MP में माननीयों ने बनाई पढ़ाई से दूरी ! 28% MLAs की शैक्षणिक योग्यता 5वीं-12वीं के बीच

मध्यप्रदेश विधानसभा में करीब 28 फीसदी ऐसे विधायक हैं जिनकी शैक्षणिक योग्यता 5 वीं क्लास से लेकर 12वीं क्लास के बीच है. दो ऐसे भी विधायक हैं जो सिर्फ साक्षर हैं. परेशानी इनकी कम शैक्षणिक योग्यता को लेकर नहीं है...बात ये है कि ये सभी कह रहे हैं कि शिक्षा जरूरी है लेकिन कोई भी अपनी योग्यता बढ़ाने को राजी नहीं है. वो भी तब जब यूनिवर्सिटी उन्हें ऑफर दे रहा है...आइए, पढ़िए और डिग्री ले जाइए...क्या है पूरा मामला?

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Madhya Pradesh Assembly News: आज के वक्त में शायद ही कोई हो जो शिक्षा के महत्व से इनकार कर सके...खासकर बात जब हमारे माननीयों की आती है तो ये और भी जरूरी हो जाता है. बात मध्यप्रदेश की करें तो यहां भी हमारे विधायक-सांसद मानते हैं कि शिक्षित होना जरूरी है लेकिन जब आप हकीकत के आईने में इसे देखते हैं तो कुछ और ही तस्वीर सामने आती है. राज्य में कई ऐसे विधायक हैं जो सिर्फ 8 वीं तक पढ़े हैं और दो ऐसे भी विधायक हैं जो सिर्फ साक्षर है...परेशानी ये है कि भोज मुक्त विश्वविद्यालय ने इन्हें न सिर्फ पढ़ाई के लिए बुलाया बल्कि ये ऑफर भी दिया- बिना क्लास किए, बिना मास्टर जी की डांट सुने उन्हें डिग्री दे दी जाएगी. लेकिन राज्य के किसी भी माननीय ने इसमें रुचि नहीं दिखाई.

वैसे हम ये साफ कर दें कि हम ये मानते हैं कि हमारे माननीयों का कम पढ़ा-लिखा होने से ज्यादा बड़ी बात ये है कि जनता ने उन्हें चुना है...लेकिन परेशानी तब खड़ी होती है जब खुद यही माननीय कहते हैं कि शिक्षा तो जरूरी है इसके बाद भी वो अपनी शैक्षणिक योग्यता बढ़ाने की ओर कोई रुचि नहीं दिखाते? आगे बढ़ने से पहले ये जान लेते हैं कि 2023 विधानसभा चुनाव के बाद जारी ADR की रिपोर्ट के मुताबिक हमारे माननीय कितने शिक्षित हैं? 

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जब इसी मुद्दे पर NDTV ने राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार से सवाल किया तो उनका जवाब था- भारत के हर नागरिक को शिक्षित होना पढ़ा लिखा होना चाहिए लेकिन जनप्रतिनिधियों की शैक्षणिक योग्यता कितनी होनी चाहिए यह संविधान में व्यवस्था नहीं है. इसलिए जनप्रतिनिधियों के ज्यादा शिक्षित होने की बात कहना पूरी तरह से उचित नहीं है. आने वाले वक्त में देश के लोग इस पर विचार करेंगे या फिर संसद की ओर कानून बनेगा. हालांकि प्रदेश के दूसरे माननीयों के विचार कुछ अलग हैं. 

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पढ़ाई के महत्व को स्वीकारते हैं सभी नेता

कांग्रेस विधायक फुन्देलाल  मार्कों ने NDTV से कहा-  मनुष्य को हमेशा पढ़ते रहना चाहिए शिक्षा की कोई उम्र नहीं होती है. लोकतंत्र में किसी डिग्री की बाध्यता तो नहीं है लेकिन शिक्षा का महत्व बहुत है. जब मौका मिले पढ़ना चाहिए. शिक्षा के बिना विकास संभव ही नहीं है. मैंने MA-LLB किया है और इसी शिक्षा के दम पर यहां तक पहुंचा हूं. कुछ ऐसी ही राय बीजेपी विधायक दिनेश राय मुनमुन की भी है. वे कहते हैं- हर जनप्रतिनिधि अगर शिक्षित होगा तो वह शिक्षा को आगे बढ़ाएगा. शिक्षित होने की वजह से सही निर्णय लेगा. मैंने M.COM-LLB किया है. यदि आप अशिक्षित हैं तो राजनीति तो कर सकते हैं लेकिन जिस दिशा में राजनीति करना चाहिए वह नहीं कर पाएंगे.

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विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार भी इससे इत्तेफाक रखते हैं.जो जितना पढ़ेगा, उसके पास उतना ही ज्ञान का भंडार होगा. इसके साथ ही अनुभव भी महत्वपूर्ण है, आप जन सेवा कर रहे हैं.उसके लोगों के बारे में एहसास होना चाहिए. मतलब सभी नेता पढ़ाई के महत्व को तो स्वीकार रहे हैं लेकिन हकीकत में ऐसा होता नहीं दिख रहा.   12 वीं पास कैबिनेट मंत्री चैतन्य कश्यप ने NDTV से कहा- शैक्षणिक योग्यता और जनप्रतिनिधित्व दोनों का अलग-अलग महत्व है. शैक्षणिक योग्यता का अपना महत्व है लेकिन जन संवेदनाओं से जुड़ा होना, जन संवेदनाओं को समझना यह सबसे ज्यादा एक राजनेता के लिये ज्यादा जरूरी है.उन्हीं की तरह कैबिनेट मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा ने कहा- हर व्यक्ति के लिए शिक्षा जरूरी है , दोबारा पढ़ाई का मौका मिले तो बिल्कुल पढ़ना चाहिए. हालांकि जिंदगी में अनुभव का अपना अलग स्थान है.  

विधायकों में शिक्षा की स्थिति पर जब हमने विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर से बात की तो उन्होंने अपनी बात कुछ यूं रखी- विधायकों की दृष्टि से ऐसा कोई प्रस्ताव मुझे नहीं मिला है.सामान्य तौर पर जैसे ही नई विधानसभा बनती है तो हम संसदीय कार्यवाही की ट्रेंनिग देते हैं. जहां जैसे प्रशिक्षण की जरुरत होगी वो हम आगे भी देंगे. बता दें कि चार साल पहले तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री और अब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने नई शिक्षा नीति के तहत कॉलेजों में 177 डिप्लोमा और 282 सर्टिफिकेट कोर्स शुरू कराए थे. 79 विषयों के प्रथम वर्ष के कोर्स तैयार भी किए गए है, जिनमें विद्यार्थियों को वैकल्पिक विषय चुनने का अवसर मिलता है. 12वीं पास जनप्रतिनिधियों को शार्ट टर्म कोर्स की भी सुविधा मिलती है...लेकिन प्रदेश के एक भी विधायक और सांसद ने प्रदेश के किसी भी कॉलेज में प्रवेश नहीं लिया है. 

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