Bhopal News: सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर राजधानी भोपाल में विशेष आयोजन किए जाएंगे. सांसद आलोक शर्मा और भाजपा जिलाध्यक्ष रवींद्र यती ने बताया कि एकता और अखंड भारत का संदेश लेकर “राष्ट्रीय एकता पदयात्रा” निकाली जाएगी. भोपाल लोकसभा क्षेत्र में यह पदयात्रा तीन चरणों में 11 नवंबर से शुरू होगी. इसमें जनप्रतिनिधि, समाजसेवी और युवा संगठन बड़ी संख्या में शामिल होंगे. सांसद शर्मा ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकारें 26 नवंबर से 6 दिसंबर तक राष्ट्रीय पदयात्रा का आयोजन करेंगी. इस दौरान स्कूलों और कॉलेजों में निबंध, वाद-विवाद, खेल और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे, जिससे युवाओं में राष्ट्रगौरव, नशामुक्ति और स्वदेशी भावनाओं को प्रोत्साहन मिलेगा. उन्होंने कहा कि सरदार पटेल की प्रेरणा से “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” के संकल्प को साकार करने का आह्वान किया गया है.
"भोपाल को मिले उसकी अपनी पहचान"
सांसद आलोक शर्मा ने भोपाल का नाम बदलने की मांग करते हुए कहा कि हमने कई नाम बदले हैं, अब भोपाल का नाम बदलने की बारी है. उन्होंने कहा कि शहर भोपाल के नवाबों से नहीं, अपनी पहचान से पहचाना जाए. सांसद ने कहा कि "भोपाल की संस्कृति और स्वाभिमान को नई पहचान मिले. भोपाल के विलीनीकरण आंदोलन और इतिहास को स्कूल के हिंदी के कोर्स में शामिल करने की मांग करेंगे."
सांसद ने बताया कि देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था, लेकिन भोपाल की रियासत तब भी नवाब हमीदुल्लाह के अधीन थी, जो भोपाल को पाकिस्तान में मिलाना चाहता था. तब तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने नवाब को चेताया, जिसके बाद 1 जून 1949 को भोपाल का भारत में विलय हुआ. शर्मा ने कहा कि भोपाल की आजादी और सरदार पटेल के योगदान को स्कूलों के कोर्स में शामिल किया जाना चाहिए.
"स्कूल के पाठ्यक्रम में भी शामिल हो संस्कृति की पहचान"
सांसद आलोक शर्मा ने भोपाल के इतिहास को स्कूलों के हिंदी पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग की. उन्होंने कहा कि भोपाल केवल मुस्लिम शासकों का शहर नहीं रहा, बल्कि यहाँ हिंदू राजाओं ने भी करीब 700 वर्ष तक शासन किया. उन्होंने कहा, “भोपाल की पहचान नवाबों से नहीं, अपनी संस्कृति और स्वाभिमान से होनी चाहिए. हम चाहते हैं कि भोपाल के विलीनीकरण आंदोलन और उसके शहीदों की गाथा को बच्चे जानें.” उन्होंने यह भी कहा कि भोपाल की ऐतिहासिक पहचान और स्वाभिमान को नई पहचान देने की दिशा में प्रयास किए जाएंगे. गौरतलब है कि इससे पहले हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति के नाम पर रखा जा चुका है.
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