आंखों की समस्या के बाद भी बैतूल की मंजू ने रचा इतिहास, ये कारनामा कर गोल्डन बुक में दर्ज कराया नाम

Madhya Pradesh News: गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में बैतूल की मंजू ने अपना नाम दर्ज करवा लिया है. उन्होंने 13 हजार 207 शब्दों का हाथों से निबंध लिखकर ये रिकॉर्ड बनाया है.

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Madhya Pradesh News: बैतूल में एक रेलवे अधिकारी मंजू लंगोटे का नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है. रेलवे कर्मचारी मंजू ने 13 हजार 207 शब्दों का हाथों से निबंध लिखकर ये रिकॉर्ड बनाया है. ढाई साल तक आंखों से जुड़ी समस्या झेलने के बावजूद भी मंजू ने अपना लक्ष्य नहीं छोड़ा. हस्तलिखित निबंध का पिछला रिकॉर्ड 10 हजार शब्दों का था, जिसे मंजू ने लंबे अंतर से तोड़ा है.

भारतीय रेल के इतिहास पर जितना लिखा जाए वो कम होगा, लेकिन बैतूल रेलवे स्टेशन (Betul Railway Station) पर पदस्थ कार्यालय अधीक्षक मंजू लंगोटे ने 13 हजार 207 शब्दों में रेलवे के इतिहास को एक सारगर्भित निबंध का रूप देकर विश्व रिकॉर्ड कायम किया है. हस्तलिखित निबंध कैटेगिरी में इस रिकॉर्ड के लिए मंजू लंगोटे का नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है. इस कैटेगरी में पिछला विश्व रिकॉर्ड 10 हजार शब्दों का था जिसे मंजू ने तोड़ दिया है.

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2019 में हो गई थी रोशनी प्रभावित

मंजू के लिए इस रिकॉर्ड तक पहुंचना आसान नहीं था. साल 2019 में किसी दवा के रिएक्शन से मंजू की आंखों की रोशनी प्रभावित हो गई थी और वो कुछ भी देख नहीं पाती थीं, लेकिन ढाई साल तक चले इलाज और परिवार के स्पोर्ट से उन्होंने लिखना जारी रखा और अपना लक्ष्य हासिल किया.

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साहित्यकार और कवियत्री भी मंजू

गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Golden Book of World Records) टीम ने मंजू को उनके रिकॉर्ड का प्रमाणपत्र दे दिया है. मंजू रेलवे अधिकारी होने के साथ ही एक साहित्यकार और कवियत्री भी हैं. लिखने पढ़ने के शौक ने इन्हें विश्व रिकॉर्ड तक पहुंचाया है. अब मंजू आगे कुछ नया करने पर भी विचार कर रही हैं.

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