जिंदा हूं साहब ... पत्नी को मिल रही विधवा पेंशन, ज़िंदा होने का सबूत लेकर दफ्तरों के चक्कर काट रहा पति

Ladali Bahna Yojana: मध्य प्रदेश के छतरपुर में नगर परिषद बड़ामलहरा की महिला को लाडली बहना योजना की जगह विधवा पेंशन की राशि मिल रही है. महिला का पति अपने ज़िंदा होने का सबूत लेकर दफ्तरों के चक्कर काट रहा है. 

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Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के छतरपुर (Chhatarpur) से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जिस में एक महिला को कागजों में विधवा बना दिया गया है. इतना ही नहीं, जिंदा इंसान की पत्नी को एक साल से विधवा पेंशन भी दी जा रही है. बृजेश विश्वकर्मा पिछले एक साल से अपने जिंदा होने का सबूत दे रहे हैं. लेकिन अभी तक उनकी पत्नी कागजों में विधवा बनी हुई है. नगर परिषद के लापरवाह कर्मचारियों की वजह से एक जिंदा आदमी अपने जिंदा होने का प्रमाण देने के लिए दर-दर भटक रहा है. 

ये है मामला

उर्मिला विश्वकर्मा पति बृजेश विश्वकर्मा (32) साल निवासी वार्ड-06 नंबर पीली दुकान मोहल्ला बड़ामलहरा की रहने वाली है, जिसका नाम नगरपरिषद बड़ामलहरा में परिवार आईडी नंबर 47464949 व 100438497 में जुड़ा हुआ है।  उसने लाडली बहन योजना में नाम जुड़वाने के लिए नगर परिषद बड़ामलहरा में आवेदन दिया था. उसका नाम लाडली बहन (Ladali Bahna Yojana) में ना जोड़कर विधवा पेंशन में जोड़ दिया गया है, जबकि उसका पति जीवित है.अब महिला विधवा पेंशन से नाम कटवाने के लिए दर-दर भटक रही है. लेकिन उसका आज तक विधवा पेंशन से नाम नहीं काटा गया है. मंगलवार की दोपहर उसके पति ने जनसुनवाई में आवेदन देकर नाम कटवाने की कलेक्टर से मांग की है और कहा कि मैं अभी जिंदा हूं. 

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महिला ने 1 साल पहले नगर परिषद बड़ामलहरा में लाडली बहना योजना में नाम जोड़ने के लिए आवेदन दिया था, लेकिन उसका नाम लाडली बहना योजना में न जोड़कर विधवा पेंशन में जोड़ दिया गया है .जिसकी वजह से उसके खाते में हर माह 400 रुपए की राशि आ रही है.

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सुनवाई नहीं हो रही है

उर्मिला विश्वकर्मा ने बताया कि बड़ा मलहरा वार्ड- 6 पीली दुकान मोहल्ला की रहने वाली है. जिसका पति जीवित है लेकिन नगर परिषद बड़ामलहरा ने उसके पति को मृत घोषित करते हुए उसका नाम विधवा पेंशन में जोड़ दिया है. अब वह एक साल से नाम कटवाने के लिए दफ्तरों के चक्कर लगा रही है. महिला के पति बृजेश विश्वकर्मा ने बताया कि अभी मैं जीवित हूं फिर भी मेरी पत्नी का नाम विधवा पेंशन में क्यों जोड़ दिया? 1 साल से नाम कटवाने के लिए भोपाल और छतरपुर के चक्कर लगा रहा हूं. लेकिन किसी तरह की सुनवाई नहीं हो रही है. 

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