MP News: मृदा स्वास्थ्य कार्ड नहीं मिलने से सही फसलों का नहीं हो पा रहा चयन, जानें क्यों जरूरी हैं ये कार्ड

Soil Health Card: छतरपुर जिले में 7 मृदा परीक्षण केंद्र बंद पड़े हैं. यहां कुल 1.80 लाख किसानों में से 2088 को ही मृदा स्वास्थ्य रिपोर्ट कार्ड मिला है. ऐसे में किसानों के फसलों का सही चयन नहीं हो पा रहा है. 

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MP Farmers: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के छत्तरपुर (Chhatarpur) जिले में मृदा स्वास्थ्य योजना (Soil Health Scheme) के क्रियान्वयन की स्थिति बहुत ही कमजोर है. मुख्य कारण सात ब्लॉकों में बनाए गए मृदा परीक्षण केंद्र (Soil Testing Center) चालू न हो पाना हैं. सिर्फ एक मृदा परीक्षण केंद्र चालू होने से साल भर में 20 हजार किसानों को ही मृदा परीक्षण का कार्ड मिल पाता है. बता दें कि जिले में 1 लाख 80 हजार किसान हैं, लेकिन, अब तक मात्र 2088 किसानों को ही मृदा परीक्षण का लाभ मिल पाया है. वहीं, विभाग के द्वारा पूरे जिले से 18,131 किसानों के खेतों से मृदा परीक्षण के लिए सैंपल लिए गए हैं.

सही फसलों का नहीं हो पा रहा चयन

छत्तरपुर जिले में ब्लॉक स्तर पर बनाए गए सात मृदा परीक्षण केंद्र पूरी तरह से बंद है. ऐसे में मैदानी अमला किसानों को न तो इसकी जानकारी दे पा रहा है और न ही विकासखंड स्तर पर मृदा परीक्षण हो पा रहा है. ऐसी स्थिति में किसान अपने खेतों में सही फसल का चयन नहीं कर पा रहे हैं. किसानों के खेतों की मिट्टी का परीक्षण न होने से उन्हें मिट्टी में मौजूद उर्वरा शक्ति की जानकारी नहीं मिल पाती है. ऐसे में मिट्टी में बोई जाने वाली फसल के हिसाब से पोषक तत्व न मिल पाने से किसानों को अच्छा उत्पादन नहीं मिल पाता है.

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इसलिए जरूरी है मृदा स्वास्थ्य कार्ड

कृषि वैज्ञानिक डॉ. कमलेश अहिरवार ने बताया कि फसल की उपज बढ़ाने के लिए जरूरी है कि जमीन की उर्वरा शक्ति अच्छी हो. इसकी जानकारी किसान को तभी मिल पाएगी, जब उसके खेत की मिट्टी का परीक्षण होगा. बोवनी से पहले मिट्टी में सल्फर, पोटाश, मैग्नीशियम, कैल्शियम, फास्फोरस, नाइट्रोजन, कार्बन, आयरन, बोरान, जिंक, ऑक्सीजन और हाइड्रोजन जैसे तत्व होना अति आवश्यक है. तभी किसान को फसल में अच्छा उत्पादन मिल पाएगा. मृदा स्वास्थ्य कार्ड की रिपोर्ट के आधार पर ही किसान अपने खेत में पोषक तत्वों की पूर्ति कर पैदावार को बढ़ा सकता है.

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किसान बोले-आजतक नहीं मिला मृदा स्वास्थ्य कार्ड

महाराजगंज के पुष्पेंद्र, गौरगाय के बीएस राजपूत और मौराहा के महेश पटेल ने बताया कि वह पिछले 6 वर्ष से अधिक समय से खेती का कार्य कर रहे हैं. इस दौरान कृषि विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों के द्वारा उनके खेत से मिट्टी का सैंपल अभी तक नहीं लिया गया है. जिससे उन्हें पिछले कई वर्षों से मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध नहीं हुआ है. ऐसे में खेतों की मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों की जानकारी न मिलने से उन्हें अच्छा उत्पादन नहीं मिल पा रहा है.

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जल्द ही चालू होंगे बंद पड़े मृदा परीक्षण केंद्र

जिला के सहायक संचालक कृषि डॉ. सुरेश पटेल ने बताया कि शासन के निर्देशानुसार जिले में बंद पड़े मृदा परीक्षण केंद्र जल्द ही चालू होने की उम्मीद है. नौगांव लैब में पदस्थ स्टाफ और उसकी क्षमता के हिसाब से मृदा परीक्षण किया जा रहा है. इसके अलावा, जैसे ही ब्लॉक स्तर पर बंद पड़े केंद्र चालू होते हैं, तो किसानों को इसका लाभ प्राथमिकता से मिल सकेगा. 

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