सेंट पीटर चर्च में मनेगा क्रिसमस का त्यौहार, जानें बुंदेलखंड का सबसे पुराने चर्च के बारे में

Christmas Celebrations: सागर में मौजूद बुंदेलखंड के सबसे पुराने चर्च 'सेंट पीटर चर्च' (St Peters Church) को क्रिसमस के मौके पर सजाया गया है. राष्ट्रीय ईसाई महासंघ के अध्यक्ष ने बताया कि सेंट पीटर चर्च में क्रिसमस के मौके पर विशेष प्रार्थना की जाएगी.

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सागर के सेंट पीटर चर्च में क्रिसमस के मौके पर विशेष प्रार्थना की जाएगी.

Christmas 2023 Celebrations: पूरे विश्व में सोमवार, 25 दिसंबर को क्रिसमस (Christmas) का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है. मध्य प्रदेश में मौजूद ईसाई समाज (Christian Society) अपने भगवान के जन्म की खुशी में प्रदेश भर के चर्च में कार्यक्रम आयोजित कर रहा है. जिसमें पूरा ईसाई समाज शामिल होकर भगवान यीशु से प्रार्थना कर रहा है. सागर में मौजूद बुंदेलखंड (Bundelkhand) के सबसे पुराने चर्च 'सेंट पीटर चर्च' (St Peters Church) को क्रिसमस के त्यौहार के मौके पर सजाया गया है. राष्ट्रीय ईसाई महासंघ के अध्यक्ष ने बताया कि सेंट पीटर चर्च में क्रिसमस के मौके पर विशेष प्रार्थना की जाएगी.

200 साल पहले बनाया गया था चर्च

सागर में बने बुंदेलखंड के सबसे पुराने चर्च को करीब 200 साल पहले बनाया गया था. बताया जाता है कि सन् 1857 की क्रांति से पहले बुंदेलखंड में उठे विद्रोह को दबाने के लिए ब्रिटिश शासन ने सागर में एक छावनी बनाई थी. इस छावनी में बड़ी संख्या में अंग्रेजी सैन्य अधिकारियों और सैनिकों की टुकड़ी डेप्लॉय की गई थी. इन सैनिकों और अधिकारियों के लिए सेंट पीटर चर्च का निर्माण कराया गया था. जिसके लिए पुर्तगाल से कारीगरों को बुलाया गया था. उस समय पत्थरों से बने इस खूबसूरत चर्च को बनाने में 5 साल लगे थे.

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ग्रिड पद्धति से किया गया था चर्च का निर्माण

सेंट पीटर चर्च को पुर्तगाली कारीगरों ने ग्रिड पद्धति से बनाया था. यह पद्धति इटली की बेहद खास किस्म की कारीगरी होती है, जो समकोणीय और त्रिकोणीय आधार पर बनती है. चर्च को बनाने में सागौन की लकड़ी और पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था. यह चर्च 1840 में बनकर तैयार हुआ था, जबकि इसकी शुरुआत 12 जनवरी 1841 को हुई थी. सबसे बड़ी बात यह है कि करीब 200 साल के बाद भी यह चर्च अपनी खूबसूरती बनाए हुए है.

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बुंदेलखंड का सबसे पुराना चर्च

सेंट पीटर चर्च बुंदेलखंड का सबसे पुराना और सबसे खूबसूरत चर्च के रूप में जाना जाता है. राष्ट्रीय ईसाई महासंघ के अध्यक्ष सजेंद्र कनासिया ने बताया कि सन् 1835 में आए पुर्तगाली कारीगरों के द्वारा इसका निर्माण कार्य किया गया था. करीब 200 साल हो जाने के बाद भी यह चर्च न केवल अपने अस्तित्व को बनाए हुए है, बल्कि आज भी इसकी खूबसूरती बरकरार है. चर्च के अंदर के विशेष फर्नीचर, झूमर समेत कई चीजें आज भी पूरी तरह से सुरक्षित हैं. उन्होंने बताया कि समय-समय पर सभी चीजों के संरक्षण और रखरखाव का काम किया जा रहा है, जिससे चलते यह अपनी पुरानी खूबसूरती को बनाए हुए है.

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सजेंद्र कनासिया बताते हैं कि बुंदेलखंड के इस चर्च में थोड़े बहुत मेंटेनेंस के अलावा ज्यादा कुछ नहीं किया जाता. जिस पद्धति से इसको तैयार किया गया था, वह इस चर्च के अलावा और कहीं भी दिखाई नहीं देती. यह बुंदेलखंड का सबसे पुराना चर्च है. इसके बाद अन्य जगहों पर चर्च के निर्माण किए गए थे. आपको बता दें कि यह चर्च कैंट छावनी परिषद के बाजू में स्थित है. यहां पर 25 दिसंबर यानी क्रिसमस पर्व के अवसर पर ईसाई समुदाय के लोग प्रार्थना करने के लिए आते हैं. चर्च को क्रिसमस के त्यौहार के पहले लाइटों से सजाया गया है.

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