Cooch Behar Trophy : जबलपुर में जन्में कर्नाटक के 'प्रखर' ने युवराज सिंह का 24 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा

Cricket News : प्रखर चतुर्वेदी का जबलपुर से गहरा नाता है. प्रखर का जन्म जबलपुर में ही हुआ है. प्रखर चतुर्वेदी की नानी आशा दुबे यादव कालोनी जबलपुर में रहती हैं. उनके नाना आर एन दुबे अपने समय के बेहतरीन बैडमिंटन खिलाड़ी रहे हैं. प्रखर की नानी का कहना है कि प्रखर जितना पढ़ाई में अव्वल है उतना ही खेल में.

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Highest Individual Score in Cooch Behar Trophy Final : 404! ये कंप्यूटर में दिखने वाला कोई एरर नहीं है. बल्कि ये व्यक्तिगत स्कोर है, जिसने एक नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है. ये स्कोर कर्नाटक के प्रखर चतुर्वेदी (Prakhar Chaturvedi) का है, जिन्होंने इस रन की बदौलत कूच बिहार ट्रॉफी फाइनल (Cooch Behar Trophy Final) में युवराज सिंह (Yuvraj Singh's Record) का 24 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया है. महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) की बायोपिक में एक बहुत ही चर्चित डायलॉग था "बहुत मारा, धागा खोल दिया एक दम." ये बात तब की है जब पंजाब और बिहार के बीच खेले गए कूच बिहार ट्रॉफी फाइनल में युवराज सिंह के 358 रनों की दमदार पारी के बारे में थी. लेकिन अब कर्नाटक के प्रखर ने धागा खोल दिया है.

Cooch Behar Trophy Final: प्रखर चतुर्वेदी

24 साल पुराना युवराज का रिकॉर्ड ऐसे किया ध्वस्त

कीनन स्टेडियम में युवराज द्वारा बनाया गया 358 रन का स्कोर दो दशक से अधिक समय तक कूच बिहार ट्रॉफी के फाइनल में सर्वोच्च व्यक्तिगत स्कोर का रिकॉर्ड बना रहा. अब चौबीस साल बाद, कर्नाटक के प्रखर चतुर्वेदी ने 2023-24 के फाइनल में नाबाद 404 रन बनाकर मुंबई टीम को पछाड़ दिया है.

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इस टूर्नामेंट में अब तक की दूसरी सबसे बड़ी पारी

कूच बिहार ट्रॉफी फाइनल में सर्वोच्च स्कोरर बनने के अलावा, 2011-12 में असम के खिलाफ महाराष्ट्र के विजय जोल के नाबाद 451 रन के बाद प्रखर की नाबाद 404 रन की पारी टूर्नामेंट में अब तक की दूसरी सबसे बड़ी पारी है.

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इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर प्रखर का कहना है कि "रिकॉर्ड विशेष लगते हैं और मुझे खुशी है कि रन तब आए जब यह मायने रखता था. मेरे कोचों ने मुझसे कहा था कि बल्लेबाजी करो और आउट मत होना और मुझे खुशी है कि मैं ऐसा कर सका. अंत में जो मायने रखता है वह यह है कि हमने ट्रॉफी पर कब्जा जमाया."

इस बार के फाइनल मैच का हाल

पहले बल्लेबाजी करते हुए मुंबई की टीम 380 रन पर आउट हो गई और प्रखर की पारी कर्नाटक को पहली पारी की बढ़त के आधार पर जीत दिलाने के लिए पर्याप्त थी, क्योंकि कर्नाटक ने 8 विकेट पर 890 रन बनाए. प्रखर को उनकी पावरफुल हिटिंग स्टाइल के लिए जाना जाता है, लेकिन इस पारी में उन्होंने जो धैर्य रखा, प्रयोग किया और कौशल दिखाया, वह उनकी विशेषता रही. पहले दिन के बाद बल्लेबाजी के लिए बेहतर हो चुकी पिच पर प्रखर ने एक भी कदम गलत नहीं रखा. क्रीज पर रहने के दौरान वह जल्दबाजी में नहीं थे. अंतिम दिन, वह 299 रन पर लंच के लिए गए. अपनी पारी फिर से शुरू करते हुए, उन्होंने एक सिंगल के साथ 300 रन के आंकड़े तक पहुंचने से पहले शांति से 19 डॉट गेंदें खेलीं. जहां 300 रन बनाने में उन्होंने 543 गेंदें खेलीं, वहीं अगले 104 रन 95 गेंदों में बनाए.

ऐसा है परिवार, गांव गाजीपुर और जन्म जबलपुर में

प्रखर के पिता संजय चतुर्वेदी एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर (Software Engineer) हैं जो अब अपना स्टार्ट-अप चलाते हैं, जबकि उनकी मां रूपा चतुर्वेदी रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) में एक तकनीकी अधिकारी हैं. प्रखर के पिता उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से हैं, लेकिन वे दो दशकों से अधिक समय से बेंगलुरु में रह रहे हैं. वे खुद आईआईटी बीएचयू (IIT BHU) से पास-आउट है. संजय चाहते थे कि प्रखर अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करे, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से क्रिकेट उस पर हावी हो गया है. प्रखर के 12वीं कक्षा में अच्छे ग्रेड हैं और अब वह बीए प्रथम वर्ष में है और अर्थशास्त्र की पढ़ाई कर रहा है.

प्रखर चतुर्वेदी का जबलपुर से गहरा नाता है. प्रखर का जन्म जबलपुर में ही हुआ है. प्रखर चतुर्वेदी की नानी आशा दुबे यादव कालोनी जबलपुर में रहती हैं. उनके नाना आर एन दुबे अपने समय के बेहतरीन बैडमिंटन खिलाड़ी रहे हैं. प्रखर की नानी का कहना है कि प्रखर जितना पढ़ाई में अव्वल है उतना ही खेल में. बचपन से ही क्रिकेटरों को देखकर उसके मन में एक बेहतरीन क्रिकेटर बनने की लालसा जागी. क्रिकेट के प्रति उसकी लगन को देखते हुए हम लोगों ने उसे क्रिकेट को ही कॅरियर बनाने के लिए प्रेरित किया और बेंगलूरु में रहते हुए उसने कई क्रिकेट अकादमियों में मशहूर क्रिकेटरों से खेल की बारीकियां सीखीं.

अकादमी से ऐसे जुड़े प्रखर

संजय बताते हैं कि अपार्टमेंट में किसी भी अन्य बच्चों की तरह प्रखर क्रिकेट खेलता था. एक दिन, हमारी सोसायटी के एक व्यक्ति ने मुझसे कहा कि 'आपका बेटा बहुत अच्छा हिट करता है, आप उसे किसी अकादमी में क्यों नहीं डालते.' उनका बेटा भी क्रिकेट खेलता था. 2017 में प्रखर को संजय SIX क्रिकेट अकादमी में ले गए. प्रखर ने जब 2017 में सिक्‍स अकादमी में ट्रेनिंग शुरू की थी तब वह 11 वर्ष के थे.

कोच कौन हैं?

कर्नाटक के पूर्व कप्तान और कोच के जेशवंत की गाइडेंस में प्रखर ने पिछले छह वर्षों से प्रशिक्षण लिया है. के जेशवंत का मानना ​​है कि यह पारी उनके सभी आलोचकों को चुप करा देगी. कोच का कहना है कि "अंडर-19 ही नहीं, उसे अंडर-16 के लिए भी नहीं चुना गया. हमें चयनकर्ताओं के सामने बेहतरीन परफॉर्मेंस देनी पड़ी ताकि उन्हें विश्वास दिलाया जा सके कि वह एक क्वालिटी क्रिकेटर है. मैं समझता हूं कि बहुत प्रतिस्पर्धा है. आप चयनकर्ताओं को दोष नहीं दे सकते. किसी खिलाड़ी की क्षमता देखने के लिए कोच या चयनकर्ता के पास दूरदृष्टि होनी चाहिए, आप आंकड़ों पर भरोसा नहीं कर सकते. प्रखर प्रदर्शन कर रहा था लेकिन उसे नहीं चुना जा रहा था; वे इसके विभिन्न कारण बताएंगे. अब उसने दिखा दिया है कि वह किस चीज से बना है."

 कोच के जेशवंत का कहना है कि "वह गेंद को काफी दूर तक मार सकता है. आप उनके छक्के देखिए, वे काफी लंबे थे. वह बेंगलुरु सर्किट में बड़े-बड़े छक्के मारने के लिए मशहूर है.''

80 से 100 किलोमीटर की यात्रा हर दिन करता था प्रखर

वहीं प्रखर के पिता इसका श्रेय अपने बेटे की कड़ी मेहनत को देते हैं, जो क्रिकेट के लिए हर दिन लगभग 80 से 100 किमी की यात्रा करता था. संजय बताते हैं कि हम इलेक्ट्रॉनिक सिटी में रहते हैं, जबकि अकादमी देवनहल्ली में है. यह शहर के दूसरे हिस्से की तरह है.

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