सावधान : बाजार में आ गई नकली DAP और यूरिया, पकड़ा गया भंडार, जानें कैसे खुली पोल

Fake DAP, Urea Fertilizer : नकली दौर में अब नकली खाद भी बाजार में आ गई है. डीएपी और यूरिया की नकली खाद बिकने लगी है. ये खबर आई है, ग्वालियर से. अच्छी बात ये रही कि किसानों की जागरूकता की वजह से इस कालाबाजारी की पोल खुल घई.

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सावधान : बाजार में आ गई नकली DAP और यूरिया, पकड़ा गया भंडार, जानें कैसे खुली पोल

MP News In Hindi : मध्य प्रदेश समेत ग्वालियर में किसानों के बीत खाद को लेकर हाहाकार है. किसान ठंड में रात-रात भर जागकर लाइनों में लगे हैं, ताकि उनके खेतों में बर्बाद होती फसलें बच जाए. खाद की इस किल्लत में नकली खाद भी बाज़ार में खपाने की शुरुआत हो गई है. ग्वालियर के डबरा में एक किसान ने अपनी जागरूकता से यह नक़ली खाद पकड़वाया.डबरा अंचल के किसानों को डीएपी खाद की किल्लत से दो चार होना पड़ा रहा है. ऐसे में किसानों को अपनी गेहूं कि फसल बौनी के लिए डीएपी खाद की आवश्यकता पड़ रही है. खाद लेने के लिए किसान हर कीमत देने और हर जगह से खाद लेने को मजबूर हो रहा है.

नकली खाद का भंडार पकड़ा गया

इसी मौके का फायदा उठाकर डबरा और अन्य ग्रामीण इलाके में कुछ खाद दलाल धड़ल्ले से नकली खाद की कालाबाजारी करने में लगे हुए हैं. इतना ही नहीं डबरा शहर में कहीं ना कहीं कुछ हद तक नकली खाद भी बेचा जा रहा है, इसका खुलासा किसान हरनाम सिंह बघेल की जागरूकता से हुआ और नकली खाद का भंडार पकड़ा गया.

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जांच के लिए भेजे गए सैंपल

किसान हरनाम सिंह बघेल निवासी ग्राम भरतरी ने बताया कि वह अपनी जमीन के लिए डीएपी खाद लेने डबरा आए थे, उन्होंने ग्राम पठा के व्यक्ति से खाद की 24 बोरियां खरीदी है, जिसकी कीमत 1700 रुपए प्रति बोरी के हिसाब से मिली हैं. इसके बाद उन्हें कृषि विभाग अधिकारी विशाल सिंह यादव से इस  नकली खाद कि शिकायत की जिस पर से कृषि विभाग अधिकारी ने डीएपी खाद के नमूने लिए और कहा किसान के मुताबिक आगे की कार्रवाई की जाएगी. इस मामले में सैंपल ले लिए हैं, और जांच के लिए भेजे जाएंगे.

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मॉनिटरिंग पर भी सवाल खड़े हो रहे

अब सवाल खड़ा होता है कि आख़िर नकली खाद आया कहां से है? फिलहाल अधिकारी इस मामले पर किसान और बेचने वाले व्यक्ति से पूछताछ कर रहे हैं. खाद की कमी के चलते इन दिनों खाद की दलाली कर रहे दलाल अन्नदाता किसानों के साथ धोखाधड़ी करने से भी नहीं चूक रहे. किसानों को गुमराह कर उन्हें नकली खाद निर्धारित मूल्य से अधिक रेट पर बेच रहे हैं. कहीं न कहीं स्थानीय प्रशासन क्षेत्र में खाद को लेकर मॉनिटरिंग पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. अगर प्रशासनिक अधिकारी क्षेत्र में समय-समय पर खाद कि मॉनिटरिंग करते तो शायद क्षेत्र में नकली खाद नहीं आ सकता और किसान भी नकली खाद से बच जाते.

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