मध्य प्रदेश में कांग्रेस के लिए आने वाले दिन चुनौतियों से भरे | Lok Sabha Elections 2024

Challenges Ahead for MP Congress : मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections)  में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है और अब पार्टी के लिए आने वाले दिन मुसीबत भरे हो सकते हैं.

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मध्य प्रदेश में कांग्रेस के लिए आने वाले दिन चुनौतियों से भरे

Lok Sabha Elections 2024 : मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections)  में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है और अब पार्टी के लिए आने वाले दिन मुसीबत भरे हो सकते हैं. इसकी बड़ी वजह पार्टी के अंदर ही सुनाई देने वाले असंतोष के स्वर हैं. राज्य के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सभी 29 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है. कांग्रेस की अब तक की सबसे बड़ी हार के तौर पर इसे देखा जा रहा है. चुनाव से पहले कांग्रेस की ओर से लगातार बड़ी जीत के दावे किए जाते रहे और टिकट बंटवारे को लेकर भी नेताओं में जमकर खींचतान हुई थी. इसी के चलते ग्वालियर चंबल इलाके में उम्मीदवार तय करने में काफी वक्त लगा था.

उम्मीदवार तय करने में हुई देरी

इतना ही नहीं उम्मीदवारी तय करने में हुई देरी होने के कारण उम्मीदवारों को प्रचार के लिए कम समय मिला. अब यह बात सामने भी आ रही है. राज्य में विधानसभा चुनाव हुए और उसमें कांग्रेस को बड़ी हार मिली थी. उसके बाद पार्टी में बड़ा बदलाव किया गया था और तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को हटाकर उनके स्थान पर जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंप गई थी. अब पार्टी को लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है. पार्टी के भीतर दबे स्वर में हार की नैतिक जिम्मेदारी लेने की बात जोर पकड़ रही है.

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पार्टी के अंदर खींचतान जारी

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा है कि साल 2013 के चुनाव में जब कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था तो उन्होंने नेता प्रतिपक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. कांग्रेस की वर्तमान स्थिति पर गौर करें तो जीतू पटवारी को पार्टी की कमान संभाले लगभग पांच महीने का वक्त पूरा हो गया है, मगर वह अब तक अपनी पूरी कार्यकारिणी का भी गठन नहीं कर पाए. इसकी वजह भी पार्टी के अंदर जारी खींचतान को माना जा रहा है.

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कई नेताओं ने छोड़ी पार्टी

इतना ही नहीं, लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी के कई दिग्गज नेताओं ने BJP का दामन थाम लिया. इन नेताओं को न तो मनाने की कोशिश हुई और न ही रोकने के प्रयास किए गए. इस बात से भी पार्टी के कई नेताओं में नाराजगी है. इसके अलावा लोकसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह अपने संसदीय क्षेत्र राजगढ़ और कमलनाथ छिंदवाड़ा तक सीमित रह गए. इन दोनों नेताओं ने राज्य के बड़े हिस्से का दौरा ही नहीं किया.

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पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि चुनाव में भले ही हार हो गई हो, मगर संगठन को मजबूत करने की कोशिश की जाने की जरूरत है जो फिलहाल नजर नहीं आ रहे. यह बात ठीक है कि BJP को केंद्र में पूर्ण बहुमत नहीं मिला है, कांग्रेस इससे खुश हो सकती है, लेकिन राज्य में तो पार्टी को अपनी मजबूती दिखानी होगी. पार्टी में वर्तमान जैसी स्थितियां है वैसी ही बनी रही तो आने वाले दिनों में मजबूत होने की बजाय पार्टी और कमजोर होगी.

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