देश का भविष्य कैसे होगा उज्जवल, जब स्कूलों में नहीं है उजाला! छात्र बिजली के बिना उमस भरी गर्मी में कर रहे हैं पढ़ाई

Chhatarpur News: स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के लिए विभाग द्वारा एलईडी दी गई हैं, लेकिन बिजली ना होने से यह अनुपयोगी हैं. इन स्कूलों में बने शौचालय और पेयजल के लिए बिजली की जरूरत पड़ती है. इसके लिए पानी की टंकी भी बनाई गई है, लेकिन यह कबाड़ साबित हो रही हैं.

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Madhya Pradesh News:मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के छतरपुर (Chhatarpur) में नया शिक्षण सत्र शुरू हो गया है. बच्चों की कक्षाएं लगना भी शुरू हो गई हैं, लेकिन जिले के 235 सरकारी स्कूल के छात्रों को उमस भरी गर्मी के बीच पढ़ाई करानी पड़ रही है. क्योंकि इन स्कूल में बिजली के कनेक्शन नहीं हैं. इस वजह से कमरों में पंखे नहीं चल पा रहे हैं. खास बात तो यह है कि बीते दिनों हुए लोकसभा चुनाव की वोटिंग के लिए इनमें से 182 स्कूल को मतदान केंद्र बनाया गया था, उस समय यहां अस्थाई बिजली कनेक्शन करा दिए गए थे लेकिन वोटिंग के बाद बिजली की सप्लाई बंद कर दी गई है.

जिले के 235 स्कूलों में नहीं है बिजली कनेक्शन

बता दें कि जिले में प्राथमिक और माध्यमिक मिलाकर 1817 शासकीय स्कूल हैं. जिनमें बीती 18 जून से कक्षाएं लगना शुरू हो गई हैं लेकिन जिले के 235 स्कूलों में भवन होने के बाद भी बिजली का कनेक्शन ना होने से छात्रों के साथ ही बच्चों को उमस भरी गर्मी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं शिक्षा विभाग के अधिकारी प्रदेश शासन के साथ ही बिजली कंपनी के अधिकारियों को पत्र लिखने की बात कह रहे हैं.

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यहां 1 से 5वीं तक के बच्चें करते हैं पढ़ाई

ये मामला ढड़ारी संकुल अंतर्गत शासकीय नवीन प्राथमिक शाला शिवपुरम का है. जिसमें कक्षा 1 से 5वीं तक के 47 बच्चें पढ़ाई करते हैं. बीते दिनों हुए लोकसभा चुनाव के दौरान जिला प्रशासन ने इसे मतदान क्रमांक 210 बनाते हुए अस्थाई बिजली का कनेक्शन कराया लेकिन मतदान प्रक्रिया पूरी होते ही बिजली का कनेक्शन हटा दिया गया. बाउंड्री ना होने से आसपास के उपद्रवी लोग रात के समय परिसर में शौच कर जाते हैं. जिससे बच्चों और शिक्षकों को गंदगी का समाना करना पड़ता है.

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धरमपुरा स्कूल में सभी व्यवस्थाएं, बिजली नहीं

गौरिहार क्षेत्र के धरमपुरा गांव में नवीन माध्यमिक स्कूल है. जिसमें कक्षा 6वीं से लेकर 8वीं तक की 3 कक्षाओं में 65 छात्र पढ़ाई करते हैं. इस स्कूल का भवन नवनिर्मित होने से किसी प्रकार की समस्या नहीं है. साथ ही बच्चों के बैठने के लिए टेबल और कुर्सी भी मौजूद है लेकिन बिजली का कनेक्शन नहीं है. बीते दिनों हुए लोकसभा चुनाव के दौरान इस स्कूल भवन को मतदान केंद्र बनाए जाने पर स्थानीय प्रशासन ने बिजली की व्यवस्था कर दी लेकिन चुनाव प्रक्रिया पूरी होते ही सप्लाई बंद कर दी गई.

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LED से भी काम नहीं चल रहा

स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के लिए विभाग द्वारा एलईडी दी गई हैं, लेकिन बिजली ना होने से यह भी किसी काम की नहीं हैं. इन स्कूलों में बने शौचालय और पेयजल के लिए बिजली की जरूरत पड़ती है. इसके लिए पानी की टंकी भी बनाई गई है, लेकिन यह कबाड़ साबित हो रही हैं. जिले के शासकीय स्कूलों में कम्प्यूटर की व्यवस्था की गई है, लेकिन बिजली न होने की वजह से इनको चलाया नहीं जा पा रहा है.

प्रदेश शासन को पत्र लिखा, स्वीकृति मिलना बाकी

जिले के जिन स्कूलों में बिजली नहीं है, उनमें कनेक्शन कराने के लिए प्रदेश शासन को पत्र लिखा है. इसके साथ ही जिले के अधिकारियों को भी इस समस्या से अवगत करा दिया है. जैसे ही प्रदेश शासन से स्वीकृति मिलती है, सभी स्कूल भवनों में बिजली का कनेक्शन करा दिया जाएगा. कुछ स्कूल भवन ऐसे हैं, जिनके पास से बिजली के खंभे नहीं हैं. उनके लिए बिजली कंपनी को पत्र लिखकर खंभे लगाने को कहा है. 

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