Cyber अपराधियों की खैर नहीं! CM मोहन ने DGP के साथ की मीटिंग, डिजिटल अरेस्ट के मामले पर यह कहा

Digital Arrest Case: सीएम डॉ मोहन यादव ने राज्य साइबर पुलिस मुख्यालय, भोपाल में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक कर साइबर अपराध, विशेषकर Digital Arrest के बढ़ते मामलों पर चर्चा की और साइबर पुलिस को उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रोत्साहित किया.

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Digital Arrest Cyber Crime: कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने मन की बात (Mann Ki Baat) कार्यक्रम में डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) से बचाने के उपाय बताते हुए कहा था कि डिजिटल अरेस्ट से डरे नहीं, रूकें, सोचें तथा एक्शन लें. वहीं अब मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव (CM Mohan Yadav) ने इस बारे में कहा है कि डिजिटल अरेस्ट या अन्य साइबर क्राइम (Cyber Crime) की स्थिति में तत्काल पुलिस (Police) को सूचित किया जाए. उन्होंने कहा कि हमारी जागरूकता, साइबर जालसाजों का साहस के साथ सामना और पुलिस की त्वरित कार्रवाई से इन अपराधों से बचा जा सकता है. सीएम मोहन यादव ने राज्य साइबर पुलिस मुख्यालय का दौरा किया और पुलिस महानिदेशक (DGP Madhya Pradesh) सुधीर सक्सेना, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक योगेश देशमुख, डीआईजी साइबर सेल (DIG Cyber Cell) युसुफ कुरैशी और उप निरीक्षक साइबर सचिन यादव को उनके काम के लिए बधाई भी दी.

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CM ने इसलिए दी बधाई

साइबर पुलिस (Cyber Police) द्वारा 9 नवम्बर को अरेरा कॉलोनी भोपाल निवासी व्यक्ति के डिजिटल अरेस्ट में त्वरित कार्रवाई कर लाईव रेड करते हुए उन्हें मुक्त कराकर करोड़ों रुपए के साइबर फ्रॉड (Cyber Fraud) से बचाने की कार्यवाही की गई थी. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव प्रदेश की साइबर पुलिस को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से राज्य साइबर पुलिस मुख्यालय पहुंचे थे. संभवत: डिजिटल अरेस्ट में लाईव रेड का देश-दुनिया का यह पहला ऐसा प्रकरण है. मुख्यमंत्री डॉ यादव ने साइबर पुलिस की दक्षता और त्वरित कार्यवाही की सराहना की.

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MP को राष्ट्रीय स्तर के मिले पुरस्कार

मध्यप्रदेश को साइबर अपराध रोकने के लिये किये गये उल्लेखनीय कार्यों के लिये निरंतर राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार प्राप्त हुए है. वर्ष 2021 एवं 2022 में NCRB (MHA), वर्ष 2018 एवं 2022 DSCI (कैपेसिटी बिल्डिंग), वर्ष 2018, 2019, 2020 एवं 2022 में साइबर कॉप ऑफ दी ईयर और वर्ष 2022 में FICCI (कैपेसिटी बिल्डिंग) पुरस्कार मिला.

डिजिटल अरेस्ट से डरने की जरूरत नहीं : CM

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने साइबर अपराध में पुलिस टीम द्वारा दिखाई गई तत्परता की सराहना करते हुए इसे अनुकरणीय और प्रेरणादायक बताया. मुख्यमंत्री ने कहा कि लोग सामान्यत: सीबीआई (CBI), ईडी (ED) आदि की कार्यवाही से अनभिज्ञ रहता है और चालाक अपराधी ऐसे लोगों को अपने जाल में फंसा लेते हैं. मध्यप्रदेश पुलिस सूचना प्राप्त होते ही एक्शन में आयी और ठोस कार्रवाई करते हुए डिजिटल अरेस्ट के माध्यम से साइबर फ्रॉड के इस प्रकरण में देश-दुनिया के सामने यह उदाहरण प्रस्तुत किया कि डिजिटल अरेस्ट से डरने की जरूरत नहीं है.

CM ने कहा कि समय पर पुलिस को सूचना दी जाए और त्वरित कार्रवाई की जाए तो अपराध से बचा जा सकता है और ऐसे अपराधियों को पकड़ा भी जाया जा सकता है. पुलिस अधिकारियों-कर्मचारियों पर हमें गर्व है. मुख्यमंत्री ने पुलिस को सूचना देने वाले राजीव ओबेराय से मोबाइल पर बातचीत भी की.

हर जिले में साइबर थाना और साइबर डेस्क होगी : मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश में साइबर पुलिस को हाईटेक बनाने के लिए कार्य जारी है. प्रत्येक जिले में साइबर थाना आरंभ करने के साथ ही प्रदेश के प्रत्येक थाने में साइबर डेस्क स्थापित की जा रही है. साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 को भी अधिक प्रभावी बनाया जाएगा. प्रदेश में व्यापक स्तर पर साइबर जागरूकता अभियान चलाकर साइबर अपराध रोकथाम के उपायों की जानकारी जन-जन को दी जाएगी.

साइबर अपराधों से बचने के लिए नियमित रूप से जारी होती है एडवाइजरी

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने बताया कि साइबर अपराध और शिकायतों में प्रतिवर्ष वृद्धि हो रही है. वर्ष 2019 में लगभग चार हजार शिकायतें प्राप्त हुई थीं, जबकि वर्ष 2024 में अब तक लगभग पांच लाख शिकायतें प्राप्त हो चुकी हैं. साइबर अपराधों की रोकथाम के लिए पिछले पांच वर्षों में लगभग 259 प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से लगभग 24 हजार पुलिस अधिकारियों, न्यायिक अधिकारियों और लोक अभियोजन अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया. गत पांच वर्ष में साइबर जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से छात्र-छात्राओं सहित लगभग 31 लाख नागरिकों को जागरूक किया गया. साइबर पुलिस द्वारा बिजली बिल भुगतान व कस्टम ड्यूटी के नाम पर ठगी, पेंशन फ्रॉड, ऑनलाइन टेलीग्राम टॉस्क और डिजिटल अरेस्ट संबंधी एडवाइजरी नियमित रूप से जारी की जाती रही है. राज्य शासन को साइबर अपराधों से बचाव संबंधी जागरूकता के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं.

साइबर अपराधों के रोकथाम के समुचित प्रयास

MP में पिछले 5 वर्षों में लगभग 259 प्रशिक्षण कार्यक्रमों में लगभग 24,000 पुलिस अधिकारी, न्यायिक अधिकारी, लोक अभियोजन अधिकारी प्रशिक्षित किये गये हैं. लगभग 4700 हजार साइबर जागरुकता कार्यक्रम आयोजित कर लगभग 31 लाख नागरिकों (छात्र-छात्राओं, महिलाओं, वृद्धों आदि) को जागरुक किया गया. नियमित रुप से नवीन साइबर अपराधों (डिजिटल अरेस्ट़ बिजली बिल भुगतान करने के नाम पर, कस्टम ड्यूटी के नाम पर, पेंशन फ्रॉड, ऑनलाइन टेलीग्राम टास्क आदि) से संबंधित एडवाइजरी जारी की जाती रही है.

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