इंदौर में रैगिंग की आड़ में Zen-Z प्रोटेस्ट की थी तैयारी, DAVV की एंटी रैगिंग समिति की जांच रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

DAVV IET Ragging Scandal: रिपोर्ट के मुताबिक, सीनियर छात्रों ने फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स पर दबाव डालकर उनसे फेक आईडी बनवाने, सोशल मीडिया पोस्ट वायरल करने और नेपाल में हुए जेन-जी स्टाइल प्रोटेस्ट की तर्ज पर विरोध की तैयारी करने को कहा था.

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DAVV IET Ragging Scandal: इंदौर देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (IET) में रैगिंग मामले ने नया मोड़ ले लिया है. एंटी रैगिंग समिति की जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद खुलासा हुआ है कि यह महज रैगिंग नहीं, बल्कि सुनियोजित तरीके से छात्रों पर दबाव बनाने और उन्हें इस्तेमाल करने की कोशिश थी.

जूनियर्स से बनवाए जा रहे थे फर्जी अकाउंट

रिपोर्ट के मुताबिक, सीनियर छात्रों ने प्रथम वर्ष के स्टूडेंट्स को न केवल रैगिंग की, बल्कि उनसे फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट बनवाए और नेपाल की तर्ज पर विरोध प्रदर्शन की तैयारी भी करवाई. छात्रों को आदेश दिया गया कि कम से कम दो फेक ट्विटर अकाउंट बनाएं और सभी सीनियर्स के पोस्ट रीट्वीट करें.

जूनियर्स छात्र को दी गई थी धमकी 

इतना ही नहीं, धमकी दी गई कि अगर आदेश नहीं माने तो बैच से बाहर कर दिया जाएगा. रिपोर्ट के मुताबिक, सीनियर छात्रों ने फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स पर दबाव डालकर उनसे फेक आईडी बनवाने, सोशल मीडिया पोस्ट वायरल करने और नेपाल में हुए जेन-जी स्टाइल प्रोटेस्ट की तर्ज पर विरोध की तैयारी करने को कहा था.

किसी को भनक न लगे इसके लिए मैसेज डिलीट करवाए गए

जांच में सामने आया कि शिवसागर रेस्टोरेंट में सीनियर्स ने मीटिंग कर फर्स्ट ईयर छात्रों से उनके पर्सनल जीमेल के साथ-साथ फेक जीमेल और ट्विटर अकाउंट भी खुलवाए. इस दौरान सीनियर छात्र अमन पटेल ने फर्स्ट ईयर के विवेक शर्मा से सभी मैसेज डिलीट करवाए, ताकि किसी को भनक न लगे.

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 साथ ही सीनियर इंट्रोडक्शन नाम से एक अलग ग्रुप भी बनाया गया, जिसमें लगातार दबाव और धमकियां दी जाती थीं. रिपोर्ट में जिन छात्रों के नाम सामने आए हैं, उनमें अमन पटेल, आदर्श मकवाना, आदित्य शर्मा, सुनील अहिरवार, नमन पांडे, यशश्वी मिश्रा और धवल चौधरी शामिल हैं.

संगठित रूप से थी प्लानिंग

एंटी रैगिंग समिति की रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया है कि IET में यह घटना सिर्फ एक सामान्य रैगिंग केस नहीं, बल्कि संगठित रूप से की गई प्लानिंग थी. विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए अब यह मामला बड़ी चुनौती बन गया है, क्योंकि सवाल सिर्फ रैगिंग का नहीं बल्कि अनुशासन और छात्र राजनीति की गंभीर साजिश का भी है.

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