Indore Ki Holi: चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को रंग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. हालांकि मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में रंग पंचमी को गेर कहा जाता है जो पूरे देश में मशहूर है. इस साल रंग पंचमी 19 मार्च को मनाई जाएगी. दरअसल, इंदौर में रंग पंचमी पर होने वाली इस गेर की शुरुआत दशकों पहले हुई थी. इस दिन लोग एक दूसरे पर रंग डालते हैं और पूरा शहर एक साथ रंग खेलते हुए नजर आता है.
Indore Ger Festival 2025: लाखों की संख्या में लोग सतरंगी रंग में डूब जाते हैं.
क्या है गेर?
इंदौर में गेर शब्द 'घेर' शब्द से निकलकर आया है. जिसका अर्थ है 'घेरना'. दरअसल, साढ़े सात दशक पहले साल 1945 में शहर के टोरी कॉर्नर पर होली खेलते समय लोगों को घेर कर रंग से भरी टंकी में डूबाने की घटना से 'गेर' पर्व अस्तित्व में आया. इसके बाद होली मनाने वाले हुरियारे सामूहिक रूप से एक दूसरे को रंगने के लिए शहर की सड़कों पर जुलूस निकालने लगे. यह पहल धीरे-धीरे परंपरा बन गई जो आज इंदौर की 'गेर' के भव्य रूप में नजर आती है.
इंदौर में गेर की शुरुआत कैसे हुई?
होलकर महाराज के शासन में 20 तोपों की सलामी के साथ गेर का आगाज होता था. इसके बाद होलकर महाराज प्रजा के साथ होली खेलते थे. कहा जाता है कि होली की तैयारी के लिए ढाले परिवार के यहां से होली की अग्नि आती थी, जिसे महाराज होलकर स्पर्श करते थे और फिर वो प्रज्वलित होती थी. इसके बाद होलकर रियासत का राष्ट्रगान होता था.
Indore Ki Holi: गेर फेस्टिवल के दौरान लोग एक दूसरे को रंग-गुलाल लगाते हैं.
तोपों से होती थी फाग उत्सव की शुरुआत
होलकर आर्मी के प्लाटून के 20 घुड़सवार तोपों की सलामी देते थे. ये तोप 5 बार दागी जाती थी. जिससे पूरे शहर को ये मालूम हो जाता था कि होली का फाग उत्सव राजवाड़ा से 15 दिन के लिए शुरू हो चुका है.
वहीं चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी के दिन मुख्य समारोह राजवाड़ा में होता था. इस दौरान आम जनता पर खुशबूदार पानी का छिड़काव किया जाता था. बता दें कि रियासत के समय में यही गेर की शुरुआत हुई थी. हालांकि रिसायत का दौर खत्म होने के बाद ठीक उसी तरह से 1950 में गेर की शुरुआत हुई. दरअसल, टोरी कॉर्नर इंदौर का मशहूर इलाका था, जहां मिल श्रमिकों, श्रमिक नेताओं ने मिलकर इसकी शुरुआत की.
इस मौके पर लोग पानी के विशाल टेंकर, रंग उड़ाने वाली तोप प्रेशर वाले रंगीन फव्वारे से गुलाल आसमान में उड़ाते हैं.
लोगों को कढ़ाव में डालने की परंपरा
टोरी कॉर्नर पर रंगपंचमी के दिन सुबह से ही रंग से भरा कढ़ाव भरकर सड़क पर रख दिया जाता था, इसके बाद जो भी यहां गुजरता था उसे स्थानीय लोग घेरकर रंग से भरे कढ़ाव में डाल देते थे. फिर टोरी कार्नर से होली खेलते-खेलते लोग एकत्र होकर एक दूसरे पर रंग डालते हुए राजवाड़ा तक जाते थे. इसके बाद ये एक उत्सवी परंपरा बन गई. इस दिन पराए या गैर को रंग लगाकर अपना बना लेने की मान्यता है.
ऐसे निकाली जाती हैं इंदौर की फाग यात्राएं
रंगपंचमी के दिन गुलाल और फाग यात्रा में शामिल होने के लिए हजारों की संख्या में लोग राजवाड़ा पहुंचते हैं. इस दौरान महिलाएं और बच्चे भी शामिल होते हैं. इस दिन सुबह से शहर के विभिन्न हिस्सों में फाग यात्राएं निकाली जाती है. इन फाग यात्रा में लोग पानी के विशाल टेंकर, रंग उड़ाने वाली तोप प्रेशर वाले रंगीन फव्वारे से गुलाल आसमान में उड़ाते हैं.
इस दौरान डीजे की धुन पर लोग एक दूसरे पर रंग गुलाल उड़ाते हैं. वहीं राजवाड़ा सुबह से ही सतरंगी रंग में डूब जाता है. यहां फाग यात्रा के दौरान आसमान में कई रंग नजर आने लगते हैं. इस दौरान यात्रा मार्ग में जो भी मिलता है, उसे लोग रंग लगाते हैं.
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