Condition of Primary Schools: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के आदिवासी बाहुल्य डिंडोरी जिले (Dindori) में स्कूलों की हालत बेहद खराब है. यहां के नौनिहालों के पढ़ने के लिए अच्छे स्कूल भवन तक नहीं हैं. ये हालत बीजेपी विधायक व पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे (BJP MLA Omprakash Dhurve) के गृह ग्राम और कांग्रेस विधायक ओमकार मरकाम (Congress MLA Omkar Markam) के गृह ग्राम में भी देखने को मिली है. इसके अलावा जिला शिक्षा केंद्र (District Education Centre Dindori) से मिले आंकड़े बेहद ही चौंकाने वाले हैं. जिसको लेकर NDTV की टीम ने मौके पर पहुंचकर जायजा लिया और स्कूलों की जर्जर हालत को लेकर स्थानीय लोगों से भी बात की.
जिला शिक्षा केंद्र डिंडोरी से मिले आंकड़ों के मुताबिक, डिंडोरी जिले में 620 सरकारी स्कूल भवनों की हालत जर्जर है. जिनमें जर्जर प्राथमिक शाला भवनों की संख्या 508 है तो वहीं जर्जर मिडिल स्कूल भवनों की संख्या 112 है. इतना ही नहीं जिले में 137 ऐसे स्कूल भवन भी हैं जो पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो चुके हैं. जिसके लिए राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल से नए भवन की मांग लंबे समय से की जा रही है. ये आंकड़े आदिवासी बाहुल्य डिंडोरी जिले में शिक्षा व्यवस्था के दावों की पोल खोलने के लिए काफी हैं.
माननीयों के गांव में ही नहीं हैं अच्छे स्कूल भवन
शहपुरा विधानसभा से बीजेपी विधायक व पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे के गृह ग्राम रूसा के नर्मदा टोला में प्राथमिक शाला का भवन खंडहर में तब्दील हो चुका है. लिहाजा स्कूल का संचालन पूर्व सरपंच के घर में किया जा रहा है. करंजिया विकासखंड का यह इलाका न सिर्फ शहपुरा विधानसभा से बीजेपी विधायक ओमप्रकाश धुर्वे का गृह ग्राम है, बल्कि डिंडौरी विधानसभा से लगातार चार बार जीत दर्ज करने वाले कांग्रेस विधायक ओमकार मरकाम का भी गृह क्षेत्र है.
रूसा से करीब 6 किलोमीटर दूर ही कांग्रेस विधायक ओमकार मरकाम का गृह ग्राम बरनई है. इन दोनों माननीयों के गृह क्षेत्र में ही गरीब आदिवासी बच्चे बुनियादी शिक्षा के लिए मोहताज हैं. नर्मदा टोला में तीन प्राथमिक शाला भवन हैं और तीनों भवन खंडहर में तब्दील हो चुके हैं, जो किसी भी वक्त धराशाई हो सकते हैं. खतरे को देखते हुए गांव के लोगों ने खंडहर हो चुके स्कूल भवनों में स्कूल का संचालन नहीं करने का फैसला लिया. गांव के नन्हे-मुन्हें बच्चों का भविष्य खराब न हो, लिहाजा गांव की पूर्व सरपंच वर्षा ने स्कूल के संचालन के लिए अपने घर का एक कमरा दे दिया. जिसमें करीब एक साल से प्राथमिक शाला का संचालन किया जा रहा है.
एक ही कमरे में पहली से पांचवीं के बच्चे करते हैं पढ़ाई
प्राथमिक शाला नर्मदा टोला में बच्चों की संख्या 17 है. एक कमरे में ही पहली से लेकर पांचवी कक्षा का संचालन किया जा रहा है. स्कूल भवन नहीं है तो ऐसे में शौचालय और खेल मैदान समेत अन्य सुविधाएं भी बच्चों को नहीं मिल पा रही हैं. स्कूल में पदस्थ शिक्षिका निर्मला विश्वकर्मा ने बताया कि पिछले सत्र में जब स्कूल भवन की स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो गई थी, तब इस स्कूल के बच्चों को गांव से करीब तीन किलोमीटर दूर प्राथमिक शाला रहंगी में शिफ्ट करने के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने निर्देश दिए थे. लेकिन, इसके लिए ग्रामीण राजी नहीं हुए. लिहाजा पूर्व सरपंच के घर पर ही स्कूल का संचालन किया जा रहा है.
शिक्षिका भी मानती हैं कि घर के जिस छोटे से कमरे में पहली से लेकर पांचवी क्लास के बच्चों को पढ़ाया जा रहा है, जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है तो वहीं स्थानीय लोग शिक्षा विभाग के अधिकारियों समेत दोनों विधायकों के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए जल्द से जल्द नया स्कूल भवन बनाने की मांग कर रहे हैं.
जिला शिक्षा अधिकारी ने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ा
आदिवासी बाहुल्य डिंडोरी जिले में पहली से लेकर आठवीं तक स्कूलों के संचालन की तमाम जिम्मेदारी जिला शिक्षा केंद्र के तहत सर्व शिक्षा अभियान विभाग की होती है. वहीं नवमी से बारहवीं क्लास तक के स्कूलों की पूरी जिम्मेदारी जनजातीय विभाग की होती है. जिला शिक्षाधिकारी रती लाल सिंदराम से जब NDTV ने जिले में बड़ी तादात में जर्जर हो चुके भवनों में स्कूल का संचालन किए जाने को लेकर सवाल किया तो उन्होंने इस मामले से पल्ला झाड़ते और बेबसी जाहिर करते हुए कहा कि पहली से लेकर आठवीं क्लास तक के स्कूलों की संपूर्ण जिम्मेदारी सर्व शिक्षा अभियान के जिला समन्वयक की होती है. उन्हें इस ओर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए ताकि नौनिहाल बुनियादी शिक्षा अच्छे से हासिल कर सकें. साथ ही उन्होंने नर्मदा टोला में निजी मकान के एक कमरे में हो रहे सरकारी स्कूल के संचालन को लेकर जल्द गांव का दौरा करने का आश्वासन दिया है.
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