MP में 6 महीने में 88 हजार से ज्यादा सड़क हादसे, Dial 108 की रिपोर्ट में सामने आयीं ये वजहें चौंका देंगी!

MP Road Accidents Data: 108 एम्बुलेंस सुबह-शाम सड़कों पर दौड़ रही हैं. हादसा होने पर सबसे पहले मदद के लिए इन्हीं एंबुलेंस को सड़क पर चलते आम राहगीर मदद के लिए फोन करते हैं. कॉल सेंटर में आने वाले तमाम कॉल रिकॉर्ड किए जाते हैं, इन्हीं कॉलों के आधार पर ये रिपोर्ट तैयार की गई है.

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Road Accident in Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल (Bhopal) में 8 अगस्त को कोलार इलाके में सॉफ्टवेयर इंजीनियर (Software Engineer) की बाइक (Bike Accident) भी सड़क पर बैठे आवरा मवेशी से टकरा गई उसके पेट में गंभीर चोट आई और मवेशी का सींग ऐसा लगा कि उस युवक की मौत (Death) हो गई. इससे पहले 28 जुलाई को भोपाल में ही भारत टाकीज इलाके में मवेशियों ने ऐसा आतंक मचाया कि आधे घंटे से ज्यादा इलाके का ट्रैफिक थमा रहा. मवेशी के ठेला पलटा देने से कई लोग घायल हो गए. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि मध्य प्रदेश में 6 महीने में 88 हजार से ज्यादा सड़क हादसे (Road Accident) हुए है. यह अभी तक के रिकॉर्ड स्तर पर है. स्वास्थ्य सेवाओं की लाइफ लाइन 108 एंबुलेंस (Dial 108 Ambulance Services) की पहली छमाही रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है.

Road Accident in Madhya Pradesh: डायल 108 एंबुलेंस की रिपोर्ट में हुआ आंकड़ों का खुलासा
Photo Credit: Ajay Kumar Patel

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किसने किया सर्वे?

मध्य प्रदेश में 108 सेवाओं को संचालित करने वाली जय अंबे एमरजेंसी सर्विसेस ने ये सर्वे रिपोर्ट तैयार की है. यह रिपोर्ट हकीकत के करीब है, लेकिन जिम्मेदार सड़कों को लेकर वही रटे-रटाए जवाब दे रहे हैं. लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह कह रहे हैं कि खराब सड़कों को ठीक करने का काम शुरू कर दिया गया. जल्द से जल्द खराब सड़कों को दुरुस्त कर दिया जाएगा. सभी सड़कें हमारी नहीं है, जो सड़के हमारी हैं, उनके लिए अधिकारियों को निर्देश दे दिया है.

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कैसे रिकॉर्ड हुए आंकड़ें?

108 एम्बुलेंस सुबह-शाम सड़कों पर दौड़ रही हैं. हादसा होने पर सबसे पहले मदद के लिए इन्हीं एंबुलेंस को सड़क पर चलते आम राहगीर मदद के लिए फोन करते हैं. कॉल सेंटर में आने वाले तमाम कॉल रिकॉर्ड किए जाते हैं, इन्हीं कॉलों के आधार पर ये रिपोर्ट तैयार की गई है.

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सबसे ज्यादा हादसे वाले जिले पर डालिए एक नजर

Road Accident in Madhya Pradesh: डायल 108 एंबुलेंस की रिपोर्ट के अनुसार आंकड़े
Photo Credit: Ajay Kumar Patel

छोटे शहरों की अच्छी तस्वीर

छोटे शहरों में हादसों की तस्वीर भी छोटी है.उज्जैन,शिवपुरी, टीकमगढ़, कटनी, सिंगरौली, सीधी में हादसे में 10 से 15 प्रतिशत तक की कमी आई है.

क्या हैं वजहें?

रिपोर्ट के अनुसार इन हादसों की मुख्य वजह खराब सड़क, आवरा मवेशी और शराब पीकर वाहन चलाना है. सड़कों पर गड्ढे या गड्ढों में सड़क की तस्वीरों से आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं. खेतों में मवेशी या सड़क पर मवेशी, हकीकत सामने है. शराब दुकान पर जिस तरह से वाहन चालकों की भीड़ दिखती है वह सच्चाई उजागर करती है.

नगरीय क्षेत्र में सरकार का अपना तर्क

शहर सरकार की मुखिया मैडम मेयर की भी सुन लीजिए. भोपाल की महापौर मालती राय कहती हैं कि सभी सड़कें हमारी नहीं है, जो सड़के हमारी है उनको जल्द से जल्द सुधरने का काम किया जाएगा. सड़कों के सामने को लेकर मीटिंग हो चुकी है.

अब सवाल यह है कि ये सड़कें किसकी हैं. खराब सड़कों को लेकर सरकार के अंदर ही ऊपर से नीचे तक हर कोई अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ता नजर आता है. आम लोगों को सिर्फ अच्छी सड़कों का इंतजार है ताकि हादसों पर लगाम लगया जा सके.

आवरा मवेशियों पर लाचार सरकार

सिर्फ खराब सड़के ही नही ये आवारा मवेशी भी सड़क हादसों के लिए जिम्मेदार है. रिपोर्ट के मुताबिक 35% हादसे खराब सड़क और आवारा मवेशियों की वजह से हुए तो वहीं 24 प्रतिशत शराब के नशे में वाहन चलाने से हुए हैं. मतलब साफ है कि हादसों का ग्राफ तेजी से बड़ रहा है..ओर अपने पिछले सालों में सबसे उच्चतम स्तर पर है. 108 के कॉल सेंटर में रोजाना औसतन 570 कॉल गंभीर एक्सीडेंट से जुड़े आते हैं. आवरा मवेशी से जुड़े हादसे को लेकर सरकार के पास कोई ठोस प्लान नहीं है. जिम्मेदार इसके लिए जनता से ही आग्रह करते नजर आते हैं.

पशुपालन मंत्री लखन पटेल कहते हैं कि ये परेशानी लंबे अरसे से है. हम लोगों से सिर्फ निवेदन आग्रह कर सकते हैं कि वह अपने मवेशियों को खुले में ना छोड़े मावेशी से सड़क पर आ जाते हैं.

विपक्ष ने दागे सवाल

सरकार ने अभी तक क्या प्रयास किए क्याें नहीं? विपक्ष जरूर इसे लेकर हमलावर है, उसने सीधे तौर पर सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है. उनकी माने तो सीधे तौर पर सरकार की लापरवाही है. कांग्रेस के पूर्व विधायक शैलेंद्र पटेल कहते हैं कि पीकर कोई गाड़ी चलाएं तो पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए. सड़कों पर गड्ढों को लेकर सरकार में मंत्री नेता लड़ते हैं. मवेशी को लेकर सरकार के पास कोई प्लान नहीं.

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