नजूल की जमीन से कब्जा हटाने के लिए गरजा बुलडोजर, एक्शन पर हाई कोर्ट ने कहा ये

नजूल की जमीन उस जगह को कहा जाता है जो सरकारी होती है और जिस पर किसी तरह का निजी स्वामित्व या कब्जा नहीं होता. आमतौर पर यह जमीन किसी व्यक्ति या संस्था को कानूनी रूप से आवंटित नहीं की जाती है.

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नजूल की जमीन से कब्जा हटाने के लिए गरजा बुलडोजर, एक्शन पर हाई कोर्ट ने कहा ये

Bulldozer Action in MP : दमोह जिले (Damoh) के क्रिश्चन कम्युनिटी कैंपस (Christian Community Campus) पर प्रशासन का बुलडोजर गरजा है. प्रशासन ने नजूल की जगह पर अतिक्रमण बताकर हजारों फीट की जमीन खाली कराई है. प्रशासन ने इस कार्रवाई के दौरान हजारों वर्ग फीट जमीन को खाली कराया. इस दौरान भारी पुलिस बल तैनात था और स्थानीय लोग घंटों तक इस कार्रवाई को देखने के लिए जुटे रहे. ईसाई समाज के सचिव नवीन लाल ने प्रशासन की इस कार्रवाई को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. उन्होंने कहा कि लगभग अस्सी से नब्बे साल पहले से इस जमीन पर समाज का कब्जा है और इसकी बाउंड्री वॉल बनाने के लिए नगर पालिका दमोह से अनुमति ली गई थी. ईसाई समाज का कहना है कि शनिवार और रविवार को कानूनी प्रक्रिया पूरी की गई लेकिन उन्हें कागज़ी कार्यवाही के लिए समय नहीं दिया गया. सोमवार सुबह-सुबह प्रशासन भारी पुलिस बल के साथ आकर बुलडोजर चलाया और बाउंड्री वॉल, स्टोर और गेट को तोड़ दिया.

एक्शन के बाद हाई कोर्ट में अपील

ईसाई समाज ने इस मामले को उच्च न्यायालय में उठाया जहां उन्हें उम्मीद थी कि न्यायालय उनके पक्ष में फैसला देगा. नवीन लाल ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने न्यायालय खुलने से पहले ही सब कुछ नेस्त नाबूद कर दिया ताकि ईसाई समाज को राहत न मिल सके. 

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तहसीलदार ने मामले पर कहा ये

तहसीलदार मोहित जैन ने मीडिया को बताया कि ईसाई समाज को पर्याप्त समय दिया गया था, लेकिन उन्होंने विरोध करते हुए इसे झूठ करार दिया. तहसीलदार ने कहा कि पंद्रह हजार वर्ग फीट जमीन नजूल की थी और खेल मैदान व सड़क के लिए निर्धारित थी... इसी जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराया गया है. यह कार्रवाई स्थानीय लोगों की शिकायत पर की गई है.

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लोगों ने तालियां बजाकर की प्रार्थना

प्रशासन की कार्रवाई के बाद, ईसाई समाज को मानने वाले जमा हुए और विवादित जमीन पर तालियां बजाकर प्रभु की प्रार्थना और आराधना करने लगे. दमोह के SDM आर. एल. बागरी ने कहा कि इस कार्रवाई में बाधा डालने वाले लोगों की पहचान की जा रही है और उनके खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा डालने का मामला दर्ज होगा. प्रशासन ने पूरी कार्रवाई को ईमानदारी से अंजाम दिया है और पंद्रह हजार वर्ग फीट की कीमती जमीन को अतिक्रमण मुक्त कर दिया गया है.

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कोर्ट ने कार्रवाई रोकने का दिया आदेश

रविवार को ईसाई समाज ने हाईकोर्ट में अर्जेंट सुनवाई के लिए अपील की. दोपहर 12 बजे माननीय न्यायालय ने सभी कार्रवाई को पंद्रह दिन तक रोकने का आदेश दिया है. न्यायालय ने ईसाई समाज को राजस्व न्यायालय में अपील करने की सलाह भी दी है. हालांकि, इस आदेश से पहले ही प्रशासन ने सुबह 10 बजे तक पूरी बाउंड्री वॉल और स्टोर को ध्वस्त कर दिया था जिससे अब वहां सिर्फ मलबा ही बचा है.

प्रयांक कानूनगो ने किया पोस्ट

प्रयांक कानूनगो ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए ईसाई समाज के प्रमुख डॉक्टर अजय लाल पर निशाना साधा है. प्रयांक ने कार्रवाई शुरू होते ही तुरंत सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर प्रतिक्रिया देने शुरू कर दी थी. जानकारी के लिए बता दें कि विदिशा शहर के निवासी प्रियंक कानूनगो को NCPCR (National Commission for Protection of Child Rights) के नए अध्यक्ष हैं. 

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क्या होती है नजूल की जमीन ?

मालूम हो कि नजूल की जमीन उस जगह को कहा जाता है, जो सरकारी होती है और जिस पर किसी तरह का निजी स्वामित्व या कब्जा नहीं होता. आमतौर पर यह जमीन किसी व्यक्ति या संस्था को कानूनी रूप से आवंटित नहीं की जाती है और इसका इस्तेमाल सरकारी योजनाओं, विकास कार्यों या सार्वजनिक योजनाओं के लिए किया जाता है. नजूल की जमीन का प्रशासनिक कब्जा राज्य सरकार या स्थानीय प्रशासन के पास होता है और यदि इस जमीन पर कोई अवैध अतिक्रमण होता है... तो प्रशासन इसे खाली कराने की कार्रवाई कर सकता है. नजूल भूमि का इतिहास भारत में ब्रिटिश काल से जुड़ा हुआ है जब सरकारें सार्वजनिक भूमि का रिकॉर्ड रखने लगीं और उसे 'नजूल' भूमि कहा गया.

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