MP के इस मंदिर में धन के देवता के रूप में विराजते हैं भगवान शिव, 5500 साल पहले भगवान कुबेर ने किया था स्थापित

Lord Of Wealth: हरदा जिले के हंडिया में रिद्धनाथ मंदिर देश का एकमात्र मंदिर है, जहां भगवान शिव को धन के देवता के रूप में पूजा जाता है. मान्यता है कि जब लंकेश रावण ने भाई कुबेर से सारी संपदा छिनने लिया था तब यहीं पर भगवा कुबेर को फिर से धन-संपदा मिली थी.

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RIDDHANATH TEMPLE ESTABLISHED 5500 YEARS AGO BY LORD KUBER WHERE LORD SHIVA WORSHIPPED AS LORD OF WEALTH, HARDA, MP

Handiya Riddhanath Temple; मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर को धन-संपदा का देवी-देवता माना गया है, लेकिन मां नर्मदा उत्तरी तट पर स्थित हंडिया में रिद्धनाथ मंदिर के रूप में विराजने वाले भगवान शिव दिवाली पर धन के देवता के रूप में पूजे जाते हैं. मान्यता है कि लंकेश रावण के भाई भगवान कुबरे ने 5500 साल पहले यहां शिवलिंग की स्थापना की थी.

हरदा जिले के हंडिया में रिद्धनाथ मंदिर देश का एकमात्र मंदिर है, जहां भगवान शिव को धन के देवता के रूप में पूजा जाता है. मान्यता है कि जब लंकेश रावण ने भाई कुबेर से सारी संपदा छिनने लिया था तब यहीं पर भगवा कुबेर को फिर से धन-संपदा मिली थी.

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हंडिया में स्थित रिद्धनाथ मंदिर में दीपावली पर होती है विशेष पूजा

रिपोर्ट के मुताबिक हरदा जिले में स्थित हंडिया में स्थित रिद्धनाथ मंदिर में दीपावली पर विशेष पूजा होती है. ऐसा कहा जाता है कि 1321 किमी लंबी मां नर्मदा के नाभिस्थल पर स्थित रिद्धनाथ मंदिर भगवान शिव का रामायणकालीन मंदिर है, जो करीब साढ़े 5 हजार साल से भी अधिका पुराना है.

हरदा स्थित रिद्धनाथ मंदिर में भगवान कुबेर द्वारा स्थापित शिवलिंग

धन के देवता कुबेर ने रिद्धनाथ मंदिर में की थी शिवलिंग की स्थापना

प्राचीन धार्मिक मान्यता के अनुसार शिवलिंग की स्थापना धन के देवता कुबेर ने की थी. रावण और कुबेर दोना भाई थे. जब रावण ने कुबेर की धन-संपदा छीन ली, तो सृष्टि के रचियता ब्रह्माजी और मां पार्वती के आदेश पर कुबेर ने हंडिया में तप करके भगवान शिव को प्रसन्न किया और भगवान शिव ने कुबेर को फिर से खोई हुई उसकी धन-संपदा वापस लौटाई थी.

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रिद्धनाथ मंदिर में भगवान शिव के साथ मां पार्वती विराजित नहीं है, क्योंकि यहां पार्वती का एक अंश मां लक्ष्मी हैं, जो भगवान विष्णु के साथ विराजती हैं. शिवलिंग के ठीक सामने नंदी के ऊपर 9 देवियां हैं. मंदिर में माया की मूर्तियां है, जिनकी आज्ञा के बिना शिव के दर्शन नहीं होते हैं.

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कछुए के आकार का बना हुआ है 5500 साल पुराना रिद्धनाथ मंदिर

रिद्धनाथ मंदिर के पुजारी ऋतिक व्यास ने बताया कि आमतौर पर मंदिर गोलाकार या आयताकार बने होते हैं, लेकिन प्राचीन शैली में बना रिद्धनाथ मंदिर सबसे अलग कछुए के आकार का बना हुआ है, क्योंकि कछुए को धन-संपदा के प्रतीक माना गया है. इस रूप में उसकी पूजा होती है.

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रिद्धनाथ मंदिर से मिलता है 12 ज्योर्तिलंगों के दर्शन का पुण्य फल 

भगवान रिद्धनाथ को धन के देवता के रूप में पूजा जाता है, जिसका उल्लेख नर्मदा पुराण में भी मिलता है. पं. व्यास ने बताया कि रिद्धनाथ मंदिर का प्रवेश द्वार सामने की बजाय दक्षिण में स्थित है. वहीं, रिद्धनाथ मंदिर के शिखर पर 12 गुंबद बने हुए हैं, जो सभी 12 ज्योर्तिलंगों के प्रतीक हैं. इनके दर्शन से 12 ज्योर्तिलंगों के दर्शन का पुण्य फल प्राप्त होता है.

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