मध्य प्रदेश में कांग्रेस को लगा झटका, पार्टी के नेता राकेश मवाई हुए भाजपाई... टिकट कटने से थे, नाराज

मुरैना जिला कांग्रेस के अध्यक्ष रहे मवाई सिंधिया के ही समर्थक हैं लेकिन 2020 में जब सिंधिया ने कांग्रेस से बगावत कर कमलनाथ सरकार गिराई थी तब मावई उनके साथ भाजपा में नही गए थे

विज्ञापन
Read Time: 15 mins
राकेश मवाई को सिंधिया का करीबी माना जाता है

Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी कांग्रेस (Congress) को झटके पर झटके लग रहे हैं. यहां के ग्वालियर - चम्बल अंचल में कांग्रेस को बड़ा नुकसान हुआ है. मुरैना जिला कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष और विधायक रहे राकेश मावई ने भी शुक्रवार को कांग्रेस को अलविदा कह दिया है. विधानसभा चुनाव में अपना टिकट कटने से नाराज मावई ने शुक्रवार को दिल्ली में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात करने के बाद भाजपा की सदस्यता ले ली. इसी तरह शिवपुरी में जनपद अध्यक्ष रहे पारम सिंह रावत ने भी कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया.

अपना टिकट कटने से नाराज थे मावई

मुरैना जिला कांग्रेस के अध्यक्ष रहे मवाई सिंधिया के ही समर्थक हैं लेकिन 2020 में जब सिंधिया ने कांग्रेस से बगावत कर कमलनाथ सरकार गिराई थी तब मावई उनके साथ भाजपा में नही गए थे. कांग्रेस ने मुरैना सीट से उन्हें विधानसभा उपचुनाव में प्रत्याशी बनाया और उन्होंने जीत भी हासिल की. इसके बाद 2023 के चुनाव में कमलनाथ ने उनका टिकट काटकर अपने समर्थक दिनेश गुर्जर को दे दिया. वे जीत भी गए, तभी से राकेश कांग्रेस से नाराज चल रहे थे और दिनेश के जीतने से उन्हें यहां अपना भविष्य भी नही दिख रहा था. वे चुनाव के समय से ही सिंधिया के संपर्क में थे.

Advertisement

ये भी पढ़ें श्रीराम मंदिर अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त, यहां होगी 500 कार सहित 1100 वाहनों की खरीददारी

Advertisement

दो बड़े नेता पहले छोड़ चुके है कांग्रेस

इससे पहले विधानसभा चुनाव के समय कई बार पार्षद रहे अलबेल सिंह घुरैया ने कांग्रेस छोड़कर सिंधिया के नेतृत्व में भाजपा ज्वॉइन कर ली थी. ग्वालियर दक्षिण में कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक की हार में उनकी बड़ी भूमिका रही थी. इसके अलावा इसी विधानसभा क्षेत्र में पांच बार पार्षद रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने भी बीते सप्ताह दिल्ली में सिंधिया से मुलाकात के बाद कांग्रेस छोड़ दी थी और ग्वालियर आकर भाजपा की सदस्यता ले ली.

Advertisement

ये भी पढ़ें Khargone: सरकार ने नहीं सुनी तो लोगों ने चंदा इकट्ठा कर खुद बना दिया पुल, अब परिक्रमा हुई आसान, ये है पूरा मामला 

Topics mentioned in this article