Betul: वन विभाग ने उजाड़ दिए गरीबों के आशियाने, वन विभाग ने बारिश में आदिवासी परिवारों की झोपड़ियों को तोड़ा

Tribal family homeless Betul: मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के आदिवासियों का वन विभाग ने बलपूर्वक अतिक्रमण हटाया, जिससे बारिश के मौसम में आदिवासी परिवार बेघर हो गए. कार्रवाई में वन विभाग के साथ पुलिस अधिकारी भी मौजूद रहे.

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(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Tribal Families Homeless MP: बैतूल जिले में वन विभाग की कार्रवाई ने बारिश के मौसम में आदिवासी परिवारों को बेघर कर दिया है. आरोप है कि तावड़ी रेंज की पाट बीट में वन भूमि पर वर्षों से खेती कर रहे आदिवासी परिवारों के घर के छत वन विभाग ने तोड़ दिए हैं. वन विभाग ने बारिश के बीच आदिवासी किसानों के बनाए गए छप्परों को तोड़ दिया.

वन विभाग की कार्रवाई, बारिश के मौसम में बेघर हुआ आदिवासी परिवार 

आदिवासियों का कहना है कि वो 1984 से इस जमीन पर रह रहे हैं और खेती भी कर रहे हैं. इसके लिए उन्होंने कई बार वन विभाग को पट्टा देने के लिए आवेदन दिए, लेकिन आज तक कोई स्थायी हल नहीं निकला. आदिवासियों का आरोप है कि वन विभाग की टीम ने न सिर्फ छप्पर तोड़े, बल्कि उनके घर में रखा राशन, कपड़े और कृषि उपकरण तक जब्त कर लिए. वन विभाग की इस कार्रवाई ने इन गरीब परिवारों को बारिश के मौसम में पूरी तरह बेसहारा कर दिया है.

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वन विभाग ने ने क्या कहा?

वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इनका पुराना कोई अतिक्रमण नहीं था. सैटेलाइट इमेज में भी कोई खेती करने का प्रमाण नहीं दिखा. कोर्ट से इनके खिलाफ पहले ही आदेश हो चुके हैं. यह जमीन अब प्लांटेशन के लिए उपयोग में लाई जा रही है. इनके पास दूसरी जगह जमीन भी है.

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एक ओर आदिवासी परिवार अपने हक की लड़ाई की बात कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर वन विभाग अपने नियमों और कोर्ट के आदेशों का हवाला दे रहा है, लेकिन सवाल यही उठता है कि क्या बारिश के मौसम में इस तरह की कार्रवाई मानवीय है? और क्या वर्षों से रह रहे इन परिवारों को उनका कानूनी अधिकार नहीं मिलना चाहिए? 

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