MP: बकस्वाहा में भीषण सड़क हादसा, दो बाइक की भिड़ंत में 5 घायल, एम्बुलेंस और पट्टी तक नहीं, जिला पंचायत सदस्य बने ‘राह-वीर’

Chhatarpur Road Accident: घायल लोगों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बकस्वाहा पहुंचाया, लेकिन अस्पताल की बदहाल स्थिति ने सभी को चौंका दिया. यहां न पर्याप्त स्टाफ था, न जरूरी सामग्रियां. यहां तक कि इस अस्पताल में पट्टी तक उपलब्ध नहीं थी.

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Chhatarpur News: छतरपुर जिले के बकस्वाहा क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का जीवंत उदाहरण शनिवार को उस समय सामने आया, जब बकस्वाहा के सागर रोड पर फट्टा वेयर हाउस के पास दो बाइकों की आमने-सामने टक्कर में पांच लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. हादसे के बाद मौजूद लोगों ने तुरंत एम्बुलेंस बुलाने की कोशिश की, लेकिन लंबे इंतजार के बावजूद कोई वाहन मौके पर नहीं पहुंचा.

सड़क पर तड़पते घायलों को देखकर वहां से गुजर रहे जिला पंचायत सदस्य करन सिंह लोधी ने मानवीय संवेदनाओं का परिचय देते हुए बिना देर किए अपनी निजी गाड़ी में सभी घायलों को बैठाया और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बकस्वाहा पहुंचाया. यहां डॉ. सत्यम असाटी ने तुरंत इलाज शुरू किया, लेकिन अस्पताल की बदहाल स्थिति ने सभी को चौंका दिया.

अस्पताल की बदहाली उजागर

घायलों को प्राथमिक उपचार के लिए पहुंचाया गया, लेकिन अस्पताल में न पर्याप्त स्टाफ था, न जरूरी सामग्रियां. करन सिंह लोधी ने बताया कि 121 गांवों की सेवा करने वाले इस अस्पताल में पट्टी तक उपलब्ध नहीं थी. घायलों की ड्रेसिंग के लिए पट्टी बाहर से खरीदनी पड़ी, जो स्वास्थ्य विभाग की गंभीर लापरवाही को दर्शाता है.

घंटों बाद पहुंची एम्बुलेंस, भाजपा मंडल अध्यक्ष ने जताई नाराजगी

इलाज शुरू होने के बावजूद घायलों को जिला अस्पताल रेफर करने में एम्बुलेंस की देरी ने हालात और बिगाड़ दिए. इस बीच भाजपा मंडल अध्यक्ष संदीप खरे भी मौके पर पहुंचे और एम्बुलेंस समय पर न मिलने पर नाराजगी जताई. उन्होंने जिला चिकित्सा अधिकारी से बात कर बकस्वाहा की स्वास्थ्य सेवाओं को तत्काल सुधारने की मांग की. काफी देर बाद एम्बुलेंस आई और घायलों को जिला अस्पताल भेजा गया.

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हादसे में घायल हुए लोगों में हल्ले अहिरवार, सुनील आदिवासी (25, निवासी लिधौरा), माखनलाल लोधी (55, निवासी पटेरा) और दो अन्य शामिल हैं. सभी को बेहतर इलाज के लिए जिला अस्पताल रेफर किया गया है.

जिला पंचायत सदस्य का आरोप

करन सिंह लोधी ने कहा, '121 गांवों के लिए बने इस अस्पताल में न दवाएं हैं, न पट्टी, न पर्याप्त स्टाफ. यह जिला प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है, जिसके कारण मरीजों को अपनी दवाएं और पट्टियां खुद लानी पड़ रही हैं.'

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यह घटना सिर्फ एक सड़क हादसा नहीं, बल्कि स्वास्थ्य व्यवस्था की हकीकत का आईना है, जहां समय पर एम्बुलेंस और मूलभूत सुविधाओं का न मिलना सरकारी दावों पर सवाल खड़े करता है. वहीं करन सिंह लोधी का यह कदम मानवता की मिसाल बन गया.

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