10 नक्सलियों के सरेंडर की कहानी, फॉरेस्ट गार्ड की जुबानी; सीएम यादव के सामने डाले थे हथियार

बालाघाट में दो करोड़ छत्तीस लाख के ईनामी दस Naxalites ने हिंसा छोड़कर CM Mohan Yadav के सामने सरेंडर किया. खापा बीट के फॉरेस्ट गार्ड गुलाबसिंह उईके की समझदारी और हिम्मत इस पूरी Naxalite surrender कहानी का केंद्र रही.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

Naxalite surrender 2025: बालाघाट के घने जंगलों में सक्रिय रहे दो करोड़ छत्तीस लाख के इनामी दस नक्सलियों ने आखिरकार हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौटने का बड़ा फैसला लिया. 7 दिसंबर को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के सामने हथियार डालने तक की उनकी यात्रा आसान नहीं थी. लेकिन इस पूरी कहानी में सबसे अहम किरदार रहा खापा बीट का एक साधारण सा फॉरेस्ट गार्ड, गुलाबसिंह उईके, जिसकी समझदारी, हिम्मत और सही वक्त पर लिए गए फैसलों ने न सिर्फ जंगल में फंसी बातचीत को पटरी पर लाया बल्कि पूरे मामले को सुरक्षित अंजाम तक पहुंचाया.

फॉरेस्ट गार्ड की भूमिका क्यों बनी खास

गुलाबसिंह उईके बताते हैं कि उन्होंने नक्सलियों के संपर्क में आने पर डरने के बजाय उनका मन समझने की कोशिश की. नक्सली पहले से सरेंडर करना चाहते थे, लेकिन रास्ता तलाश नहीं पा रहे थे. ऐसे समय में गुलाबसिंह ने न सिर्फ उनसे संवाद बनाए रखा, बल्कि अपने साथियों को भी भरोसा दिलाया कि पुलिस और प्रशासन की मदद करना जरूरी है.

जंगल में अप्रत्याशित मुलाकात

गुलाबसिंह के अनुसार, सरेंडर से दो दिन पहले गुरुवार को कुछ नक्सली अचानक उन्हें पकड़कर जंगल की ओर ले गए. वहां उन्होंने कहा कि उन्हें सरेंडर कराने के लिए छत्तीसगढ़ के रेंगाखार तक पहुंचाना होगा. यह सुनकर गुलाबसिंह ने साफ कहा कि वे उस इलाके तक नहीं जा सकते, लेकिन यदि वे चाहें तो उन्हें मंडला या बालाघाट ले जाने में मदद कर सकते हैं.

कलेक्टर का पुराना वीडियो बना टर्निंग पॉइंट

नक्सलियों ने गुलाबसिंह को बालाघाट की कलेक्टर मृणाल मीना का दो महीने पुराना वीडियो दिखाया. उस वीडियो में कलेक्टर ने अपील की थी कि नक्सलियों को केवल पुलिस के सामने ही सरेंडर करने की जरूरत नहीं. वे किसी भी सरकारी कर्मचारी, अधिकारी, जनप्रतिनिधि या पत्रकार के माध्यम से भी आत्मसमर्पण कर सकते हैं. यह संदेश नक्सलियों को सुरक्षित महसूस कराने में अहम साबित हुआ और उन्होंने गुलाबसिंह के प्रस्ताव पर भरोसा जताया.

Advertisement

ये भी पढ़ें- चंबल में शांति लाने वाले IPS राजेंद्र चतुर्वेदी का निधन, SP रहते फूलन देवी और मलखान सिंह का कराया था सरेंडर

तय हुआ सरेंडर का दिन और स्थान

बहुत चर्चा के बाद यह निर्णय हुआ कि शनिवार को गुलाबसिंह अपनी बोलेरो लेकर तय स्थल पर पहुंचेंगे. वहीं से हॉक फोर्स के एक अधिकारी के साथ दसों नक्सलियों जिनमें छह पुरुष और चार महिलाएं शामिल थीं. सभी को सुरक्षित स्थान तक ले जाया जाएगा.

Advertisement

सीएम के सामने आत्मसमर्पण

योजना के अनुसार गुलाबसिंह और अधिकारी रात में ही नक्सलियों को लेकर आईजी ऑफिस पहुंचे. रविवार को उन्हें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के सामने विधिवत आत्मसमर्पण कराया गया. इस तरह वर्षों से जंगलों में सक्रिय रहे ये सभी नक्सली हिंसा छोड़कर समाज की मुख्यधारा से जुड़ने के रास्ते पर लौट आए.

ये भी पढ़ें- Success Story: पहले की चौकीदारी फिर ITI पास कर बने इलेक्ट्रीशियन, अब अपनी मेहनत के दम पर बने असिस्टेंट लोको पायलट

Advertisement