Madhya Pradesh News : मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के एक गांव से विकास के दावों की पोल खोलने वाली खबर आई है. बड़ी बात ये है कि बालाघाट जिले में ऐसे कई गांव हैं, जो मूलभूत सुविधाओं के लिए आज भी सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं. दरअसल, हम बात कर रहे हैं. बालाघाट से लगभग 70 किलोमीटर दूर पुजारी टोला नाम का एक गांव है. इस गांव में पहुंचने के लिए न तो सड़क है, न ही पेयजल की सुविधा.
गांव में कैद हो जाते हैं लोग
ग्राम पंचायत अर्नामेटा के अंतर्गत आने वाला पुजारी टोला गांव बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहा है. इस गांव में जाने के लिए बेहद खराब रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है. वहीं, इस रास्ते में आने वाले दो पूल भी अब क्षतिग्रस्त है. एक पुल लगभग 4 साल पहले ढह गया, तो दूसरा पुल इस बार की बारिश में, ऐसे में बारिश के दिनों में यहां के लोग गांव में ही कैद हो जाते हैं.
बच्चे न स्कूल जा पाते न ही बीमार अस्पताल
बारिश के दिनों में जब नाले में बाढ़ रहती है, तो बच्चे स्कूल तक नहीं जा पाते हैं. ऐसे में यहां के बच्चे शिक्षा से भी वंचित रह जाते हैं. ऐसे में यहां के बच्चों का भविष्य अंधकार में है. इस गांव स्कूल और आंगनवाड़ी ही नहीं है. ऐसे में बच्चों को पढ़ने के लिए दूसरे गांव में जाना पड़ता है.
वहीं, दूसरी तरफ बारिश के मौसम में कोई बीमार पड़ जाए तो, गांव वालों के लिए आफत बढ़ जाती है. इस गांव में एम्बुलेंस या कोई दुसरा चौपहिया वाहन तक नहीं पहुंच पाता. ऐसे में गांव वालों को चार किलोमीटर का सफर तय कर मरीज को मुख्य सड़क लाना पड़ता है. इसके बाद वहां के लोगों को अस्पताल ले जाया जाता है.
सुविधा के आभाव में एक की मौत
पुजारी टोला निवासी महेश परते ने बताया कि सुविधा के अभाव उनकी पत्नी की मौत हो गई. बारिश के दिनों में उनके गांव के दोनों नालो में पानी भर गया था. वहीं, सड़क और पुल न होने से उन्हें चार किलोमीटर तक पैदल मुख्य सड़क तक ले जाना पड़ा. जब तक महिला को जिला अस्पताल तक पहुंचाया गया, तब तक महिला ने दम तोड़ दिया. इसके बाद महेश को संबल योजना के तहत मिलने वाली राशि भी नहीं मिल सकी है.
गर्मियों में पानी के लिए तरसता है गांव
पुजारी टोला के निवासी बताते हैं कि उनके गांव में अब तक नल जल योजना नहीं पहुंच सकी है. एक कुआं था वह भी धंस गया. ऐसे में पेयजल की समस्या बन गई. ग्रामीणों की समस्या तब बढ़ जाती है, जब मई-जून का महीना शुरू हो जाता है. इस दौरान उन्हें पानी के लिए लम्बी दूरी तय करनी पड़ती है.
ग्रामीण बोले- दफ्तरों के कई चक्कर लगा लिए, कुछ नहीं हुआ. ग्रामीणों ने बताया कि हम अपनी समस्या लेकर ग्राम पंचायत से लेकर जनपद पंचायत तक पहुंचे लेकिन हमारी सुनवाई नहीं हुई. गांव वाले आज भी सरकार की राय देख रहे हैं..
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