MP Ki Sardi : ग्वालियर में ठंड ने दस्तक दे दी है. जैसे ही तापमान 10 डिग्री सेल्सियस तक गिरा, वैसे ही लोगों ने अपने गर्म कपड़े निकाल लिए. ठंड से बचने के लिए पहनावे और खानपान में बदलाव आ गया है. दिलचस्प बात यह है कि सिर्फ इंसान ही नहीं बल्कि भगवान भी सर्दी से बचाव के लिए ऊनी कपड़े पहनने लगे हैं. ग्वालियर के बड़े मंदिर जैसे सनातन धर्म मंदिर, अचलेश्वर मंदिर और राम मंदिर में भगवान को ऊनी वस्त्र पहनाए जा रहे हैं. गर्भगृह में ठंड से बचाव के लिए हीटर और ब्लोअर लगाए गए हैं. आरती का समय भी ठंड को ध्यान में रखकर बदला गया है. अब सुबह के पट 6 बजे और शाम के पट 4 बजे खोले जाते हैं. रात में भगवान को ऊनी गद्दे, रजाई और शॉल के साथ शयन कराया जाता है.
भोग में बाजरा, गुड़ और परांठे हुए शामिल
सर्दी के मौसम में भगवान के भोग और प्रसाद में भी बदलाव किया गया है. अब भगवान को बाजरा और गुड़ से बने परांठे, मैथी और आलू गोभी के परांठे और केसरयुक्त दूध चढ़ाया जा रहा है. सनातन धर्म मंदिर के मुख्य पुजारी रमाकांत शास्त्री बताते हैं कि भगवान की नित्य क्रिया पूरी तरह बदल गई है. भगवान को गर्म रखने के लिए खास व्यवस्था की गई है.
भक्त भी सर्दी के अनुसार चढ़ा रहे प्रसाद
भक्त भी ठंड के मौसम में गर्माहट देने वाले प्रसाद लेकर आ रहे हैं. जैसे भावना तोमर, जो अपने जन्मदिन पर सनातन धर्म मंदिर में आशीर्वाद लेने आईं... वो भगवान पर चढ़ाने के लिए तिल और गुड़ की गजक लेकर आईं. भावना ने कहा कि "जैसे हम अपने खानपान में बदलाव करते हैं, वैसे ही भगवान का भोग भी सर्दी के हिसाब से बदलना चाहिए. "
मंदिरों का समय और व्यवस्था बदली
मंदिरों का समय भी बदला गया है. जहां पहले मंदिर सुबह 5 बजे खुलते थे, वो अब 6 बजे खुलते हैं. रात में बंद होने का समय भी आधा घंटा पहले कर दिया गया है. ठंड में भक्तों और भगवान, दोनों की सुविधा का ध्यान रखा जा रहा है.
ये भी पढ़ें :
सीहोर में कड़ाके की ठंड ! न्यूनतम तापमान 4.8 डिग्री, फसलों पर पाला पड़ने का खतरा