Madhya Pradesh News: एमपी वालों के लिए इस बार की श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को सीएम डॉ. मोहन यादव ने खास बना दिया है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज इंदौर में भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव पर "हर बालक कृष्ण-हर माँ यशोदा" की थीम पर आयोजित देश में अपने तरह के पहले एवं अनूठे कार्यक्रम को सम्बोधित किया. इस दौरान ने बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि प्रदेश के सभी विकास खंडों में एक गांव को चयनित कर बरसाना गांव के रूप में विकसित किया जायेगा.
गीता भवन केंद्र भी स्थापित किये जाएंगे
इन गांवों के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण के आदर्शों और सिद्धांतों का प्रसार जन-जन तक पहुंचाया जायेगा. बरसाना गाँव में जहां एक ओर प्राचीन संस्कृति को पुष्पित और पल्लवित किया जायेगा वहीं दूसरी ओर जैविक खेती और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा दिया जायेगा. इन गाँवों में विकास की नई दिशा तय की जाएगी. ग्रामीणों में मानवता, सामाजिक, सांस्कृतिक एकता के जन जागरण का प्रसार कर एक ऐसा समाज तैयार किया जायेगा, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के आदर्श और सिद्धांत दिखाई दें. मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश के हर एक नगरीय निकाय में गीता भवन केंद्र भी स्थापित किये जाएंगे.
महोत्सव में मटकी फोड़ का कार्यक्रम रहा खास
इंदौर के इस अनूठे कार्यक्रम में 5 हजार से अधिक बच्चे बाल-गोपाल और इतनी ही माताएं मैया यशोदा के रूप में मौजूद थीं. कार्यक्रम स्थल को भगवान श्रीकृष्ण की विभिन्न लीलाओं से चित्रित कर सजाया गया था. मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने उपस्थित बाल-गोपालों को गोद में लेकर स्नेहपूर्वक दुलारा. महोत्सव में मटकी फोड़ का कार्यक्रम भी हुआ. उन्होंने बाल-गोपालों को प्रसाद के रूप में माखन-मिश्री भी खिलाई. बाल-गोपालों को कृष्ण जन्माष्टमी के उपहार भी वितरित किए गये.
ये भी पढ़ें- यूपीएस में कैसे सरकारी कर्मचारियों को मिलेगा पुरानी पेंशन योजनाओं से ज्यादा फायदा, ऐसे समझे
मुख्यमंत्री ने गाया भजन
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कार्यक्रम में भगवान श्रीकृष्ण पर आधारित भजन "गोविंदा आला-रे-आला, जरा मटकी संभाल बृजबाला" सुनाया. इस भजन पर उपस्थित श्रोताओं ने स्वर से स्वर मिलाकर पूरे कार्यक्रम को धर्ममय कर दिया. कार्यक्रम में प्रसिद्ध बांसुरी वादक बल्लू जी के बांसुरी वादन ने और माधवास बैंड की प्रस्तुति ने कार्यक्रम में अलौकिक अनुभूति कराई. मुख्यमंत्री ने "हाथी घोड़ा पालकी-जय कन्हैया लाल की" के जयकारों से पूरे कार्यक्रम स्थल को उपस्थित बाल-गोपालों और यशोदा माताओं के स्वर के साथ गुंजायमान कर दिया.
ये भी पढ़ें- ओलंपिक खेलों की 'चोकर' हैं विनेश फोगाट? 3 बार मिला मौका, तीनों बार लौटी खाली हाथ!