मिलावटी मावे का गढ़ बना भिंड का मेहगांव! कारोबारी ने बताई नकली मावा की पूरी कहानी

भिंड के मेहगांव में Diwali से पहले adulterated mawa का बड़ा खुलासा हुआ है. स्थानीय कारोबारी ने नकली khoya बनाने का dangerous formula बताया, जिसमें refined oil, soda, synthetic milk और chemical powders का इस्तेमाल किया जाता है.

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Bhind Mehgaon Mawa Scam: दीपावली की रौनक बाजारों में खूब दिखाई दे रही है, लेकिन इसी रौनक के बीच मिलावटी मावा फिर से लोगों की सेहत के लिए बड़ा खतरा बनकर सामने आया है. भिंड ज़िले में फूड डिपार्टमेंट की चेतावनियों के बावजूद मिलावटी मावे से बनी मिठाइयों का कारोबार तेजी से चल रहा है और दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ लगातार बढ़ रही है.

मिलावटी मावे का गढ़ बना मेहगांव

भिंड जिला कभी डकैतों के लिए बदनाम था, लेकिन अब यह मिलावटी मावा सप्लाई करने का हब बन गया है. सबसे ज्यादा स्थिति खराब मेहगांव क्षेत्र में है, जो बीजेपी मंत्री राकेश शुक्ला का विधानसभा क्षेत्र भी है. यहां बड़े स्तर पर मशीनों के ज़रिए मावा तैयार किया जाता है और खुलेआम बेचा जाता है.

कार्रवाई होती है, पर रुकती क्यों है?

स्थानीय कारोबारी ने नाम ना बताने की शर्त पर बताया कि स्वास्थ्य विभाग की टीम कई बार जांच के लिए आती है, लेकिन पैसे लेकर लौट जाती है. आरोप है कि 10 से 20 हजार रुपये तक की घूस लेकर कार्रवाई रोक दी जाती है. इससे साफ है कि राजनीतिक दबाव और सिस्टम की मिलीभगत ने इस अवैध धंधे को खुली छूट दे रखी है.

कैसे बनता है यह नकली मावा?

एक मावा कारोबारी ने गुमनाम रहते हुए पूरा फॉर्मूला बताया. उन्होंने बताया कि दूध को मशीन से फेंटकर पहले उसकी क्रीम अलग कर ली जाती है, जिससे घी बनाया जाता है. इसके बाद बचे दूध में रिफाइंड ऑयल डालकर उसे मुलायम और चमकदार बनाया जाता है. कई दिनों तक खराब न हो, इसके लिए चीनी और सोडा मिलाया जाता है.

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रंग, चमक और बनावट सब नकली

मावा सफेद और ताजा दिखे, इसके लिए “पपड़ी” जैसे सफेद रसायन मिलाए जाते हैं. और अगर सिंथेटिक दूध न मिले, तो दूध पाउडर मिलाकर मावा तैयार किया जाता है. यह प्रक्रिया सुनने में जितनी आसान लगती है, उतनी ही खतरनाक भी है. क्योंकि इसमें इस्तेमाल रासायनिक तत्व सीधे स्वास्थ्य पर असर डालते हैं.

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सैकड़ों क्विंटल मावा देशभर में सप्लाई

कारोबारी के मुताबिक, दो कारीगर एक दिन में लगभग 100 क्विंटल तक मावा बना लेते हैं. यह सिर्फ भिंड या आसपास में नहीं रुकता, बल्कि भोपाल, दिल्ली जैसे बड़े शहरों तक सप्लाई किया जाता है. यानी खतरा सिर्फ स्थानीय नहीं, राष्ट्रीय स्तर पर फैल चुका है.

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