MP Election Results 2024: कमलनाथ का किला नहीं बचा पाने वाले Nakulnath पर कैसे भारी पड़े Vivek Bunty Sahu

Election Results 2024: पिछले तीन दशकों से जिस सीट पर पिता कमलनाथ सांसद रहे और पिछले पांच साल से जहां बेटे नकुलनाथ सांसद रहे, वहां इस बार दोनों में से किसी का जादू नहीं चला..

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Chhidwara Lok Sabha Seat: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) का छिंदवाड़ा लोकसभा सीट बहुत खास है. इसलिए नहीं क्योंकि यहां से कमलनाथ (Kamalnath) नेता हैं, बल्कि इसलिए क्योंकि यहां पर कमलनाथ का एकतरफा राज रहा है... 1980 से लेकर आज तक कमलनाथ परिवार ही यहां से जीतता आया है... वर्तमान में भी ये सीट कमलनाथ के बेटे के नाम हो सकती थी, लेकिन नकुलनाथ (Nakul Nath) इस बार चूक गए. विदेश से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद और उद्योग जगत में एक मुकाम हासिल करने के बाद नकुल नाथ ने 2019 में पहली बार राजनीति में कदम रखा. वैसे तो उनका पूरा जीवन ही राजनीति और राजनेताओं से घिरा रहा है. लेकिन, अपने पिता की शान बचाने के लिए 2019 में नकुल नाथ ने पहली बार इस रण में खुद कदम रखा था. आइए इनके जीवन को थोड़ा और नजदीक से जानते हैं. 

कोलकाता में हुआ था जन्म

छिंदवाड़ा से सांसद रहे और कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ और उनकी पत्नी अलका नाथ के घर 21 जून 1974 को नकुलनाथ जन्म हुआ था. बचपन से ही नकुलनाथ ने अपने आसपास राजनीति का माहौल देखा. घर में मां और पिता दोनों राजनीति से जुड़े हुए थे. हालांकि उस समय कमलनाथ सांसद नहीं थे. जब नकुल नाथ की उम्र 6 साल की थी, तब उनके पिता छिंदवाड़ा से पहली बार सांसद बने. 

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नकुलनाथ का शैक्षणिक सफर

क्योंकि घर हमेशा से ही बहुत समपन्न और भरा-पूरा रहा, नकुल नाथ की स्कूली शिक्षा द दून स्कूल, देहरादून से हुई. उन्होंने यहां पर कक्षा 1 से 12वीं तक की शिक्षा प्राप्त की. इसके बाद वह अपनी आगे की पढ़ाई के लिए बे स्टेट कॉलेज, बॉस्टन चले गए. 1997 में यहां से बीबीए की डिग्री लेने के बाद नकुल ने आगे पढ़ाई जारी रखने की ठानी और बॉस्टन यूनिवर्सिटी से एमबीए की पढ़ाई की. इसके बाद भी नकुल नाथ राजनीति में आने के लिए तैयार नहीं थे. उन्हें कुछ अलग करना था.

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करियर और राजनीतिक सफर

नकुल नाथ ने अपनी एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद उद्योग जगत में कदम रखा. उन्होंने कई अलग-अलग क्षेत्रों में बिजनेस किया और खुद को आजमाया. चांदी की चम्मच लेकर आने के बाद भी वह हमेशा खुद को साबित करने में लगे रहे. अंत में, साल 2019 के चुनाव में पिता की इज्जत और शाख बचाने के लिए नकुल ने अपने कदम राजनीति के गलियों में रखे. जिसे ढंग से हिन्दी बोलने नहीं आती थी, जिसने अपने घर में अधिक समय दिया, उसपर जनता ने सिर्फ इसलिए भरोसा जताया क्योंकि वह एक पढ़े-लिखे और जनता को समझने वाले नेता बनकर उभरे. जनादेश आने के बाद उन्हें भी हैरानी हुई क्योंकि पहली बॉल पर ही नकुल नाथ ने छक्का लगा दिया था. अपने सांसदीय कार्यकाल में भी वह एक बेहतर नेता बनकर उभरे.

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दूसरी बार नहीं बना पाए सरकार

इस साल के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने नकुलनाथ को ही छिंदवाड़ा सीट से उतारा.. लेकिन, इस बार यहां पर कमलनाथ का जादू नहीं चल पाया. कमलनाथ के गढ़ में पहली बार ऐसा हुआ कि उनके परिवार से कोई सांसद नहीं बन पाया. भाजपा के विवेक साहू ने कुल 1,13,618 के अंतर से नकुलनाथ को हरा दिया. सोचने वाली बात ये है कि कमलनाथ और नकुलनाथ का जादू यहां फेल क्यों हो गया.. क्या वजह रही कि भाजपा के कमजोर उम्मीदवार के सामने दिग्गज कमलनाथ का दांव फेल हो गया. 

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