Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के मंदिरों में आकर्षक श्रृंगार के लिए सरकार आकर्षक इनाम देगी. जन्माष्टमी के खास मौके पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एक बड़ा ऐलान किया है.
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व, हलधर महोत्सव एवं लीलाधर प्रकटोत्सव के अंतर्गत संस्कृति विभाग मध्यप्रदेश के 162 स्थानों पर प्रमुख मंदिरों में हुए भक्तिपरक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. इसके अलावा प्रदेश के 3 हजार से अधिक श्रीकृष्ण मंदिरों में आकर्षक साज-सज्जा एवं श्रृंगार भी जन्माष्टमी के अवसर पर किया गया है. इनमें स्थानीय सांसद, मंत्री और विधायक, अन्य जनप्रतिनिधि आमजन के साथ पूरे हर्षोल्लास के साथ जन्माष्टमी पर्व मना रहे हैं.
उन्होंने कहा कि मंदिरों में आकर्षक साज-सज्जा एवं श्रृंगार के लिए सरकार द्वारा 1.50 लाख रुपए के तीन पुरस्कार, एक लाख रुपए के पांच पुरस्कार एवं 51 हजार रुपए के सात पुरस्कार, कुल 15 पुरस्कार दिए जाएंगे.
तीर्थ के रूप में विकसित कर रहे हैं
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि जहां-जहां भगवान श्रीकृष्ण के चरण पड़े हैं, वह हमारे लिए वंदनीय हैं. हमारी सरकार श्रीकृष्ण की चिरस्मृतियों से जुड़े सभी स्थानों एवं लीलास्थलों को तीर्थ के रूप में विकसित कर रही है. उन्होंने कहा कि राम वनगमन पथ की तरह हम श्रीकृष्ण पाथेय के विकास के लिए काम कर रहे हैं. इसके अंतर्गत उज्जैन के सांदीपनि आश्रम, धार के जानापाव और अमझेरा को तीर्थ बनाया जाएगा. ये सभी स्थान गोकुल जितने ही पवित्र हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध करके तत्कालीन समय में प्रजातंत्र की स्थापना की. माखन से गोपाल कृष्ण और बलराम का विशेष लगाव था. गोकुल से यह माखन मथुरा न पहुंच पाए, इसलिए श्रीकृष्ण ने बाल्यकाल में ही अपने साथियों की टीम बनाई और गोकुल ले जाई जा रही माखन की मटकियों को फोड़ना प्रारंभ कर दिया.
यह एक प्रकार से तत्कालीन अतिवादी ताकतों के खिलाफ खुले विद्रोह के समान था. योगीराज श्रीकृष्ण ने अपने जीवन में विभिन्न लीलाओं के जरिए समाज के समक्ष जीवन का कर्मवादी ध्येय प्रस्तुत किया.
ये भी पढे़ं MP में कांग्रेस जिला अध्यक्षों की सूची को लेकर बवाल, कई जिलों से उठे विरोध के स्वर और इस्तीफा का दौर भी शुरू
सीएम ने ये भी कहा
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने कौरव- पांडवों के बीच हुए भीषण युद्ध महाभारत में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया और सदैव धर्म की रक्षा के लिए पांडवों के साथ खड़े रहे. श्रीकृष्ण ने द्वारकापुरी छोड़ते समय अपने पुत्र को सिंहासन पर नहीं बिठाया. वे अपने सिर पर सदैव मोरमुकुट धारण करते थे. इस प्रकार से योगेश्वर श्रीकृष्ण ने अपनी ग्रामीण सांस्कृतिक विरासत को हमेशा अपने सर माथे से लगाए रखा.
उत्कृष्ट उदाहरण है
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राज्य सरकार ने घर-घर को गोकुल बनाने और घर-घर में बच्चों को संस्कारित कर गोपाल कृष्ण बनाने, उन्हें भगवान श्रीराम के मर्यादा पुरुषोत्तम स्वरूप के जीवन आदर्श सिखाने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए प्रदेश में सांदीपनि विद्यालय स्थापित किए हैं. उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता का पूरा प्रसंग सामाजिक समरसता का उत्कृष्ट उदाहरण है.
ये भी पढ़ें सड़क मार्ग से देर रात अचानक रतलाम पहुंच गए CM मोहन यादव, अफसरों में मचा हड़कंप