'पाव पेट्रोल’ और ‘पेपा पिग’ के साथ मोबाइल में खोया बचपन, आखिर कहां गया अब कॉमिक्स का वो... दौर ?

Comics News : कॉमिक्स का एक अलग ही दौर था... लेकिन अब बचपन मोबाइल में खोता जा रहा है, आखिर पिंकी, चाचा चौधरी, साबू... जैसे कॉमिक्स का दौर कहां गुम गया. लेकिन भोपाल में इसके प्रेमी आज भी हैं. जगह-जगह से कॉमिक्स का कलेक्शन कर रहे हैं.

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Childhood lost in Mobile : गर्मी की छुट्टियों और कॉमिक्स का हमेशा से ही अपना एक अलग ही कनेक्शन रहा है. छुट्टियां शुरू होते ही स्कूल की किताबें बंद और कॉमिक्स का पिटारा खुल जाय करता था. हालांकि,अब यह नज़ारा देखने को नसीब नहीं होता. उस समय की बात भी निराली थी, जब सुबह पिंकी की कहानियों के साथ और रात अलादीन की कहानियां सुनने के बाद हुआ करती थी. लेकिन अब के बच्चे छुट्टी में मोबाइल में खोए रहते हैं – ‘पाव पेट्रोल' और ‘पेपा पिग' के साथ ही उनका पूरा दिन गुज़र जाता है. हालांकि आज बात हम उस दौर की करेंगे जहां हम सभी का बचपन बीता है.

चाचा चौधरी, साबू, पिंकी.....  

ये वो किरदार हैं जिन्हें हम सब ने अपने बचपन में खूब पढ़ा है. स्टेशन के बुक स्टाल से लेकर नुक्कड़ों पर लगी कॉमिक्स की दुकानों तक इन्हीं किरदारों को हमारी आंखें ढूंढा करती थी. इन किताबों को देख कर हमारी आंखों में एक अलग ही चमक हुआ करती थी. फैंटम इंद्रजाल और ईदगाह जैसी किताबों को पढ़ते हुए हम बचपन के वो दिन गुज़ारा करते थे जो आज जीने को तरसते हैं. हालाँकि अब तो इस दौर के बच्चे भी उस दौर से विपरीत चलते हैं. 

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यहां मकान में दो कमरे सिर्फ कॉमिक्स से भरे हुए हैं

जहां एक ओर बच्चे मोबाइल में खोए हैं...वहीं भोपाल में ये सज्जन हैं-जो आज भी कॉमिक्स के पीछे वैसे ही दीवाने हैं, जैसे बिल्लू अपनी साइकल के पीछे!" इनका दिमाग भी चाचा चौधरी जितना तेज़ है और कॉमिक्स की दीवानगी साबू जैसी भारी है. यह भोपाल का अपना देसी कॉमिक्समैन-नीरज गजभिए हैं. ओल्ड सुभाष नगर में रहने वाले नीरज गजभिए के मकान में दो कमरे सिर्फ कॉमिक्स से भरे हुए हैं. उनके पास ज़्यादातर कॉमिक्स के पहले. एडिशन से लेकर अंतिम अंक तक हैं. वे कॉमिक्स की बात सुनते ही बिना किसी प्लान के उसे लेने निकल पड़ते हैं. कई बार अपने परिजनों को बिना बताए बस्ता उठाए बस कॉमिक्स लेने की आस में निकल पढ़ते हैं.

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जानें अबतक कितना है कॉमिक्स का कलेक्शन

 नीरज अपनी पति  लकी चार्म मानते हैं. कहते हैं कि जब कोई कॉमिक पाना मुश्किल होता होता है तो मैं मेरी पत्नी को साथ लेकर जाता हूं. ऐसा करने पर मुझे वह कॉमिक ज़रूर मिल जाती है. नीरज पत्नी सुषमा के साथ बीते 5 साल में 5 राज्य और 25 शहरों में जाकर 30 हजार से ज्यादा कॉमिक्स का कलेक्शन कर चुके हैं. नीरज कपड़ों का कारोबार करते हैं. कोरोना के समय दोस्तों से बातचीत हुई. तब उन्हें  कुछ ऐसे बच्चों के बारे में पता चला जो कॉमिक्स पढ़ना चाहते हैं लेकिन पैसों की कमी के कारण पढ़ने में असमर्थ हैं.

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नीरज 10 दोस्तों का ग्रुप बनाया

तभी नीरज ठाना की अब वे हर प्रसिद्ध कॉमिक और उसके ज़्यादा से ज़्यादा अंक एकत्रित करेंगे.नीरज ने बताया कि सन 2019 से ही वे कॉमिक्स इकट्ठी कर रहे हैं. नीरज 10 दोस्तों का ग्रुप बनाया है. इसमें तय किया कि जिसको जहां पता चलेगा, वह कॉमिक्स के बारे में बताएगा. मेरा ट्रैवल्स का काम था. ड्राइवर जिस शहर में जाता, वहां से कॉमिक्स लाने को बोलता. मैं खुद उसके साथ निकल पड़ता था. पंजाब, महाराष्ट्र, राजस्थान समेत अन्य राज्यों से कॉमिक्स ला चुका हूं, और आने वाली पीढ़ियों को भी चाचा चौधरी, साबू, पिंकी सहित बाकी किरदारों से  दोस्ती करवाते रहूंगा.

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