ग्वालियर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में चल रहा था ब्लड बेचने का रैकेट, जानिए कैसे हुआ खुलासा

पिता चाह कर भी अपना खून नहीं दे सकता था, क्योंकि उनको पीलिया था. जब वे अस्पताल के बाहर दो यूनिट ब्लड के लिए भटक रहे थे, तभी उनकी मुलाकात एक एजेंट से हुई. उसने अपना नाम अनिल तोमर बताते हुए कहा कि वह डोनर की व्यवस्था करवा देगा लेकिन उसे इसके बदले छह हजार रुपये देने होंगे. परेशान कृष्ण कुमार इसके लिए तैयार हो गए. 

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Crime News: ग्वालियर-चंबल अंचल के सबसे बड़े अस्पताल जेएएच (Jaya Arogya Hospital Group) में ब्लड (Blood Selling Racket) की दलाली करने वाली गैंग का सनसनीखेज खुलासा हुआ है. यहां इस गैंग के दो सदस्यों को पकड़ा गया जो कि गम्भीर मरीज को ब्लड देने के नाम पर मनमाने पैसे ऐंठते थे. इस मामले में ब्लड बैंक (Blood Bank) के कर्मचारियों ने इन भाड़े के ब्लड डोनर (Blood Donor) को पकड़कर वीडियो भी बनाया फिर पुलिस (Gwalior Police) के हवाले कर दिया.

अस्पताल परिसर में ही मिला एजेंट

जेएएच परिसर के कमलाराजा हॉस्पिटल (Kamla Raja Hospital) बच्चों के वार्ड में उत्तर प्रदेश के महोबा निवासी कृष्ण कुमार की 7 माह की बेटी इलाज के लिए भर्ती है. उसका ऑपरेशन होना था, जिनके लिए अचानक उसे ब्लड चढ़ाने की जरूरत महसूस हुई. वे घबरा गए क्योंकि यहां तो उनका कोई रिश्तेदार या परिचित भी नहीं था.

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पिता चाह कर भी अपना खून नहीं दे सकता था, क्योंकि उनको पीलिया था. जब वे अस्पताल के बाहर दो यूनिट ब्लड के लिए भटक रहे थे, तभी उनकी मुलाकात एक एजेंट से हुई. उसने अपना नाम अनिल तोमर बताते हुए कहा कि वह डोनर की व्यवस्था करवा देगा लेकिन उसे इसके बदले छह हजार रुपये देने होंगे. परेशान कृष्ण कुमार इसके लिए तैयार हो गए. 

एजेंट अनिल ने कॉल करके निम्बाजी की खोह निवासी 30 साल के मोहम्मद जावेद को ब्लड डोनेट करने के लिए बुलाया. जावेद अपने साथ 38 साल के छोटे सिंह निवासी पुरानी छावनी को भी लाया. दोनों जेएएच परिसर में स्थित ब्लड बैंक पहुंचे, यहां दोनों की काउंसलिंग की गई. उस दौरान उनसे बच्ची के बारे में पूछा गया तो वे कुछ भी नहीं बता पाए तो उन पर शक हुआ और पूछताछ में उन्होंने स्वीकार भी कर लिया कि वे एजेंट के माध्यम से पैसे लेकर ब्लड देने आए हैं. बाद में जेएएच प्रबन्धन ने दोनों को पुलिस के हवाले कर दिया.

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पूछताछ में गिरफ्त में आए गिरोह के फर्जी ब्लड डोनर छोटे सिंह और जावेद खान ने कबूल किया कि वे अक्सर ऐसे जरूरतमंद मरीजों के परिजनों को जिन्हें खून की सख्त जरूरत होती है उनको मनमाने दामों पर अपना खून बेच देते हैं. हालांकि गिरोह का मास्टरमाइंड अनिल तोमर अभी भी फरार है. उसकी तलाश पुलिस कर रही है.

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