ओंकारेश्वर पहुंचे क्रिकेटर कृष्णमाचारी श्रीकांत, ज्योतिर्लिंग महादेव के किए दर्शन, बोले- 'यहां आकर आत्मिक शांति मिली'

Omkareshwar Jyotirlinga Mahadev: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान कृष्णमाचारी श्रीकांत अपने परिवार संग तीर्थ नगरी ओंकारेश्वर पहुंचे, जहां उन्होंने भगवान ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग महादेव के दर्शन किए. इससे पहले कृष्णमाचारी श्रीकांत महाकाल के दर्शन किए थे.

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Cricketer Krishnamachari Srikkanth visit Omkareshwar: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और विस्फोटक बल्लेबाज कृष्णमाचारी श्रीकांत अपने परिवार संग तीर्थ नगरी ओंकारेश्वर पहुंचे. उन्होंने भगवान ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग महादेव के दर्शन कर पूजा-अर्चना की. इस अवसर पर मंदिर के पुजारी पंडित दिनेश पुरोहित ने विधि-विधान से पूजा और अभिषेक संपन्न करवाया. मंदिर के दीपक मालाकार ने उन्हें दर्शन करवाए और स्मृति चिन्ह भेंट किया.

ओंकारेश्वर पहुंचे कृष्णमाचारी श्रीकांत

ओंकारेश्वर थाना प्रभारी अनोक सिंधिया ने जानकारी देते हुए बताया कि श्रीकांत सोमवार दोपहर लगभग 3 बजे ओंकारेश्वर पहुंचे. उन्होंने परिवार सहित ज्योतिर्लिंग के दर्शन किए और नर्मदा तट की अद्भुत छटा का आनंद लिया. दर्शन के उपरांत श्रीकांत इंदौर के लिए रवाना हो गए.

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग महादेव की पूजा अर्चना की

श्रीकांत ने दर्शन के पश्चात अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, 'भगवान ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर मां नर्मदा के पावन तट पर स्थित है. यहां का प्राकृतिक सौंदर्य अद्भुत और अलौकिक है. इस तीर्थ में आकर मन को असीम शांति मिली. लंबे समय से इस प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग के दर्शन की इच्छा थी, आज वह पूर्ण हुई. मैं भगवान से यही प्रार्थना करता हूं कि दोबारा ओंकारेश्वर आने का सौभाग्य मिले.'

इससे पहले महाकाल के दरबार में पहुंचे थे श्रीकांत

उन्होंने यह भी बताया कि ओंकारेश्वर आने से पहले वे उज्जैन महाकालेश्वर के दर्शन कर चुके हैं.

बता दें कि कृष्णमाचारी श्रीकांत भारतीय क्रिकेट टीम के उन विस्फोटक बल्लेबाजों में से एक रहे हैं, जिन्होंने बल्लेबाजी की शैली को एक नई पहचान दी. वे पहले ऐसे भारतीय ओपनर थे जिन्होंने सीमित ओवरों के क्रिकेट में पहले 15 ओवरों में तेज गति से रन बनाने की परंपरा की शुरुआत की.

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1983 विश्व कप के हीरो श्रीकांत

1983 के विश्व कप में कपिल देव की कप्तानी में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी. मैदान में उतरते ही उनके बल्ले से निकलने वाली हर शॉट दर्शकों में जोश और उत्साह भर देती थी. उन्हें खेल जगत में एक निर्भीक और निडर खिलाड़ी के रूप में याद किया जाता है, जिन्हें आउट होने का भय कभी नहीं रहा.

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