MP News Today In Hindi : मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के नक्सल प्रभावित गांव ऐसे भी हैं, जो डिजिटल इंडिया से कोसो दूर हैं. डिजिटल इंडिया के तमाम दावों की ये खबर पोल खोल रही है. क्योंकि जमीनी हकीकत कुछ और ही है. बालाघाट जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर नक्सल प्रभावित गांव कावेली में मोबाइल नेटवर्क नहीं है. ऐसे में युवा डिजिटल दुनिया से जुड़ने के लिए युवा पानी की टंकी का सहारा ले रहें हैं.
बता दें, यहां पेयजल की समस्या से निजात दिलाने के लिए शासन ने एक विशाल पानी की टंकी बनाई थी, लेकिन साल गुजरने के बावजूद अब तक इसका उपयोग नहीं हो रहा है. अब यही टंकी गांव वालों की एक दूसरी समस्या सुलझा रही है. पानी की टंकी से गांव में पानी की आपूर्ति तो नहीं हो रही है, लेकिन मोबाइल नेटवर्क जरूर मिल रहा है.
टंकी से मिली थोड़ा राहत
लोग पहले इधर-उधर भटकते थे, लेकिन गांव में जब से पानी की टंकी बनी है, मानो नेटवर्क प्रॉब्लम थोड़ी सुलझ सी गई है. अब ग्रामीणों को जब भी मोबाइल यूज करना होता है, तो वे पानी टंकी का सहारा ले लेते हैं, और पानी टंकी की 40 फीट ऊंचाई पर चढ़ने के बाद फोन पर बाते हो पाती हैं, और इंटरनेट के माध्यम से डिजिटल की दुनिया को तलाशने लगते हैं. गांव में नेटवर्क न मिलने से इंटरनेट से जुड़े किसी भी प्रकार के कार्य नहीं हो रहे हैं.
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ये गांव डिजिटल की दुनिया से दूर क्यों ?
एक तरह से कहा जाए तो कावेली और इसके आस-पास के दर्जनों ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क की समस्या बनी हुई हैं, जहां के आदिवासी लोग डिजिटल की दुनिया से दूर हैं और वह देश दुनिया की जानकारी से भी कटे हुए हैं. इसी मामले को लेकर जिला कलेक्टर मृणाल मीणा ने दूरभाष पर कहा हैं कि मेरे मामला संज्ञान में है, जल्द ही नेटवर्क समस्या को दूर करने की कोशिश की जाएगी.
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