Fake Doctor Narendra Yadav: फर्जी दस्तावेजों के जरिए मिशन अस्पताल में सर्जरी कर 7 मरीजों को मारने वाला फर्जी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ एन. जॉन कैम अभी न्यायिक अभिरक्षा में दमोह जिला जेल में बंद है, लेकिन जेल में अपने अजीबोगरीब डिमांड और रवैये से उसने जेल कर्मचारियों का बुरा हाल कर रखा है.
ये भी पढ़ें-MLA Son: कांग्रेस MLA के बेटे ने गश्त में खड़े कांस्टेबल पर दौड़ा दी कार, बिना नंबर की गाड़ी ड्राइव रहा था आरोपी
वजन घटने का शगूफा छोड़कर डाक्टर डेथ ने की है अंडा और दूध की डिमांड
रिपोर्ट के मुताबिक अब डाक्टर डेथ ने अपने वजन घटने का शगूफा छोड़ा है और जिला न्यायाधीश के दौरे के दौरान अंडा और दूध की डिमांड कर दी. उसकी डिमांड पर जेल अधीक्षक ने असमर्थता जताई और केवल दूध उपलब्ध कराने की हामी भर दी है. उसके अजीबोगरीब बर्ताव से जेल स्टाफ परेशान हैं,क्योंकि वह कैदियों को भड़काने का काम करता रहता है.
जेल में बंद नरेंद्र यादव ने 18 सालों में 15 सर्जरी कर ली थी 7 मरीजों की जान
दमोह के मिशन अस्पताल में खुद को कार्डियोलॉजिस्ट बताकर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव ने 18 सालों में 15 ऐसी सर्जरी करने का आरोप है जिनमें से सात मरीजों की मौत हो गई. चौंकाने वाली बात तो ये है कि इसी डॉक्टर ने साल 2006 में छत्तीसगढ़ के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल का भी ऑपरेशन किया था जिसमें उनकी मौत हो गई थी.
ये भी पढ़ें-Mr. Perfectionist: जमीन पर लौटे गर्दिश में रहे आमिर खान के सितारे, क्या गलतियों से सीख गए हैं मि.परफेक्शनिस्ट?
ये भी पढ़ें-Twin Baby School: MP के इस स्कूल में पढ़ते हैं 4-4 जुड़वा बच्चे, देखकर चकरा जाएगा आपका भी दिमाग!
महिला डॉक्टर के नाम पर है नरेद्र विक्रमादित्य यादव की MBBS का रजिस्ट्रेशन
मेडिकल काउंसिल के रिकॉर्ड बताते हैं कि फर्जी सर्जन नरेंद्र विक्रमादित्य यादव की घोषित MBBS की डिग्री का रजिस्ट्रेशन एक महिला डॉक्टर के नाम पर है और बाकी डिग्रियों का कोई प्रमाण नहीं. Andhra Pradesh Medical Council का रिकॉर्ड भी संदिग्ध है. दमोह के SP श्रुतकीर्ति सोमवंशी के मुताबिक उसकी सभी डिग्री नकली लग रही है.
2006 में पता चल गया था नरेंद्र विक्रमादित्य यादव की फर्जी डिग्री का राज
एनडीटीवी की पड़ताल में सामने आया कि मिशन अस्पताल नरेंद्र विक्रमादित्य यादव का पहला मिशन नहीं था. अगस्त 2006 में छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल का ऑपरेशन भी इसी फर्जी डॉक्टर ने किया था. उस ऑपरेशन के बाद 8 मरीजों की मौत हुई थी. तब भी जांच में यह सामने आया कि उसके पास सिर्फ एक एमबीबीएस डिग्री है.