Ujjain Lok Sabha सीट पर कभी नहीं गली तीसरी पार्टी की दाल, जानिए- कैसा है यहां का चुनावी इतिहास

Ujjain Lok Sabha Seat: उज्जैन लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने महेश परमार को लोकसभा प्रत्याशी बनाया है, जबकि भाजपा ने एक बार फिर से अनिल फिरोजिया को मैदान में उतारा है. लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी के अनिल फिरोजिया ने 7,90,207 वोटों से जीत हासिल की थी. वहीं, कांग्रेस पार्टी के बाबूलाल मालवीय दूसरे नंबर पर रहे थे.

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Ujjain Lok Sabha Constituency: उज्जैन (Ujjain) मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की 29 लोकसभा सीटों (Ujjain Lok Sabha Seat) में से एक है. इस वक्त उज्जैन संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व भाजपा (BJP) नेता अनिल फिरोजिया (Anil Firozia) कर रहे हैं. निर्वाचन आयोग की 16 मार्च की लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के मुताबिक उज्जैन लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में लोकसभा चुनाव 2024 के लिए 13 मई को चौथे चरण के दौरान वोटिंग होगी.  वहीं, पूरे देश के साथ ही यहां भी मतगणना और परिणामों की घोषणा की 4 जून को की जाएगी.

यहां से कांग्रेस ने महेश परमार को लोकसभा प्रत्याशी बनाया है, जबकि भाजपा ने एक बार फिर से अनिल फिरोजिया को मैदान में उतारा है. लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी के अनिल फिरोजिया ने 7,90,207 वोटों से जीत हासिल की थी. वहीं, कांग्रेस पार्टी के बाबूलाल मालवीय दूसरे नंबर पर रहे थे. दोनों के बीच जीत का अंतर 3,64,698 वोटों का था.  आइए, जानते हैं कैसा उज्जैन लोकसभा सीट का इतिहास. यहां से कब और किसे मिली जीत. साथ ही यह भी जानने की कोशिश करेंगे कि यहां से किसका पलड़ा है भारी.

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यहां बीजेपी का पलड़ा है भारी

उज्जैन संसदीय क्षेत्र 8 विधानसभा क्षेत्रों से मिलकर बना है. इन विधानसभाओं में उज्जैन की 7 और रतलाम की 1 विधानसभा शामिल है. ऐसे में विधानसभाओं में मिली जीत के हिसाब से देखें तो इस बार यहां भाजपा मजबूत स्थिति में नजर आ रही है. दरअसल, इस लोकसभा सीट के तहत आने वाली नगाड़ा-खचरौड़, घटिया, वडनगर, महिदपुर, उज्जैन उत्तर, उज्जैन दक्षिण, अलोट, तराना समेत 8 विधानसभाओं में से 6 विधानसभा क्षेत्रों पर भाजपा का कब्जा है, जबकि महिदपुर और ताराना पर कांग्रेस का कब्जा है. ऐसे में यहां भाजपा का पलड़ा भारी नजर आ रहा है. इसके अलावा अब तक के इतिहास के नजरिए से भी देखा जाए तो यहां भाजपा बेहतर स्थिति में नजर आ ही है. दरअसल, 1984 के बाद यहां भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला रहा है, लेकिन 1984 और 2009 को छोड़कर कांग्रेस यहां कभी भी नहीं जीत पाई. वहीं, यहां 1984 से अब तक 8 बार भाजपा के उम्मीदवार जीत हासिल कर चुके हैं.

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जानिए, कब किसे कितने वोटों से मिली जीत

2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के  अनिल फिरोजिया ने उज्जैन से जीत दर्ज की. उन्हें 791663 वोट मिले, जो कुल वोट का 63.18% था. वहीं, कांग्रेस के बाबूलाल मालवीय दूसरे स्थान पर रहे. उन्हें  426026 वोट मिले और उनका वोट प्रतिशत 34% था. इसके अलावा, बीएसपी के सतीश परमार तीसरे स्थान पर रहे. उन्हें मात्र 10698 वोट मिले जो कुल वोट का मात्र 0.85% हैं.

2014 में उज्जैन लोकसभा सीट से भाजपा के प्रोफेसर चिंतामणि मालवीय ने जीत दर्ज की. उन्होंने 641101 वोट मिले, जो कुल वोट का 42.03 प्रतिशत था. वहीं, कांग्रेस के प्रेमचंद गुडडू दूसरे स्थान पर रहे. उन्हें 331438 वोट मिले, जो कुल वोटों का 21.73% था. इसके अलावा यहां तीसरे नंबर पर कोई भी पार्टी नहीं आ सकी. यहां तीसरे नंबर पर नोट रहा. इस चुनाव में 12287 मतदाताओं ने नोटा को वोट किया, जो कुल वोट का 0.81% था.

2009 में उज्जैन लोकसभा सीट से कांग्रेस पार्टी के गुड्डू प्रेमचंद ने जीत दर्ज की. उन्हें 326905 वोट मिले, जो कुल वोटों का 26.08% था. वहीं, भाजपा के डॉ. सत्यनारायण जटिया को 311064 वोट मिले, जो कुल वोटों का
24.81% था. इसके अलावा बसपा के बाबूलाल थावलिया तीसरे स्थान पर रहे. उन्हें मात्र 9224 मिले, जो कुल वोटों का मात्रा 0.74% ही था.

2004 में भाजपा के डॉ. सत्यनारायण जटिया ने जीत दर्ज की. उन्हें कुल 369744 मिले. वहीं, कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डू
को 299341 मिले. इसके अलावा, निर्दलीय हुकुमचंद को मात्र 18797 वोट मिले.

1999 में भाजपा के डॉ. सत्यनारायण जटिया ने उज्जैन लोकसभा सीट से जीत दर्ज की. उन्हें 360103 वोट मिले, जो कुल वोटों का 54.22% था. वहीं, कांग्रेस के दूसरे स्थान पर रहे. उन्हें कुल 292065 वोट मिले, जो कुल वोटों का
43.98% था. इसके अलावा बसपा के बाबूलाल थावलिया सीतरे नंबर पर रहे. उन्हें मात्रा 6528 मिले, जो कुल वोटों का मात्र 0.98% है.

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उज्जैन लोकसभी सीट का जातीय समीकरण

उज्जैन लोकसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 14 लाख, 98 हजार, 473 है.  यहां की जातिगत समीकरणों की बात करें, तो यहां सामान्य वर्ग के मतदाता 24.6 प्रतिशत हैं. वहीं, पिछड़े वर्ग के मतदाताओं की संख्या 18.6 प्रतिशत है. इसके अलावा, एससी-एसटी मतदाताओं की जनसंख्या 46.3 प्रतिशत हैं. यहां अल्पसंख्यक समाज के मतदाताओं की संख्या मात्र 3.9 प्रतिशत और अन्य 6.6 प्रतिशत हैं.

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