवाया कि संगीत में निपुण उनकी पुत्री की तरह निपुण वर से ही उनकी पुत्री का विवाह होगा. यह सुन राजा विक्रमादित्य सलूंबर में पहुंचे. राजा की पुत्री ने राग दीपक गाया तो महल में दिए जल उठे और राजा विक्रमादित्य ने राग मेघराज छेड़ा तो बारिश शुरू हो गई और चाचौड़ा राजा ने पुत्री का विवाह राजा विक्रमादित्य से कर दिया.

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प्राचीन बागीश नाथ मंदिर में लाखों के संख्या में उमड़ते हैं शिवभक्त

विवाह के बाद राजा विक्रमादित्य उज्जैन प्रस्थान कर गए, तभी से यहां पर लोगों की अटूट आस्था है और अपनी मनोकामना लेकर भगवान शिव के मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचते हैं. यहां महाशिवरात्रि और श्रावण मास में यहां भक्तों का सैलाब उमड़ता है और लाखों की तादाद में शिवभक्त भगवान शिव के दर्शन करने पहुंचते हैं.

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