Chhath Puja MP News: बिहार समेत देशभर में छठ महापर्व 2025 की धूम है. मध्य प्रदेश में भी छठ उत्सव का नजारा देखते ही बन रहा है. चार दिवसीय छठ महापर्व के तीसरे दिन सोमवार को मध्य प्रदेश के छठ घाटों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटे. छठ व्रती विभिन्न तालाबों और जलाशयों तक पहुंचकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया.
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मध्य प्रदेश के इंदौर में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने छठ महापर्व कार्यक्रम में शिरकत की. मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर लिखा, “जय छठी मइया! पूर्व की दिशा से आने वाली कठिनाई को हर काल में अपने सीने पर झेलते हुए देश की सुख-समृद्धि की कामना करता है बिहार. आज इंदौर में छठ पूजन व्रती माताओं-बहनों के साथ अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य समर्पित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. छठी मइया और सूर्य देव से प्रार्थना है कि सभी माताओं-बहनों और प्रदेशवासियों के जीवन में सुख, समृद्धि और नई ऊर्जा का प्रकाश बना रहे.”
Chhath Puja Satna Madhya Pradesh
इधर, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 52 छठ घाटों को दुल्हन की तरह सजाया गया है. घाटों की साफ-सफाई कर बांस-बल्ले और रंगीन कपड़ों से घाटों को सजाया-संवारा गया है.
बता दें कि साल में एक बार आने वाला छठ पूजा का यह पर्व लोगों के लिए बेहद अहमियत रखता है. बिहार में इसे सबसे बड़ा पर्व माना जाता है. छठ पूजा 2025 के लिए बिहार की राजधानी पटना में गंगा किनारे के लगभग 102 घाट तथा करीब 45 पार्क और 63 तालाबों को छठव्रतियों के अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने की व्यवस्था की गई है.
छठ में डूबते सूर्य को अर्घ्य क्यों दिया जाता है?
मान्यता है कि छठ पर्व सूर्य उपासना का सबसे प्राचीन और वैज्ञानिक रूप है. हिंदू धर्म में सूर्य को आरोग्य और जीवन का देवता माना गया है. छठ पर्व में न केवल उगते बल्कि डूबते सूर्य की भी पूजा की जाती है, जो इसे अन्य सभी पर्वों से अलग बनाता है. महिलाएं छठी मइया और सूर्य देवता की पूजा-अर्चना करती हैं.
अनूपपुर: छठ महापर्व के आस्था की झलक
मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले भर में छठ महापर्व के अवसर पर शाम को छठ तलाब घाटों पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा रहा है. मरकंटक के रामघाट,राजेंद्रग्राम में जोहिला घाट,अनूपपुर में समतापुर तालाब,कोतमा, बिजुरी,जमुना कॉलरी में डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर परिवार की सुख समृद्धि की कामना की है. सभी घाट छठ मइया के गीतों से गूंज उठे. शासन प्रशासन द्वारा पूजा को लेकर घाटी में उचित व्यवस्था की गई है साथ सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गए है.साथ ही आज कई घाटों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है.
खंडवा: गणगौर घाट पर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य
मध्यप्रदेश के खंडवा में लोक संस्कृति और आस्था के पर्व छठ पर अस्ताचलगामी सूर्य अर्घ्य दिया गया. शाम को शहर के गणगौर घाट पर बड़ी संख्या में व्रतियों ने परंपरागत तरीके से यह पर्व मनाया. सुबह उदयीगामी सूर्य को अर्घ्य देकर इस पर्व का समापन होगा. हर साल बिहार और उत्तर प्रदेश के निवासी जो छठ पर अपने घर नहीं जा पाते हैं, वो यहां पर रहकर छठ पर्व मनाते हैं.
खंडवा की आबना नदी के गणगौर घाट पर बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोकपर्व छठ का आयोजन हुआ. बड़ी संख्या में बिहार और यूपी क्षेत्र के लोग तीन दिनों तक पूरे विधि विधान से छठ मनाते है. गणगौर घाट पर डूबते हुए भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया गया.
शहडोल: ठेकुआ, खीर और अन्य मीठे व्यंजनों से महकी रसोइयां
शहडोल जिले में भी छठ पर्व भी बड़े धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. शहडोल शहर में मुख्य कार्यक्रम का आयोजन श्रीराम मोहन तालाब पर हुआ. इसके अलावा मुरना नदी बड़ी भीट तालाब पर भी पूर्जा अर्चना की गई. छठ पूजा से पहले घर और पूजा स्थल की सफाई की जाती है. छठ पूजा के लिए विशेष रूप से बनाए गए पकवान जैसे कि ठेकुआ, खीर, और अन्य मीठे व्यंजन तैयार किए जाते हैं. नहाय-खाय के साथ छठ पर्व की शुरुआत होती है. आज डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया गया. सूर्योदय के समय उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पर्व संपन्न होगा.
सतना में छठ पर्व की धूम: महिलाओं ने ढलते सूर्य को दिया अर्घ्य
लोक आस्था के महापर्व छठ की धूम शहर में देखने को मिली. सोमवार शाम संतोषी माता मंदिर तालाब पर व्रती महिलाओं ने सज-संवरकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया और परिवार की सुख-समृद्धि तथा पुत्र-पति की दीर्घायु की कामना की. सूर्यास्त के समय तालाब परिसर दीपों और लाइटों से जगमगा उठा. लालिमा युक्त सूर्य की किरणों में छठ मैया की पूजा का दृश्य मनमोहक दिखाई दिया. मंगलवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही यह पर्व संपन्न होगा.
दूसरे दिन व्रती महिलाओं ने बांस की टोकरी और सूप में ठेकुआ, चावल के लड्डू, फल और पूजा सामग्री सजाकर सूर्य देव को अर्पित किए. अर्घ्य देने के बाद महिलाओं ने सूर्य देव की पांच परिक्रमा की और विधिवत पूजा-अर्चना की. तालाब घाट पर महिलाओं ने एक-दूसरे को टीका लगाकर परंपरा निभाई और परिवार की सलामती की कामना की.
इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किया गया. मिर्जापुर के गायक विजय द्वेदी ने अपने मधुर भोजपुरी गीतों से श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया. गीत-संगीत का यह आयोजन शाम चार बजे से प्रारंभ होकर देर रात तक चलता रहा.
व्रती महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास मंगलवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद समाप्त होगा. इसके उपरांत ठेकुआ और फल का प्रसाद वितरित किया जाएगा. श्रद्धा, भक्ति और लोक परंपरा का यह अनूठा संगम पूरे शहर में आस्था का वातावरण बनाए हुए है.